खरीफ सीजन में किसानों की जरूरतों को पूरा करना हर साल सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होता है. इस बार यूरिया की अचानक बढ़ी मांग ने घरेलू भंडार पर दबाव बढ़ा दिया है. नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (NFL) ने 20 लाख टन यूरिया आयात करने का टेंडर जारी किया है, ताकि किसानों को समय पर यूरिया उपलब्ध कराया जा सके. इससे पहले इंडियन पोटाश लिमिटेड (IPL) ने भी आयात का आदेश दे दिया था. यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब चीन ने अपने यूरिया निर्यात पर लगी रोक में ढील देने की संभावना जताई है, जिससे वैश्विक बाजार में राहत मिल सकती है.
यूरिया की मांग में अचानक उछाल
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 1 अगस्त तक भारत में यूरिया का स्टॉक केवल 37.19 लाख टन था, जबकि पिछले साल इसी समय यह 86.43 लाख टन था. घरेलू स्टॉक में यह भारी गिरावट और अप्रैल-जून के दौरान 12 फीसदी की बढ़ी बिक्री ने सरकार पर तत्काल कदम उठाने का दबाव बना दिया. विशेषज्ञों के अनुसार इस मांग में उछाल की मुख्य वजह अच्छी बारिश और धान व मक्का की बुवाई के लिए खेतों का बढ़ा क्षेत्रफल है.
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य सरकारों और कृषि विभागों को निर्देश दिया कि किसानों को यूरिया समय पर उपलब्ध कराया जाए और दुरुपयोग पर सख्त कार्रवाई की जाए. उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर मांग वास्तविक खेती की जरूरत के लिए है, तो यूरिया की कमी नहीं होने दी जाएगी.
आयात और वित्तीय सहायता
सरकार ने आयात प्रक्रिया को तेज और आसान बनाने के लिए इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यूरिया सब्सिडी 51.5 फीसदी बढ़ाकर 31,983.6 करोड़ रुपये कर दी है. NFL के टेंडर के तहत पूर्वी और पश्चिमी तटों पर 10-10 लाख टन यूरिया की आपूर्ति के लिए बोली लगाई गई है. इसमें चीन से लगभग 3 लाख टन यूरिया उपलब्ध कराने की संभावना है.
चीन द्वारा निर्यात प्रतिबंधों में ढील से वैश्विक बाजार में कीमतें स्थिर हो सकती हैं. वर्तमान में यूरिया की कीमत मई में 425 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 530 डॉलर प्रति टन हो चुकी है. जून में आयात में 23.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, लेकिन अप्रैल-जून में घरेलू उत्पादन में 10 फीसदी की कमी ने संकट को और बढ़ा दिया.
किसानों के लिए राहत
सरकार की हालिया पहल किसानों के लिए बड़ी राहत साबित होगी. यूरिया की समय पर उपलब्धता से खरीफ बुवाई में बाधा नहीं आएगी और किसानों को खेती की लागत में मदद मिलेगी. यह कदम खासतौर पर उन किसानों के लिए महत्वपूर्ण है, जो छोटे और मध्यम खेतों में खेती करते हैं और जिन्हें यूरिया की कमी से सबसे ज्यादा परेशानी होती है.
यानी, सरकार ने समय रहते उठाए गए कदमों के जरिए किसानों को यूरिया उपलब्ध कराने और खरीफ फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ी पहल की है.