Garlic Farming: पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में धान की कटाई शुरू हो गई है. इसके साथ ही अधिकांश किसान खेत की जुताई करने के बाद गेहूं बुवाई की तैयारी में लग गए हैं. लेकिन किसानों को मालूम होना चाहिए कि अभी लहसुन बुवाई का सीजन चल रहा है. अगर किसान धान के खेत में गेहूं के बजाए लहसुन की खेती करते हैं, तो कई गुना ज्यादा फायदा होगा और पैदावार भी बंपर होगी. हालांकि, अधिकतर किसानों को लगता है कि गेहूं की खेती में ही ज्यादा मुनाफा है. लेकिन ऐसी बात नहीं, लहसुन की खेती से भी किस्मत बदल सकती है. क्योंकि लहसुन मार्केट में बहुत ज्यादा महंगा बिकता है. तो आइए जानते हैं धान के खेत में लहसुन की बुवाई करने के लिए क्या करना चाहिए.
लहसुन एक मसाला फसल है. इसलिए बुवाई से पहले खेत की 3-4 बार गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरी बना लें. इसके बाद सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालकर मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें. इससे मिट्टी उपजाऊ बनती है और लहसुन की कलियों को भरपूर पोषण मिलता है. ऐसे लहसुन की खेती के लिए दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. इसके खेत में पानी नहीं रुकना चाहिए, वरना कंद सड़ सकते हैं.
कैसे तैयार करें लहसुन की क्यारियां
इसलए लहसुन की बिजाई से पहले खेत में छोटी-छोटी क्यारियां तैयार करना जरूरी होता है. क्यारी की चौड़ाई करीब 1 से 1.2 मीटर रखनी चाहिए, जबकि लंबाई जमीन के अनुसार तय की जा सकती है. क्यारियों के बीच 30 से 40 सेंटीमीटर की नालियां छोड़ें, ताकि सिंचाई और पानी की निकासी आसानी से हो सके.
इतने दिन पर करें लहसुन की सिंचाई
लहसुन की खेती इसकी कलियों (पोतियों) से की जाती है. बिजाई के लिए स्वस्थ, मोटी और रोगमुक्त कलियां चुननी चाहिए. हर कली को 2- 2 सेंटीमीटर गहराई तक मिट्टी में दबाएं. कतार से कतार की दूरी 15 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 7- 8 सेंटीमीटर रखें. बोते समय इस बात का ध्यान रखें कि कली का नुकीला हिस्सा ऊपर की ओर हो. साथ ही बिजाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें और फिर हर 10- 12 दिन पर पानी देते रहें. खरपतवार से बचाव के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई जरूरी है. जैविक खाद और संतुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करने से पैदावार अच्छी होती है और किसान को बेहतर मुनाफा मिलता है.
बुवाई से पहले खास बातें
अगर किसान अच्छी किस्म की कलियां चुनें और खेत की ठीक से देखभाल करें तो उन्हें बढ़िया उपज मिल सकती है, जो बाजार में अच्छे दाम पर बिकती है. एक्सपर्ट के मुताबिक, लहसुन ठंडी जलवायु की फसल है और इसकी बुवाई के लिए अक्टूबर से नवंबर तक का समय सबसे सही होता है. कुछ किसान दिसंबर में भी इसकी बिजाई करते हैं, लेकिन जल्दी बोई गई फसल ज्यादा बेहतर और महंगी बिकती है.
क्या है लहसुन का मंडी रेट
लहसुन खाने के स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ सेहद के लिए काफी फायदेमंद है. लहसुन में सल्फर यौगिक, प्रोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. अगर इसकी खेती सही तरीके से की जाए तो किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. ऐसे भी मार्केट में लहसुन का रेट गेहूं से बहुत ज्यादा होता है. मध्य प्रदेश के रतलाम जिला स्थित जावरा मंडी में 6 अक्टूबर को लहसुन का मैक्सिमम भाव 15900 रुपये क्विंटल दर्ज किया गया, जबकि गेहूं का MSP फसल सीजन 2025-26 के लिए 2585 रुपये क्विंटल है. यानी लहसुन की खेती में गेहूं के मुकाबले 6 गुना से भी ज्यादा कमाई होगी.