अगर आप गाय-भैंस पालते हैं और दूध उत्पादन बढ़ाना चाहते हैं, तो आपके लिए मध्यप्रदेश पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने 2 अक्टूबर से 9 अक्टूबर 2025 तक एक बड़ा अभियान शुरू किया है, जिसका नाम है दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान. इसका मकसद है- दूध उत्पादन दोगुना करना और ज्यादा से ज्यादा पशुपालकों तक सरकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचाना. इस दौरान विभाग के अधिकारी हर गांव में जाएंगे, पशुपालकों से मिलकर इलाज, पोषण, नस्ल सुधार और योजनाओं की जानकारी बांटेंगे. खास बात यह है कि बड़े पशुपालकों से घर जाकर सीधी बातचीत की जाएगी.
2 अक्टूबर को ग्राम सभाओं से होगी शुरुआत
किसान भाई, पशुपालक #दुग्ध_समृद्धि_संपर्क_अभियान का उठाएं लाभ
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और पढ़ें— Animal Husbandry Department, MP (@mp_husbandry) September 29, 2025
अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर को होगी. उस दिन पूरे जिले की ग्राम सभाओं में विभाग के कर्मचारी और डॉक्टर पहुंचेंगे. वहां वे बताएंगे कि अभियान क्यों चल रहा है, उससे क्या फायदा होगा और पशुपालकों को इसमें कैसे शामिल होना है. जो लोग सभा में नहीं आ पाएंगे, उनके लिए आगे घर-घर संपर्क किया जाएगा.
3 से 9 अक्टूबर तक होगा घर-घर संपर्क
3 अक्टूबर से 9 अक्टूबर तक सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी और मैत्री कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर पशुपालकों से सीधे मिलेंगे. जिन परिवारों के पास 10 या उससे अधिक गाय-भैंस हैं, उन्हें विशेष रूप से चुना गया है ताकि बड़े पशुपालकों को योजनाओं और सुविधाओं का सीधा लाभ मिल सके. इस दौरान टीम पशुपालकों को नस्ल सुधार की तकनीकों, आधुनिक कृत्रिम गर्भाधान और दुधारू पशुओं के चयन के बारे में बताएगी. इसके साथ ही साथ ही संतुलित आहार, मिनरल मिक्सचर और हरे चारे की महत्वता समझाई जाएगी. बीमारियों से बचाव, टीकाकरण और प्राथमिक इलाज की जानकारी भी दी जाएगी. सरकारी योजनाओं, अनुदान और डेयरी से कमाई बढ़ाने के तरीके समझाए जाएंगे.
नस्ल सुधार और पशु सेहत पर होगा फोकस
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इससे दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए सिर्फ ज्यादा पशु होना काफी नहीं है, बल्कि उनकी नस्ल और सेहत भी उतनी ही जरूरी होती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए अभियान के दौरान पशुपालकों को सरल भाषा में समझाया जाएगा कि कृत्रिम गर्भाधान (AI) से बेहतर नस्ल के पशु तैयार होते हैं, जिनसे ज्यादा और गुणवत्तापूर्ण दूध मिलता है. इसके साथ ही साथ ही दुधारू नस्लों की पहचान, सही प्रजनन समय और देखभाल के तरीके बताए जाएंगे. बीमारियों से बचाव के लिए नियमित टीकाकरण और साफ-सफाई की भूमिका समझाई जाएगी. जिन पशुपालकों को इन बातों की जानकारी नहीं है, उन्हें मौके पर उदाहरण देकर समझाया जाएगा ताकि वे तुरंत फायदा उठा सकें.
पशु पोषण पर मिलेगी सही सलाह
अक्सर किसान समझते हैं कि दूध कम आने की वजह सिर्फ चारे की कमी है, जबकि असल कारण कई बार पोषण की कमी होता है. इसी समस्या को देखते हुए अभियान में चारा और पोषण पर खास फोकस किया जाएगा. पशुपालकों को बताया जाएगा कि बरसीम, नेपियर और ज्वार जैसी हरी घास दूध बढ़ाने में कितनी कारगर होती हैं. साथ ही यह भी समझाया जाएगा कि पशु आहार सब्सिडी योजनाओं का लाभ लेकर कम खर्च में बेहतर चारा कैसे हासिल किया जा सकता है. मौसम के अनुसार आहार में बदलाव, खनिज मिश्रण और सूखे चारे के सही उपयोग की जानकारी भी दी जाएगी, ताकि पशु स्वस्थ रहें और उत्पादन लगातार बढ़े.
योजना की जानकारी और आवेदन में मिलेगी मदद
अक्सर किसान और पशुपालक सरकारी योजनाओं की जानकारी न होने के कारण फायदा नहीं उठा पाते. इसी कमी को दूर करने के लिए अभियान के दौरान विभाग के कर्मचारी घर-घर जाकर योजना संबंधी जानकारी देंगे. उन्हें बताया जाएगा कि वे किन-किन योजनाओं के लिए आवेदन कर सकते हैं और लोन या अनुदान पाने की प्रक्रिया क्या होती है. डेयरी यूनिट शुरू करने के नियम, दस्तावेज और लागत के बारे में भी समझाया जाएगा. महिला पशुपालकों के लिए उपलब्ध विशेष सुविधाएं और प्रोत्साहन योजनाएं भी बताई जाएंगी. इसके साथ ही यह बताया जाएगा कि दूध खरीद प्रणाली से कैसे जुड़ें. जरूरत पड़ने पर फॉर्म भरने और प्रक्रिया समझाने में सीधी मदद भी दी जाएगी.
पशुपालकों से अपील
उपसंचालक ने जिले के सभी पशुपालकों से अपील की है कि वे इस अभियान का फायदा जरूर लें. जो जानकारी आमतौर पर दफ्तर जाने पर मिलती है, वह अब उनके दरवाजे तक आएगी. अगर आप गाय-भैंस पालते हैं या डेयरी शुरू करना चाहते हैं, तो यह अभियान आपके लिए सुनहरा मौका है.
आखिर क्यों जरूरी है यह अभियान?
- दूध उत्पादन बढ़ाने की राष्ट्रीय योजना से जुड़ा कदम
- पशुपालकों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य
- दुग्ध सहकारी समितियों को मजबूत करने की तैयारी
- स्वास्थ्य, पोषण और नस्ल सुधार पर एक साथ काम
- बड़े और छोटे पशुपालकों दोनों को लाभ