गेहूं बुवाई से पहले खेत में मिला दें ये पाउडर, बढ़ जाएगी मिट्टी की उर्वरा शक्ति.. जल्द अंकुरित होंगे बीज

हरियाणा, पंजाब समेत कई राज्यों में गेहूं की बुवाई शुरू होने वाली है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, बुवाई से पहले भूमि और बीज का शोधन जरूरी है. ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक रसायनों से मिट्टी की सेहत सुधरती है और बीज रोगमुक्त रहता है, जिससे फसल की पैदावार बेहतर होती है.

Kisan India
नोएडा | Published: 1 Oct, 2025 | 02:11 PM

Land Reclamation: इस महीने से हरियाणा, पंजाब सहित कई राज्यों में गेहूं की बुवाई शुरू हो जाएगी. लेकिन किसानों को मालूम होना चाहिए की गेहूं या किसी भी फसल की बुवाई करने से पहले भूमि और बीज का शोधन करना बहुत जरूरी है. इससे मिट्टी और बीज से फैलने वाले रोगों से फसल को बचाया जा सकता है. खासकर भूमि शोधन करने से मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट और फफूंद खत्म होते हैं. वहीं बीज शोधन करने से बीज से लगने वाली बीमारियां नहीं फैलतीं. इससे फसल की पैदावार भी अच्छी होती है.

कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि किसान ज्यादा पैदावार पाने के लिए लगातार रासायनिक उर्वरकों  का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे जमीन की उर्वरक क्षमता घट रही है और मिट्टी के जरूरी पोषक तत्व भी कम हो रहे हैं. क्योंकि लगातार रसायनों के इस्तेमाल से मिट्टी कमजोर हो रही है. इसे देखते हुए करीब सभी राज्यों में कृषि विभाग अब जैविक खेती को बढ़ावा देने पर काम कर रहा है, ताकि जमीन की सेहत सुधरे और पर्यावरण पर भी कम असर पड़े. ऐसे में ट्राइकोडर्मा और ब्यूवेरिया बेसियाना जैसे जैविक रसायन खेती के लिए बहुत फायदेमंद हैं. ये इंसान, जानवर और पर्यावरण के लिए पूरी तरह सुरक्षित हैं और मिट्टी में लंबे समय तक असरदार रहते हैं. इनसे फसलें बीमारियों से बचती हैं और जमीन की सेहत भी सुधरती है.

मिट्टी के शोध के फायदे

अगर किसान मिट्टी का शोधन करना चाहते हैं तो सबसे पहले 2.5 किलो ट्राइकोडर्मा पाउडर  को 35 किलो सड़ी-गली गोबर की खाद में अच्छी तरह मिलाएं और फिर इस मिश्रण को एक हफ्ते तक जूट की बोरी से ढक कर रख दें. इससे ट्राइकोडर्मा पूरे खाद में अच्छी तरह फैल जाता है. इसके बाद, जब खेत में थोड़ी नमी हो, तो बुवाई से 15 दिन पहले इस जैविक खाद को खेत में छिड़क कर मिट्टी में मिला दें. इससे मिट्टी में मौजूद हानिकारक फफूंद खत्म हो जाते हैं और जैविक खाद बनने की प्रक्रिया भी तेज हो जाती है.

इस तरह करें बीज का शोधन

वहीं, बीज का शोध  करने के लिए किसान को 1 किलो बीज के लिए 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर मिलाकर बीज शोधन कर सकते हैं. इससे बीज जनित रोगों से बचाव होता है और बीज जल्दी व बेहतर तरीके से अंकुरित होता है, जिससे फसल अच्छी और मजबूत होती है. अगर किसान चाहें, तो कैप्टान या थीरम रसायन से भी बीज का शोध कर सकते हैं. 2 से 2.5 ग्राम कैप्टान या थीरम रसायन 1 किलो बीज के शोधन के लिए काफी होता है. इसी तरह, 2 से 2.5 ग्राम बावस्टीन का भी उपयोग किया जा सकता है. अगर आपको 40 किलो बीज का शोधन करना है, तो लगभग 100 ग्राम कैप्टान या बावस्टीन की जरूरत होगी. खासकर बीज शोधन के लिए गेहूं के बीज को किसी छायादार जगह पर फर्श पर बिछाएं, फिर हल्का सा पानी छिड़कें और ऊपर से रसायन डालें. इसके बाद हाथ से बीजों को अच्छे से मिलाएं, ताकि हर बीज पर दवा अच्छे से लग जाए. बीज सूखने के बाद आप इसकी बुवाई कर सकते हैं, जिससे फसल रोगमुक्त और मजबूत होगी.

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