Chaitra Navratri 2025: मां चंद्रघंटा की पूजा की विधि से लेकर भोग तक, जानें सब कुछ

नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जो अपने भक्तों को शांति, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. इस दिन की पूजा से मानसिक शांति,और जीवन की अड़चनों का निवारण होता है.

Kisan India
Noida | Published: 1 Apr, 2025 | 08:10 AM

जैसा की आप सभी जानते हैं कि नवरात्रि के पावन पर्व का शुभारंभ हो चुका है. इस दौरान भक्त सच्ची निष्ठा और श्रद्धा के साथ देवी के नौ स्वरूपों की पुजा नौ दिनों तक करते हैं. नवरात्रि के तीसरे दिन माता के चंद्रघंटा स्वरूप की अराधना की जाती है. माता चंद्रघंटा का अत्यंत भव्य और शक्तिशाली है, जो अपने भक्तों को शांति, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. इस दिन की पूजा से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि भक्तों के जीवन में जो भी अड़चने हैं, उनका निवारण भी होता है. ऐसे आइए जानते हैं माता चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के खास तरीकों के बारें में.

माता चंद्रघंटा का स्वरूप

माता चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली और आकर्षक माना जाता है. उनकी पहचान उनके सिर पर स्थित चंद्रमा के आकार की घंटी से होती है. मां चंद्रघंटा का शरीर स्वर्ण के समान चमकीला होने का साथ हाथों में धनुष, बाण और कई शस्त्रों से सुशोभित होती है. माता का प्रिय सवारी बाघ होता है. माता का यह स्वरूप श्रद्धालुओं में साहस और विश्वास का भरता है. इस रूप में माता अपने भक्तों की रक्षा कर उन्हें हर संकट से बचाती हैं.

माता चंद्रघंटा की पूजा का महत्व

माता चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को मानसिक शांति और आत्मबल मिलता है. इस दिन की पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए होती है जो जीवन में किसी प्रकार के मानसिक भय, चिंताएं या तनाव का सामना कर रहे हैं. देवी चंद्रघंटा के आशीर्वाद से जीवन में आने वाली नकारात्मक और बाधाओं को दूर किया जा सकता है. इसके अलावा, इस दिन का व्रत और पूजा उन व्यक्तियों के लिए भी फायदेमंद मानी जाती है, जो अपने किसी समस्या के समाधान के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इसलिए कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु इस दिन विधिपूर्वक पूजा कर माता को भोग अर्पित करते हैं, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है और वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते है.

माता चंद्रघंटा पूजा विधि

इस दिन माता की पुजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करें. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 04:38 से 06:16 के बीच का है. अभिजित मुहूर्त दोपहर 11:46 से 12:33 के बीच रहेगा. पूजा में ताजे फूल, फल, दीपक और एक चांदी की घंटी रखनी चाहिए, क्योंकि घंटी माता चंद्रघंटा के रूप का प्रतीक होती है. इसके साथ ही माता को लाल या पीले रंग का वस्त्र और कमल या शंखपुष्पी के फूल अर्पित करें. माता चंद्रघंटा को पीले रंग की मिठाई और खीर अत्यंत प्रिय होती है. ऐसे में आप माता को इन चीजों को भोग लगा सकते है. इसके बाद देवी के मंत्र का जाप करें.आखिर में मां चंद्रघंटा की आरती कर पुजा संपन्न करें.

मां चंद्रघंटा मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

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Published: 1 Apr, 2025 | 08:10 AM

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