बंजर जमीन पर लगाएं नेपियर घास, सालों तक मिलेगा चारा और पशु का दूध बढ़ेगा

नेपियर घास कम लागत में अधिक पोषण देता है और 5-6 साल तक चारा उपलब्ध कराता है. यह दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है और बंजर भूमि का उपयोगी बनाता है, जिससे पशुपालकों की आमदनी बढ़ती है.

Kisan India
नोएडा | Published: 21 Aug, 2025 | 12:50 PM

पशुपालन आज भी ग्रामीण किसानों की आय का एक बड़ा सहारा है, लेकिन अक्सर इसमें सबसे बड़ी परेशानी होती है- पशुओं के लिए चारे का इंतजाम. गर्मियों में खेत सूख जाते हैं, बाजार में भूसे के दाम आसमान छूते हैं और किसान को अपने दुधारू पशुओं को पेट भर चारा देना तक भारी लगने लगता है. लेकिन अब इस परेशानी का हल मिल गया है- 12 फीट लंबी अफ्रीकी घास ‘नेपियर’ के रूप में. यह घास ना सिर्फ कम खर्च में ज्यादा चारा देती है, बल्कि पशुओं के दूध उत्पादन को भी चौंकाने वाले स्तर तक बढ़ा देती है. आइए जानें कैसे…

एक बार लगाओ, 6 साल तक चारा पाओ

नेपियर घास की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसे सिर्फ एक बार लगाना होता है और फिर 5 से 6 साल तक लगातार हरा, पौष्टिक चारा मिलता रहता है. इसकी जड़ों में इतनी ताकत होती है कि हर कटाई के बाद यह 10 से 15 दिन में दोबारा उग जाती है. न तो हर साल बीज खरीदने की टेंशन और न ही बार-बार बुवाई का झंझट. इसके लिए जरूरी है सिर्फ थोड़ा ध्यान- जैसे समय-समय पर निराई-गुड़ाई और गोबर की खाद देना. एक बीघा खेत में इसे उगाने का खर्च लगभग 4,000 रुपये से 6,000 रुपये आता है, लेकिन बदले में 350 से 400 क्विंटल तक हरा चारा सालभर में मिल जाता है. यानी एक बार की मेहनत, सालों का आराम.

12 फीट लंबी घास से भर जाएंगी चारे की कोठियां

नेपियर घास की ऊंचाई 8 से 12 फीट तक होती है, जिससे एक ही कटाई में काफी मात्रा में चारा मिल जाता है. यह घास दिखने में भी हरी-भरी और मोटी होती है, जिसे गाय, भैंस, बकरी सभी बड़े चाव से खाते है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सालभर के नेपियर घास से करीब 50 बकरी और कई गाय-भैंस को आराम से चारा दे सकते हैं.

दूध उत्पादन में जबरदस्त बढ़ोतरी

नेपियर घास सिर्फ चारा नहीं, एक सुपरफूड है दुधारू पशुओं के लिए. इसमें प्रोटीन, कैल्शियम और फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो गाय-भैंस के पाचन तंत्र को सुधारता है और दूध उत्पादन में सीधा इजाफा करता है. किसानों ने यह साफ महसूस किया है कि इस घास को खाने के बाद उनके पशु बीमार भी कम पड़ते हैं और रोज की दूध की मात्रा में भी 1 से 2 लीटर तक बढ़ोतरी हो जाती है. यानी अब कमाई में भी सीधा फायदा.

बंजर जमीन का बेहतर इस्तेमाल

कई बार खेत में मिट्टी कमजोर होती है या पानी की व्यवस्था नहीं होने से वो बंजर या बेकार पड़ी रहती है. ऐसे खेतों में भी नेपियर घास अच्छी तरह उगाई जा सकती है, क्योंकि इसे ज्यादा पानी या उर्वरक की जरूरत नहीं होती.बस शुरुआत में थोड़ी देखभाल जरूरी है और एक बार जड़ पकड़ ली तो यह हर मौसम में हरा रहता है. जो जमीन पहले बेकार समझी जाती थी, अब वही दूध की कमाई का जरिया बन सकती है.

अफ्रीका से आई घास, अब भारत की जरूरत

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नेपियर घास मूल रूप से अफ्रीका की उष्णकटिबंधीय फसल है, लेकिन अब भारत के कई राज्यों में इसे अपनाया जा रहा है- खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे इलाकों में. यह तेजी से चारा उत्पादन की सबसे भरोसेमंद फसल बनती जा रही है. सरकार और कृषि विश्वविद्यालय भी किसानों को इसे लगाने की सलाह दे रहे हैं. कई जिलों में तो कृषि विभाग खुद इसकी कलमें किसानों को बांट रहा है. इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है और आने वाले समय में यह हर पशुपालक की पहली पसंद बनने वाली है.

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