Karwa Chauth: देशभर में धूमधाम से करवा चौथा का पर्व मनाया गया है. यह पर्व सुहागिन महिलाओं को काफी अहम होता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं. करवा चौथ का पर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी भोपाल स्थित अपने निवास पर पूरे पारंपरिक विधि-विधान के साथ मनाया. इस अवसर पर उन्होंने पूजन-अर्चन कर करवा चौथ की कथा सुनाई और आरती की.
आज चांद निकलते ही पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ करवा चौथ पर्व मनाया गया और बच्चों ने पटाखे जलाकर खुशी मनाई. इस मौके पर चंद्रोदय होने पर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की धर्मपत्नी साधना सिंह चौहान ने परंपरा के अनुरूप चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित किया तथा छलनी के माध्यम से चंद्र दर्शन कर अपने पति शिवराज सिंह चौहान के चरणों से आशीर्वाद प्राप्त किया.

कृषि मंत्री ने पत्नी का व्रत खुलवाया.
परिवार की बहुओं ने भी रखा व्रत
केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के बड़े बेटे कार्तिकेय चौहान की पत्नी श्रीमती अमानत चौहान और छोटे पुत्र कुणाल चौहान की पत्नी श्रीमती रिद्धि चौहान ने भी इस अवसर पर करवा चौथ का व्रत रखा। पूरे परिवार ने एक साथ बैठकर पूजन किया और पारंपरिक रीति से करवा चौथ पर्व की रस्में निभाईं. यह पहला अवसर है जब दोनों बेटों के विवाह के बाद पहला करवा चौथ का व्रत परिवार ने एक साथ मनाया.

कृषि मंत्री ने करवा चौथ मनाया.
करवा चौथ की कथा: वीरावती और उसके भाइयों की कहानी (Karwa Chauth Story)
मान्यताओं के अनुसार बहुत समय पहले की बात है. एक ब्राह्मण हुआ करता था, जिसका नाम द्विज था. उसके सात बेटे और एक प्यारी बेटी थी, जिसका नाम वीरावती था. जब वीरावती की शादी हुई, तो उसने अपने ससुराल से मायके आकर पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा. यह व्रत बहुत कठिन होता है — सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक न तो पानी पिया जाता है, न ही कुछ खाया जाता है.
पूरा दिन बीतने पर वीरावती बहुत कमजोर और परेशान हो गई. उसे प्यास और भूख दोनों सताने लगी. अपनी बहन की हालत देखकर उसके सातों भाई बहुत चिंतित हो उठे. वे जानते थे कि जब तक चांद नहीं निकलता, वीरावती व्रत नहीं तोड़ेगी. बहन का कष्ट देखकर उन्होंने एक उपाय सोचा. वे गांव के बाहर गए और एक बरगद के पेड़ पर जाकर एक लालटेन जलाई. फिर उसे कपड़े से ढककर इस तरह सजाया कि दूर से देखने पर वह चांद जैसा लगे.
भाइयों ने आकर बहन से कहा देखो दीदी, चांद निकल आया है! अब तुम अर्घ्य देकर व्रत खोल लो. वीरावती ने भाइयों की बात पर विश्वास किया और लालटेन की रोशनी को चांद मानकर अर्घ्य दे दिया. लेकिन जैसे ही उसने भोजन करना शुरू किया, अशुभ घटनाएं होने लगींं. उसके साथ अचानक कई विपत्तियां आईं. तभी उसे अहसास हुआ कि भाइयों ने जो किया, वह गलत था, असली चांद नहीं निकला था, और उसका व्रत अधूरा रह गया था.
जब वीरावती ने अपने भाइयों की बात मानकर झूठे चांद को अर्घ्य दिया और व्रत तोड़ा, तो उसके साथ अशुभ घटनाएं होने लगीं. बीमारी से वीरावती के पति का देहांत हो गया. इससे दुखी वीरावती के सामने देवी इंद्राणी प्रकट हुईं. उन्होंने वीरावती से कहा कि बेटी, तुमने छल से समय से पहले व्रत तोड़ा है, यही तुम्हारे पति की मृत्यु का कारण बना. लेकिन अगर तुम सच्चे मन से अपने पति का जीवन चाहती हो, तो अगले वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पूरे विधि-विधान और निष्ठा से यह व्रत पुनः करो.
वीरावती ने देवी की आज्ञा स्वीकार की और अगले वर्ष पूर्ण श्रद्धा के साथ करवा चौथ का व्रत रखा. उसकी भक्ति और आस्था से प्रसन्न होकर देवी इंद्राणी ने वरदान दिया, जिससे वीरावती के पति को फिर से जीवन मिला.