अगर आप गाय, भैंस, सूअर या कोई भी पशु पालते हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. एक छोटा सा कीड़ा, जो दिखने में बस 5 से 6 मिमी का होता है. लेकिन आपके पशुओं की सेहत बिगाड़ सकता है और आपकी कमाई पर सीधा असर डाल सकता है. इसका नाम है जूं. ये कीड़े दिखने में छोटे होते हैं लेकिन नुकसान बड़े करते हैं. अगर समय पर इलाज न हो तो इससे पशु कमजोर पड़ जाते हैं, दूध कम हो जाता है और कभी-कभी जानवरों की जान भी खतरे में पड़ सकती है.
चमड़ी में छिपकर खून चूसती है जूं
उत्तर प्रदेश के पशुपालव विभाग के अनुसार जूं एक खून चूसने वाला कीड़ा है, जो पशुओं की चमड़ी से खून निकालता है और उन्हें लगातार जलन देता है. यह आमतौर पर कानों के पीछे, पैरों के बीच की त्वचा और गर्दन की तहों में पाई जाती है. पशुओं में जो सबसे बड़ी जूं पाई जाती है, उसका आकार लगभग 6 मिमी होता है. यह लगातार खून चूसती है जिससे जानवर बेचैन रहते हैं, चारा कम खाते हैं और तेजी से कमजोर होते जाते हैं.
ये लक्षण दिखें तो सतर्क हो जाएं
- जानवर बार-बार खुजली करता है.
- त्वचा पर लाल धब्बे या छोटे-छोटे घाव नजर आते हैं.
- बाल रूखे और झड़ने लगते हैं.
- त्वचा मोटी और खुरदुरी हो जाती है.
कैसे करें रोकथाम
- पशुओं के रहने की जगह हमेशा साफ और सूखी रखें.
- नए आए पशुओं को तुरंत बाकी जानवरों के साथ न मिलाएं.
- हर साल कम से कम दो बार सभी जानवरों का उपचार करें.
- तीन सप्ताह से छोटे बच्चों को इलाज न दें, उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत होती है.
- पहली बार प्रजनन से पहले मादा जानवरों (गिल्ट) का इलाज जरूरी करें.
- जो जानवर मोटे होने के लिए अलग रखे जाते हैं, उन्हें पहले ही उपचारित करें.
समय रहते इलाज न किया तो भारी नुकसान
अगर जूं पर समय रहते ध्यान न दिया गया तो यह पशुओं की उत्पादन क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है. इसके अलावा, दूध देने वाली गायें कम दूध देने लगती हैं, वहीं बछड़े और सूअर के बच्चे कमजोर हो जाते हैं. इतना ही नहीं, लगातार खुजली और खून की कमी के कारण जानवरों की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है, जिससे वे बार-बार बीमार पड़ते हैं. इसके चलते इलाज और दवाओं पर खर्च बढ़ता है. अगर लापरवाही जारी रही तो हर महीने पशुपालक को हजारों से लेकर लाखों रुपये तक का नुकसान हो सकता है.