फसल विविधीकरण योजना से बदलेगी खेती की तस्वीर, किसानों की आय में होगी बढ़ोतरी

फसल विविधीकरण योजना से न केवल मिट्टी की उर्वरता सुधरती है बल्कि पानी की खपत भी कम होती है जिससे जस संरक्षण में भी मदद मिलती है. इस योजना के तहत किसान अपने खेत में सालभर में कई तरह की फसलें उगाते हैं.

नोएडा | Published: 28 Aug, 2025 | 01:49 PM

आज के समय में किसान खेती से बेहतर उत्पादन लेने और कमाई करने के लिए केवल पारंपरिक तरीकों पर निर्भर नहीं रहते हैं. वे तरह-तरह की खेती का इस्तेमाल कर अपनी आमदनी बढ़ाने की कोशिश करते हैं. सरकार भी किसानों के लिए खेती को फायदेमंद बनाने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती है. इन्हीं योजनाओं में से एक है फसल विविधीकरण योजना. इस योजना के तहत किसानों को पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर नई और लाभकारी फसलें अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है. इस योजना के तहत किसान अपने खेत में एक ही फसल की खेती करने की जगह कई तरह की फसलों की खेती एकसाथ करते हैं. इस तरह किसानों को एक समय पर कई तरह का उत्पादन मिलता है और आमदनी बढ़ाने के लिए ये एक अच्छा विकल्प है.

मिट्टी की उर्वरता में सुधार

किसी भी तरह की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए बेहद जरूरी है कि सही मिट्टी का चुनाव किया जाए और मिट्टी में सही पोषण हो. फसल विविधीकरण योजना के इस्तेमाल से खेती करने पर खेत में अलग-अलग फसलें उगाने से मिट्टी में संतुलन बना रहता है. साथ ही मिट्टी में पोषक तत्व भी बने रहते हैं. इस कारण से खेत की मिट्टी से किसान लंबे समय तक अच्छी पैदावार ले सकते हैं.  बता दें कि, इस योजना के तहत खेती करने से जब किसान फसल बदलते रहते हैं तो मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की गतिविधियां बढ़ने लगती हैं. ये जीव मिट्टी को भुरभुरा, उपजाऊ और सांस लेने में मदद करते हैं,

कीटों और रोगों का कम खतरा

मध्य प्रदेश कृषि विभाग द्वारा सोशल मीडिया पर दी गई जानकारी के अनुसार, जब किसी खेत में किसान लगातार एक ही तरह की फसल उगाते हैं तो उस फसल में लगने वाले कीट खेत में ही रह जाते हैं और हर बार फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. जबकि फसल विविधीकरण के तहत जब किसान अलग-अलग फसलों की खेती करते हैं तो कीटों का जीवन चक्र टूटता है और वे एस फसल से दूसरी फसल में आसानी से नहीं जा पाते हैं. इसके साथ ही जब फसलों में कीटों और रोगों के लगने का खतरा कम होता है तो किसानों को कीटनाशकों पर निर्भरता भी कम हो जाती है. जिससे किसानों की बचत भी होती है और पर्यावरण भी शुद्ध रहता है.

Madhya Pradesh News

फसल विविधीकरण योजना से बढ़ेगी आय

जल संरक्षण में मिलती है मदद

फसल विविधीकरण योजना से न केवल मिट्टी की उर्वरता सुधरती है बल्कि पानी की खपत भी कम होती है जिससे जस संरक्षण में भी मदद मिलती है. दरअस, परंपरागत फसलें जैसे धान, गन्ना आदि बहुत ज्यादा पानी लेती हैं, जबकि फसल विविधीकरण के तहत दलहन, तिलहन, मोटे अनाज (जैसे ज्वार, बाजरा), सब्जियाँ आदि फसलें उगाई जाती हैं, जिन्हें कम पानी की जरूरत होती है. इस कारण से खेती में इस्तेमाल किए जाने वाले कुल पानी की खपत कम हो जाती है.

किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी

इस योजना के तहत किसान अपने खेत में सालभर में कई तरह की फसलें उगाते हैं. इन फसलों में दलहनी, तिलहनी और मसाला फसलें भी शामिल हैं. बता दें कि, इन फसलों की बाजार में ज्यादा मांग होने के कारण किसानों को अपने उत्पादन की अच्छी कीमत मिलती है. पारंपरिक खेती में किसान को एक ही तरह का उत्पादन मिलता है जबकि फसल विविधीकरण में किसानों को एक समय पर कई तरह के उत्पादन मिलते हैं जिनकी बिक्री करके वे अच्छी कमाई कर सकते हैं.