रबी की फसलों की बुवाई का समय चल रहा है और खेतों में हलचल तेज़ है. इस मौसम में गेहूं प्रमुख फसल होती है, जिसे अच्छी पैदावार के लिए समय पर और संतुलित सिंचाई की जरूरत होती है. अक्सर किसानों को जानकारी के अभाव में यह नहीं पता होता कि कब और कितनी बार सिंचाई करनी है. नतीजा या तो जरूरत से ज़्यादा पानी, या समय से पहले सूखा खेत! इसलिए सिंचाई का सही तरीका जानना हर किसान के लिए जरूरी है.
गेहूं में सिंचाई क्यों है जरूरी?
गेहूं एक ऐसी फसल है जो ठंड के मौसम में पनपती है लेकिन उसे नियमित रूप से नमी की जरूरत होती है. अगर सही समय पर पानी नहीं दिया गया तो पौधे कमजोर हो जाते हैं, कल्ले कम निकलते हैं और दाने छोटे रह जाते हैं. दूसरी तरफ अगर जरूरत से ज्यादा सिंचाई कर दी गई तो जड़ें गल सकती हैं और रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है. इसीलिए संतुलित सिंचाई का महत्व और भी बढ़ जाता है.
पहली सिंचाई कब करें?
बुवाई के लगभग 20 से 21 दिन बाद गेहूं की पहली सिंचाई करनी चाहिए. यह समय पौधे की जड़ों की मजबूती और कल्ले बनने की शुरुआत का होता है. इस समय अगर नमी की कमी हो गई तो आगे चलकर पूरी फसल पर असर पड़ सकता है. पहली सिंचाई हल्की होनी चाहिए ताकि मिट्टी में नमी बने लेकिन पानी रुक न जाए.
दूसरी, तीसरी और चौथी सिंचाई का समय और तरीका
गेहूं की कुल 4 से 5 बार सिंचाई की सलाह दी जाती है. इसके समय और फायदे निम्नलिखित हैं:-
- दूसरी सिंचाई: बुवाई के 45 से 50 दिन बाद. इस समय पौधे में फूल आने शुरू होते हैं. अगर इस समय पर्याप्त नमी मिले तो दाने भरने की प्रक्रिया मजबूत होती है.
- तीसरी सिंचाई: 55 से 60 दिन बाद. इस सिंचाई से पौधों को आगे की ग्रोथ के लिए ऊर्जा मिलती है.
- चौथी सिंचाई: 75 से 80 दिन पर करें. इस समय पौधा दाने भरने के चरण में होता है और ज्यादा पानी की जरूरत होती है.
अंतिम सिंचाई: गर्मी से बचाने के लिए सबसे जरूरी स्टेप
अंतिम यानी पांचवीं सिंचाई लगभग 110 दिन बाद करनी चाहिए, जब फसल पकने की ओर बढ़ रही हो. इस समय कई बार तापमान अचानक बढ़ जाता है जिसे टर्मिनल हीट कहा जाता है. इससे गेहूं के दाने सिकुड़ जाते हैं या चटक जाते हैं. अंतिम सिंचाई से पौधों को ठंडक मिलती है और दाने अच्छी तरह भरते हैं. इस सिंचाई से पैदावार में सीधा असर दिखता है.
खरपतवार और साफ-सफाई का रखें ध्यान
सिंचाई तभी प्रभावी होगी जब खेत में खरपतवार यानी अनावश्यक घास-पात न हों. ये न सिर्फ फसल से पोषण और पानी छीनते हैं बल्कि बीमारियों का भी कारण बन सकते हैं. हर सिंचाई से पहले खेत की सफाई और निराई-गुड़ाई ज़रूरी है. इससे पौधे खुलकर सांस लेते हैं और पानी का असर दोगुना होता है.
समय पर सिंचाई, ज्यादा पैदावार
कई अनुभवी किसानों का मानना है कि यदि सिंचाई समय पर की जाए, तो पैदावार अच्छी होती है. उनका तरीका यह है कि पहली सिंचाई पौधों के पत्ते निकलने के बाद की जाती है. साथ ही, हर बार पानी देने से पहले मिट्टी को जांचा जाता है कि वाकई उसमें नमी की जरूरत है या नहीं. इससे पानी की भी बचत होती है और फसल भी संतुलित रहती है.