गन्ना फसल चौपट करने वाला कीट चुटकियों में खत्म होगा, कृषि एक्सपर्ट ने बताई दवा-उपाय

उत्तर प्रदेश के गन्ना आयुक्त प्रमोद कुमार उपाध्याय ने पायरिला कीट के प्रकोप को रोकने के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिसमें उन्होंने नौ परिक्षेत्रों में तीन वैज्ञानिकों की टीम गठित करने का निर्देश दिया है.

लखनऊ | Updated On: 16 Apr, 2025 | 04:40 PM

गर्मी का मौसम आते ही खेतों में गन्ने की फसल लहलहाने लगती है, लेकिन इसी मौसम में कुछ कीट भी सक्रिय हो जाते हैं जो किसानों की मेहनत पर पानी फेर सकते हैं. इन्हीं में से एक प्रमुख कीट है पायरिला, जो अप्रैल से अक्टूबर तक गन्ने की फसल पर कहर बनकर टूटता है. इस कीट के कारण गन्ने की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं, जिससे उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है.

किसानों की इस बढ़ती परेशानी को देखते हुए उत्तर प्रदेश के गन्ना आयुक्त प्रमोद कुमार उपाध्याय ने बुधवार को एक अहम कदम उठाते हुए पायरिला की रोकथाम के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिसमें वह बताते है कि गन्ना किसानों की मदद के लिए नौ परिक्षेत्रों में तीन वैज्ञानिकों की टीम गठित की गई है जो किसानों के खेतों का स्थलीय निरीक्षण कर 15 दिनों में रिपोर्ट सौंपेगी. इसके साथ ही उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि फसलों को कीटों से बचाने के लिए हरसंभव प्रयास भी किया जाएगा.

फसल को कैसे चौपट करता है पायरिला

गन्ना विभाग के अनुसार मादा पायरिला कीट अपने जीवनकाल में लगभग 600 से 800 अंडे देती है. ये अंडे पत्तियों की निचली सतह पर सफेद रोम से ढंके होते हैं. पायरिला के निम्फ और वयस्क कीट पत्तियों से रस चूसते हैं, जिससे पत्तियां पीली पड़ जाती हैं. किसान अक्सर इसे पोषक तत्वों की कमी समझ लेते हैं, लेकिन असल में यह कीट का असर होता है. कीट रस चूसते समय एक चिपचिपा पदार्थ छोड़ता है जिस पर काली फफूंद उगने लगती है. इससे पत्तियां पूरी तरह काली पड़ जाती हैं और पौधों की प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पर बुरा असर पड़ता है, जिससे फसल की ग्रोथ रुक जाती है.

प्राकृतिक तरीके से करें बचाव

वैज्ञानिकों के अनुसार अप्रैल और मई में यदि गन्ने की पत्तियों पर इपीरिकेनिया मिलैनोल्यूका नामक ककून दिखाई देती हैं, तो उस अवस्था में रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. यह परजीवी पायरिला कीट को स्वाभाविक रूप से नष्ट कर देता है. ऐसे समय में किसानों को खेतों में पर्याप्त सिंचाई करके नमी बनाए रखनी चाहिए. बरसात के बाद पायरिला की संख्या खुद ही 80 फीसदी तक कम हो जाती है. इसके अलावा मेटाराइजियम एनीसोपली नामक जैविक फफूंदी का छिड़काव भी प्रभावशाली होता है, जिससे 90 फीसदी तक कीट नियंत्रित हो जाते हैं.

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गन्ना वैज्ञानिकों की सलाह

उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर के वैज्ञानिक डॉ. सुजीत कुमार ने किसानों को सलाह दी है कि वह खेतों के आसपास खरपतवार जमा न होने दें और सुबह-शाम खेतों का निरीक्षण करते रहें. यदि गन्ने की पत्तियों में सफेद रूई जैसे धागे या ‘वाई’ आकार की संरचना दिखे, तो उन्हें तुरंत काटकर जला दें या मिट्टी में गाड़ दें. जब तक कीट का प्रकोप है, यूरिया का प्रयोग न करें. साथ ही रासायनिक कीटनाशकों से भी बचें, क्योंकि यह इपीरिकेनिया जैसे मित्र कीटों को भी नुकसान पहुंचाते हैं.

कब करें रासायनिक छिड़काव?

यदि पायरिला परजीवी ककून खेतों में दिखाई नहीं दे रहे हैं और कीट का प्रभाव बढ़ गया है, तो क्लोरपाइरीफास 20 फीसदी ई.सी. 800 मिलीलीटर, प्रोफेनोफॉस 40 फीसदी + साइपर 4 फीसदी ई.सी. 750 मिलीलीटर, क्वीनालफास 25 फीसदी ई.सी. 800 मिलीलीटर को 625 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें.

Published: 16 Apr, 2025 | 04:31 PM