इतने दिन पर करें गेहूं की पहली, दूसरी और तीसरी सिंचाई.. थोड़ी सी चूक से चौपट हो जाएगी फसल

बिहार, झारखंड और पूर्वी यूपी में गेहूं की बुवाई पूरी हो चुकी है और किसान पहली सिंचाई की तैयारी कर रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सही समय और सही मात्रा में सिंचाई से दाना मोटा, चमकदार और वजनदार बनता है, जबकि ज्यादा पानी से उत्पादन घट सकता है.

Kisan India
नोएडा | Published: 13 Dec, 2025 | 05:11 PM

Wheat Farming: बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में गेहूं की बुवाई लगभग पूरी हो गई है. अब खेतों में बीज अंकुरित भी हो गए हैं. ऐसे में किसानों ने सिंचाई की तैयारी शुरू कर दी है. कुछ किसान ट्यूबेल से सिंचाई करेंगे तो कुछ नहर से. लेकिन सिंचाई करने से पहले किसानों को एक बात जरूर जान लेनी चाहिए. अगर किसान समय से पहले या बाद में पहली सिंचाई करते हैं, तो पैदावार पर असर पड़ सकता है. इसलिए किसानों को कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताए गए समय पर ही गेहूं की सिंचाई करनी चाहिए. इससे गेहूं के दाने चमकदार और वजनदार होते हैं. साथ ही पैदावार में बढ़ोतरी होती है.

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, गेहूं की समय पर और सही मात्रा में सिंचाई चरनी चाहिए. इससे पौधों की ग्रोथ तेजी से होती है और पैदावार भी बढ़ जाती है. क्योंकि सिंचाई  फसल की बढ़वार, जड़ों के विकास और पैदावार पर असर डालती है. एक्सपर्ट के अनुसार पहली सिंचाई अंकुरण के बाद नमी बनाए रखने के लिए जरूरी है, जबकि दूसरी और तीसरी सिंचाई फसल की बढ़त और कल्ले मजबूत करने में मदद करती हैं. सही अंतराल पर सिंचाई करने से गेहूं का दाना मोटा, भरा और उच्च गुणवत्ता वाला बनता है.

सीजन में कितनी बार होती है सिंचाई

कृषि जानकारों के मुताबिक, किसान अभी गेहूं की फसल में सिंचाई कर रहे हैं. आमतौर पर गेहूं में 3-4 सिंचाई  होती हैं, लेकिन यह जलवायु और मिट्टी के हिसाब से कम या ज्यादा भी हो सकती हैं. कृषि एक्सपर्ट का कहा कि गेहूं की फसल में सिंचाई करते समय सावधानी जरूरी है. ज्यादा पानी या जलभराव से फसल में पीलापन आ सकता है और पौधों की बढ़वार प्रभावित होगी, जिससे उत्पादन कम हो सकता है. बेहतर परिणाम के लिए हल्की सिंचाई शाम के समय करें. 

इतने दिन पर करें पहली सिंचाई

गेहूं की फसल में आमतौर पर 3-4 सिंचाई की जाती हैं, लेकिन सिंचाई के समय का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद करें, दूसरी 40-45 दिन पर और तीसरी 60-65 दिन पर करें, ताकि फसल सही तरीके से बढ़ सके. साथ ही सिंचाई करते समय हल्का पानी दें और खेत में जलभराव न होने दें. अगर पहले से बारिश हो गई हो, तो सिंचाई का समय आगे बढ़ाया जा सकता है. जरूरत से ज्यादा पानी देने से जड़ें सड़ सकती हैं, पौधों की बढ़वार रुक जाती है और दाना पतला और कमजोर बनता है. ज्यादा पानी से फफूंद और कीट रोग भी तेजी से फैलते हैं. खासकर जड़ सड़न और पीलिया  की संभावना बढ़ जाती है.

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