किसानों के लिए ATM है यह तकनीक, 20 फीसदी तक बढ़ जाएगी गेहं-सरसों की पैदावार.. अनाज से भर जाएगा घर

धान कटाई के बाद किसान गेहूं और सरसों की बुवाई में जुटे हैं. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्नत किस्में जैसे DBW 303 और पूसा मस्टर्ड 32 अपनाने से 20–25 फीसदी तक उत्पादन बढ़ सकता है. लाइन सोइंग, नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और पराली प्रबंधन जैसी तकनीकें अपनाकर किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 27 Oct, 2025 | 01:44 PM

Wheat sowing: धान कटाई के साथ ही किसानों ने सरसों और गेहूं की बुवाई शुरू कर दी है. लेकिन कई ऐसे किसान हैं, जो सरसों और गेहूं की उन्नत किस्मों को लेकर असमंजस में पड़े हुए हैं. वे फैसला नहीं कर पा रहे हैं कि कौन सी किस्म की बुवाई की जाए, जिससे अधिक पैदावार हो. ऐसे किसानों को अब चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम गेहूं और सरसों की ऐसी किस्मों के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसकी खास तरीके से बुवाई करने पर 20 फीसदी तक पैदावार बढ़ जाएगी. साथ ही खेती में लागत भी पहले के मुकाबले कम हो जाएगी.

दरअसल, किसान की चाहत होती है कि कम लागत में ज्यादा पैदावार कैसे मिले. लेकिन इसके लिए किसानों को उन्नत किस्मों का चुनाव और वैज्ञानिक तकनीक को अपनाना होगा. कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि धान की कटाई  के बाद खेत की तैयारी बहुत जरूरी है. किसान पराली को जलाने के बजाय उसका सही प्रबंधन करें. इसके लिए मिट्टी पलटने वाले हल या कल्टीवेटर से पराली को खेत में मिला दें और यूरिया या डीकंपोजर का छिड़काव करें. इससे पराली सड़कर मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन बढ़ाती है, जो जमीन की उर्वरता का मुख्य आधार होता है.

गेहूं की इन किस्मों की करें बुवाई

साथ ही खेती में समय पर बुवाई और उन्नत बीजों का चयन बहुत जरूरी है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं की आधुनिक किस्में  DBW 303, DBW 327, DBW 370, DBW 371 और HD 249 अधिक उत्पादन देती हैं. अगर किसान छिटकवा बुवाई की बजाय सीड ड्रिल से लाइन सोइंग का इस्तेमाल करते हैं, तो लगभग 10 से 12 फीसदी ज्यादा पैदावार मिलती है. खास बात यह है कि लाइन सोइंग से सिंचाई, निराई और कटाई आसान होती है, पौधों की जड़ें मजबूत बनती हैं और खाद का उपयोग भी बेहतर तरीके से होता है.

25 फीसदी तक बढ़ जाएगी पैदावार

एक्सपर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिक तरीके अपनाने से उत्पादन में 20 से 25 फीसदी तक बढ़ोतरी संभव है. उदाहरण के तौर पर, अगर किसान 1000 रुपये की लागत में 40 क्विंटल उत्पादन लेते हैं, तो वैज्ञानिक तकनीक  से यह 60 क्विंटल तक हो सकता है. वहीं, नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के छिड़काव से पौधों की वृद्धि बढ़ती है और पर्यावरण प्रदूषण घटता है.

ये हैं सरसों की उन्नत किस्में

अगर बात सरसों की उन्नत किस्मों की करें तो पूसा मस्टर्ड 32, 33, 34 और आरएस 749 बेहतर विकल्प  हो सकते हैं. इसके साथ ही एनपीएस या सिंगल सुपर फास्फेट के रूप में सल्फर का उपयोग तेल की गुणवत्ता बढ़ाता है. आलू में नैनो डीएपी से कंद उपचार भी लाभदायक है. इन आधुनिक तरीकों से किसान कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.

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Published: 27 Oct, 2025 | 01:39 PM

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