अमेरिका द्वारा तमिलनाडु के नमक्कल के अंडों के लिए बाजार खोलने के सिर्फ दो महीने बाद ही प्रस्तावित 50 फीसदी इंपोर्ट टैरिफ ने स्थानीय निर्यातकों की चिंता बढ़ा दी है. उन्हें डर है कि अब अमेरिका से आने वाले ऑर्डर पूरी तरह बंद हो सकते हैं. जून 2025 में नमक्कल के व्यापारियों ने अमेरिका को पहली खेप में करीब 1 करोड़ अंडे भेजे थे. यह कंटेनर जुलाई के मध्य में वहां पहुंचा. इस खेप ने सभी गुणवत्ता जांच पास की और अमेरिकी अधिकारियों से मंजूरी भी मिल गई. इससे निर्यातकों को उम्मीद थी कि अमेरिका एक स्थिर और बड़ा बाजार बन सकता है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपोर्टर्स का कहना है कि अगर ये टैरिफ नहीं लगाया जाता, तो कम से कम कुछ महीनों तक शिपमेंट जारी रह सकते थे, जब तक कि अमेरिका में स्थानीय उत्पादन फिर से शुरू न हो जाता. इससे उन्हें वहां के खरीदारों से मजबूत रिश्ते बनाने का मौका मिलता. एग एंड पॉल्ट्री प्रोडक्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के सचिव जहान आर ने कहा कि अमेरिका हमारे लिए एक बड़ा बाजार है और जब वहां का दरवाजा खुला, तो हमें अच्छा मौका दिखा.
निर्यात करीब 50 फीसदी कम हो गया
एग एंड पॉल्ट्री प्रोडक्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने कहा कि नमक्कल से अंडों का निर्यात आमतौर पर मध्य पूर्व को होता है, लेकिन गर्मी के मौसम में वहां की मांग घट जाती है. इस बार भी ऐसा ही हुआ और निर्यात करीब 50 फीसदी कम हो गया. अगर अमेरिका को अंडों का निर्यात जारी रहता, तो घरेलू बाजार में दाम मजबूत बने रहते. जैसे सावन महीने में अंडों के दाम गिरते हैं, तो ऐसे समय में निर्यात मददगार साबित होता.
कीमत में 17.5 डॉलर का इजाफा होगा
एसोसिएशन कहा कि भारत और अमेरिका के बीच अंडों का व्यापार किसी द्विपक्षीय समझौते के तहत नहीं होता, इसलिए सारा जोखिम खरीदार और विक्रेता पर होता है. अगर 50 फीसदी टैरिफ लागू हुआ, तो कोई भी खरीदार इतना महंगा अंडा आयात नहीं करेगा. तमिलनाडु एग पॉल्ट्री फार्मर्स मार्केटिंग सोसाइटी के अध्यक्ष वी. सुब्रमण्यम ने कहा कि अमेरिका से आगे कोई ऑर्डर नहीं आया है. अब भविष्य में ऑर्डर मिलने की संभावना बहुत कम है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि 360 अंडों की एक कार्टन, जिसकी कीमत पहले 35 डॉलर थी, अब टैरिफ के बाद 52.5 डॉलर हो जाएगी, यानी 17.5 डॉलर का इजाफा होगा.
बाजारों में प्रवेश करना व्यापारिक विकास के लिए जरूरी
टर्की, जो नमक्कल का बड़ा प्रतिस्पर्धी है, उस पर सिर्फ 15 फीसदी टैरिफ है. यानी भारत की तुलना में 35 प्रतिशत कम. हालांकि अमेरिका को भेजी गई पहली खेप से लाभ बहुत कम हुआ था, लेकिन व्यापारियों का कहना है कि नए बाजारों में प्रवेश करना व्यापारिक विकास के लिए जरूरी है. लेकिन साथ ही वे यह भी मानते हैं कि नए बाजार में घुसना एक धीमी और महंगी प्रक्रिया होती है. ऐसे में ऐसी अचानक टैरिफ घोषणाएं हालात और मुश्किल बना देती हैं.