ब्रिटिश वाइन के लिए भारत का दरवाजा अभी बंद, FTA में नहीं मिली इन चीजों को मंजूरी

वाइन के अलावा कई दूसरे कृषि उत्पादों को भी इस छूट से बाहर रखा गया है. सरकार का मानना है कि इन वस्तुओं को विदेशी बाजार से खुला करने से घरेलू किसानों और उद्योगों को नुकसान हो सकता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 12 May, 2025 | 10:48 AM

भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच हाल ही में हुआ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) कई मायनों में अहम रहा, लेकिन इसमें एक बात साफ तौर पर सामने आई कि ब्रिटिश वाइन को भारत में कोई राहत नहीं दी गई. भारत ने तय किया है कि वह शराब जैसे संवेदनशील उत्पादों पर अपने बाजार को अभी पूरी तरह नहीं खोलेगा. इस फैसले से जहां भारतीय उद्योगों को राहत मिली है, वहीं यह एक रणनीतिक कदम भी माना जा रहा है.

वाइन और अन्य कृषि उत्पादों पर सख्ती

FTA के तहत भारत ने वाइन को ‘बहिष्कृत सूची’ में रखा है, यानी इस पर किसी भी तरह की आयात टैक्स छूट नहीं दी जाएगी. वाइन के अलावा, डेयरी उत्पाद, चीज़, सेब, ओट्स और वेजिटेबल ऑयल्स जैसे कई दूसरे कृषि उत्पादों को भी इस छूट से बाहर रखा गया है. सरकार का मानना है कि इन वस्तुओं को विदेशी बाजार से खुला करने से घरेलू किसानों और उद्योगों को नुकसान हो सकता है.

बीयर को मिली थोड़ी राहत, लेकिन सीमित

जहां ब्रिटिश वाइन को बिल्कुल बाहर कर दिया गया है, वहीं बीयर को थोड़ी राहत दी गई है. हालांकि यह छूट बहुत सीमित है और इससे बीयर को भारत में ज्यादा आसान एंट्री नहीं मिलेगी. इसका मतलब है कि बीयर पर भी टैक्स लगभग बना रहेगा और ब्रिटिश ब्रांड को भारत में बड़ा फायदा नहीं मिलेगा.

स्कॉच और कारों को मिली छूट

हालांकि शराब के कुछ वर्गों को छूट दी गई है. उदाहरण के लिए, ब्रिटिश स्कॉच व्हिस्की और जिन (Gin) पर आयात शुल्क को धीरे-धीरे 10 सालों में 150% से घटाकर 40% तक लाया जाएगा. इसी तरह ब्रिटिश कारों पर भी सीमित छूट दी गई है, लेकिन यह छूट कार की कीमत और इंजन की क्षमता जैसे तकनीकी मानकों पर आधारित होगी. सरकार ने यह भी साफ किया है कि यह सभी छूटें धीरे-धीरे लागू होंगी ताकि भारतीय कंपनियों को नुकसान न हो.

भारत में शराब का बढ़ता बाजार

भारत में शराब का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है. वाइन का मौजूदा बाजार लगभग 200 मिलियन डॉलर का है, और अनुमान है कि 2030 तक यह 700 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. वहीं, बीयर का बाजार इस समय करीब 6 बिलियन डॉलर का है, और उम्मीद की जा रही है कि यह 2034 तक 15 बिलियन डॉलर तक हो जाएगा.

फिर भी, वाइन का आयात अब भी कम

भले ही शराब की खपत भारत में तेजी से बढ़ रही हो, लेकिन वाइन का आयात अभी भी बहुत कम है. 2023-24 में भारत ने कुल 25 मिलियन डॉलर की वाइन आयात की थी, जिसमें से ब्रिटेन से सिर्फ 1 मिलियन डॉलर की वाइन आई.

भारत में वाइन का सबसे ज्यादा आयात ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, फ्रांस, इटली और स्पेन से होता है.

ऑस्ट्रेलिया को पहले ही मिली थी छूट

गौरतलब है कि भारत ने 2022 में ऑस्ट्रेलिया के साथ एक व्यापार समझौते के तहत उनकी प्रीमियम वाइन पर पहले ही टैक्स में छूट दे दी थी. ऐसे में अगर अब ब्रिटेन को भी छूट दी जाती, तो भविष्य में यूरोपीय यूनियन (EU) जैसे अन्य साझेदार भी ऐसी ही मांग करते. इसलिए भारत ने फिलहाल ब्रिटिश वाइन को छूट से बाहर रखने का फैसला किया है.

अभी लागू नहीं हुआ समझौता

हालांकि भारत और UK के बीच समझौता पूरा हो चुका है, लेकिन इसे अभी कानूनी जांच (legal vetting) के बाद ही लागू किया जाएगा. उम्मीद है कि यह समझौता अगस्त-सितंबर 2025 तक सार्वजनिक किया जाएगा. इसके बाद ब्रिटिश संसद से इसकी मंजूरी मिलनी बाकी है, और अगर सब कुछ समय से होता है तो यह 2025 के अंत तक लागू हो सकता है.

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Published: 12 May, 2025 | 10:47 AM

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