सामूहिक खेती से हरी-भरी होगी चंपावत की बंजर जमीन, ग्रामीणों के लिए खुलेंगे रोजगार के नए अवसर
गांव में ही रहने वाले अनिल जोशी ने बताया कि प्रशासन की ये पहल बहुत ही सराहनीय है. उन्होंने कहा कि प्रशासन की इस पहल से न केवल सालों से बंजर पड़ी जमीन एक बार फिर से हरी- भरी होगी बल्कि लोगों को आत्मनिर्भर बनने का भी मौका मिलेगा.
उत्तराखंड के चंपावत जिले के बाराकोट विकासखंड के ढूंगा जोशी गांव में सालों से बंजर पड़ी जमीन अब हरी-भरी नजर आएगी. जिला प्रशासन इस बंजर भूमि को उपयोगी बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में प्रशासन द्वारा वीर माधो सिंह भंडारी योजना की शुरुआत की गई है, जिसके तहत गांव की 1 हजार नाली वाली जमीन को फिर से खेती करने लायक बनाने का काम किया जा रहा है. उत्तराखंड कृषि विभाग के अनुसार, प्रशासन की इस पहल से स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ के साथ ही रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे. जिससे स्थानीय लोग और युवा खुद के पैरों पर खड़े हो सकेंगे.
22 परिवारों की जमीन सालों से है बंजर
चंपावत जिले के बाराकोट विकासखंड के ढूंगा जोशी गांव में सालों से बंजर पड़ी ये जमीन 22 परिवारों की है, जिसका लंबे समय से कोई इस्तेमाल नहीं किया गया है. लेकिन अब स्थानीय लोगों की मांग पर जिला प्रशासन की नजर इस बंजर पड़ी जमीन पर गई है. प्रशासन की पहल पर वीर माधो सिंह भंडारी योजना के तहत इस जमीन पर एक बार फिर खेत लहलहाएंगे, जमीन पर एक बार फिर खेती करने की तैयारी की जा रही है. बता दें कि इस योजना की पहल मुख्य विकास अधिकारी डॉ. जी.एस. खाती के नेतृत्व में हुई है.
योजना का मुख्य उद्देश्य
उत्तराखंड कृषि विभाग के अनुसार, वीर माधो सिंग भंडारी योजना का मुख्य उद्देश्य केवल बंजर जमीन पर खेती करना ही नहीं है बल्कि यहां के लोगों के पलायन को रोकना भी है.साथ ही लोगों को रिवर्स माइग्रेशन के लिए प्रेरित करना भी है. बता दें , इस जमीन पर सामूहिक खेती करने से न केवल जमीन का सही इस्तेमाल होगा बल्कि जिले के किसानों को आमदनी का स्त्रोत मिलेगा और प्रदेश के कृषि क्षेत्र में भी विस्तार होगा. इसके अलावा जिले के युवाओं के लिए भी रोजगार के नए अवसर खुलेंगे. जिससे आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा.
प्रशासन की पहल की हो रही सराहना
गांव में ही रहने वाले अनिल जोशी ने बताया कि प्रशासन की ये पहल बहुत ही सराहनीय है. उन्होंने कहा कि प्रशासन की इस पहल से न केवल सालों से बंजर पड़ी जमीन एक बार फिर से हरी- भरी होगी बल्कि लोगों को आत्मनिर्भर बनने का भी मौका मिलेगा. जिससे गांव के लोगों का खेती की तरफ रूझान बढ़ेगा और वे नौकरी की तलाश में प्रदेश से पलायन नहीं करेंगे. बता दें कि, इस योजना को जमीन के मालिकों और ग्रामीणों से बातचीत कर , उनकी सहमति से शुरू किया गया है. गांव के लोगों का मानना है कि प्रशासन की पहल से सामूहिक खेती कराना सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि गांव को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है.