2800 रुपये क्विंटल हुआ मक्का, कीमत में बढ़ोतरी से अंडा कारोबारी परेशान.. मुनाफे में आई कमी

नमक्कल के पोल्ट्री किसानों का कहना है कि मक्के की कीमत बढ़ने से उत्पादन लागत काफी बढ़ गई है. अंडे की कीमतें फिलहाल स्थिर हैं, लेकिन मुनाफा बहुत कम है. मक्का पहले 2400 रुपये क्विंटल था, जो अब 2800 रुपये हो गया है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 27 Aug, 2025 | 07:01 PM

तमिलनाडु के नमक्कल जिले में पोल्ट्री किसानों का कहना है कि मक्के की कीमत बढ़ने से उनके खर्चे काफी बढ़ गए हैं. ऐसे में किसानों को लागत निकालना मुश्किल हो गया है. हालांकि, किसानों का ये भी कहना है कि अंडे की कीमत में थोड़ी गिरने के बाद अब स्थिर हो गई है. लेकिन अभी लागत के मुकाबले उतना फायदा नहीं हो रहा है. किसानों को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में मक्के के रेट में गिरावट आएगी. इसके बाद अंडा का कारोबार फिर से पटरी पर आ जाएगा. हालांकि, अभी मक्के का मंडी रेट 2800 प्रति क्विंटल है.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पोल्ट्री फीड में मक्के की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी होती है. एक लाख मुर्गियों वाले फार्म को रोज करीब 60 क्विंटल मक्के की जरूरत होती है. किसानों के अनुसार, मक्के की कीमत पहले 2400 रुपये क्विंटल थी, जो अब बढ़कर 2800 प्रति क्विंटल हो गई है. इससे ऐसे फार्म पर रोज 24,000 रुपये का अतिरिक्त खर्च आ रहा है.

अंडे की कीमत में गिरावट

पोल्ट्री फार्म के मालिक सी ससिकुमार ने कहा कि जैसे ही मक्के की कीमत बढ़ती है, हमारी उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि एक अंडा तैयार करने में (फीड, बिजली और मजदूरी मिलाकर) करीब 5 रुपये का खर्च आता है. इस महीने की शुरुआत में एक अंडे की कीमत 4.35 रुपये तक गिर गई थी, लेकिन अब फिर 5 रुपये हो गई है. उन्होंने कहा कि जब अंडे की कीमत लागत से कम हो जाती है, तब हमें घाटा होता है और अब मक्के की महंगाई के कारण मुनाफा और भी कम हो गया है.

50 फीसदी टैरिफ से व्यापारी परेशान

खास बात यह है कि अंडा किसानों की परेशानी केवल मक्के की कीमत से नहीं हो रही, बल्कि अमेरिका द्वारा 50 फीसदी टैरिफ लगाने से भी कारोबार प्रभावित हो सकता है. बीते दिनों स्थानीय निर्यातकों ने चिंता जताई थी कि भविष्य में अमेरिका से ऑर्डर आना बंद हो सकता है. जून 2025 में नमक्कल के व्यापारियों ने करीब 1 करोड़ अंडों की पहली खेप अमेरिका भेजी थी. यह कंटेनर जुलाई के मध्य में पहुंचा था, सभी गुणवत्ता जांच में पास हुआ और अमेरिकी अधिकारियों से मंजूरी भी मिली. इससे उम्मीद जगी थी कि वहां से लगातार ऑर्डर मिलेंगे और एक नया बड़ा बाजार तैयार होगा.

अंडे की मांग 50 फीसदी कम हो गई

निर्यातकों का कहना था कि अगर यह टैक्स न बढ़ता, तो कम से कम कुछ महीनों तक और शिपमेंट जाते रहते जब तक अमेरिका में खुद का उत्पादन नहीं बढ़ता. इससे खरीदारों से मजबूत रिश्ते बन सकते थे. एग एंड पोल्ट्री प्रोडक्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के सचिव जहान आर का कहना था कि अमेरिका हमारे लिए बड़ा बाजार है, और जब वो खुला तो हमें अच्छे मौके दिखे. उन्होंने यह भी कहा था कि नमक्कल आमतौर पर अंडे मिडिल ईस्ट (मध्य पूर्व) भेजता है, लेकिन गर्मी के कारण वहां मांग लगभग 50 फीसदी कम हो गई. अगर अमेरिका को अंडे भेजना जारी रहता, तो घरेलू बाजार में दाम मजबूत रहते.

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Published: 27 Aug, 2025 | 06:53 PM

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