Goat Farming: किसानों की खूब कमाई करा रही उस्मानाबादी नस्ल, बकरी पालक इन बातों का रखें ध्यान

उस्मानाबादी बकरी छोटे और सीमांत किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है. कम खर्च और आसान देखभाल वाली यह नस्ल दूध, मीट और प्रजनन क्षमता के कारण तेजी से लोकप्रिय हो रही है और किसानों की आय बढ़ाने में मदद कर रही है.

Kisan India
नोएडा | Published: 19 Oct, 2025 | 02:14 PM

Goat Farming : गांवों और छोटे कस्बों में किसान अब सिर्फ फसल पर निर्भर नहीं रहना चाहते. ऐसे में पशुपालन उनके लिए आमदनी का भरोसेमंद साधन बन गया है. खासतौर पर बकरी पालन ने छोटे और सीमांत किसानों का ध्यान खींचा है. कम खर्च में शुरू होने वाला यह व्यवसाय दूध, मीट और खाद का अच्छा स्रोत बन सकता है. महाराष्ट्र की उस्मानाबादी नस्ल की बकरी अपनी उच्च दूध क्षमता और जल्दी बढ़ने वाले शरीर के कारण किसानों की पहली पसंद बनती जा रही है.

बकरी पालन क्यों है फायदेमंद

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बकरी पालन  एक ऐसा व्यवसाय है जिसे छोटे और मध्यम वर्गीय किसान आसानी से अपना सकते हैं. इसमें ज्यादा पूंजी की जरूरत नहीं होती और बकरियों की प्रजनन दर तेज होती है, जिससे कम समय में संख्या बढ़ाई जा सकती है. दूध और मीट  की बाजार में अच्छी मांग होने के कारण किसान को स्थायी आमदनी का स्रोत मिलता है. साथ ही, बकरियों का रखरखाव सरल है और इन्हें ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती. खासकर सूखे क्षेत्रों में, जहां अन्य पशुपालन मुश्किल होता है, बकरी पालन एक किफायती और टिकाऊ विकल्प साबित होता है.

बढ़िया नस्ल का चयन करें

किसान तभी अधिक मुनाफा कमा सकते हैं जब वे सही बकरी की नस्ल  चुनें. अपने क्षेत्र की जलवायु और बाजार की मांग के अनुसार नस्ल का चयन जरूरी है. अच्छी नस्ल ज्यादा दूध देती है और उसका मीट उत्पादन भी बेहतर होता है. सही नस्ल के चयन से किसान साल भर नियमित आय सुनिश्चित कर सकते हैं. इस संदर्भ में उस्मानाबादी नस्ल एक बेहतरीन विकल्प है, क्योंकि यह उच्च दूध उत्पादन और तेज़ी से बढ़ने वाले शरीर के लिए जानी जाती है.

उस्मानाबादी बकरी: किसानों के लिए उपयुक्त

उस्मानाबादी बकरी महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में पाई जाती है. यह नस्ल दूध उत्पादन में देशी गाय के बराबर है और मांस उत्पादन में भी बेहतर मानी जाती है. साल में दो बार बच्चों को जन्म देती है, और एक बार में दो बच्चे पैदा कर सकती है. जन्म के समय बच्चों का वजन लगभग 4 किलो होता है. प्रतिदिन यह बकरी 3 से 5 किलोग्राम तक दूध दे सकती है. इसके लंबा और मजबूत शरीर इसे कठिन परिस्थितियों में भी जीवित रहने में सक्षम बनाता है.

पालन के लिए जरूरी बातें

  • रहने की व्यवस्था: बकरियों को सूखा और हवादार स्थान दें. ज्यादा नमी से उन्हें बचाएं.
  • भोजन और पोषण: संतुलित आहार दें जिसमें हरी घास, चारा और खनिज लवण शामिल हों.
  • बीमारियों से बचाव: समयसमय पर टीकाकरण कराना जरूरी है.
  • बाजार की समझ: दूध और मीट की मांग को समझकर पालन करें.
  • प्रजनन पर ध्यान: उच्च प्रजनन दर वाली बकरियों का चयन करें ताकि संख्या तेजी से बढ़े.

इन आसान उपायों से किसान अपनी बकरियों की सेहत और उत्पादन दोनों को सुनिश्चित कर सकते हैं.

किसानों की आमदनी बढ़ाने का आसान तरीका

किसान बता रहे हैं कि उस्मानाबादी बकरी पालन ने उनकी आमदनी बढ़ा दी है. कम खर्च, आसान देखभाल और तेजी से उत्पादन बढ़ने के कारण यह व्यवसाय छोटे और सीमांत किसानों के लिए बिल्कुल सही विकल्प है. दूध, मीट और खाद के जरिए किसान अपनी आमदनी को दोगुना कर सकते हैं. बकरी पालन से जुड़े ये फायदे इसे गांवों में तेजी से लोकप्रिय बना रहे हैं.

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