औरंगाबाद गांव के अकील अहमद के आम अब खाड़ी देशों तक पहुंचते हैं, जो कभी सिर्फ दिल्ली और पंजाब की मंडियों में बिकते थे.
अकील के पिता ने 1940 में मलिहाबाद से आकर आम की खेती शुरू की थी, जिसे अब अकील ने करोड़ों के कारोबार में बदल दिया है.
अब अकील को बाजार नहीं जाना पड़ता, देश-विदेश के व्यापारी खुद गांव आकर आम खरीदते हैं और सौदा फाइनल करते हैं.
100 एकड़ में फैले आम के बाग, जिनकी खुशबू और मिठास दूर-दराज के बाजारों को भी खींच लाती है.
'एक जनपद, एक उत्पाद' योजना के तहत सीतापुर के आम को पहचान मिली.
किसान अकील अहमद ने अपने बाप-दादा की आम की खेती को ऐसा रूप दिया कि अब उनके बागों का स्वाद खाड़ी देशों तक पहुंच रहा है.