हर साल खरीफ की शुरुआत के साथ देशभर में कपास की बुवाई जोरों पर होती है, लेकिन इस बार बीज कंपनियों के चेहरे पर चिंता की लकीरें हैं. वजह है गैरकानूनी हर्बीसाइड टॉलरेंट (HT) कपास बीजों की बाढ़. इन बीजों की बिक्री इतने बड़े पैमाने पर हुई है कि वैध कंपनियों के लिए जगह ही नहीं बची. जो बीज कंपनियां एक साल पहले तैयारी कर चुकी थीं, उनके सामने अब करोड़ों पैकेट बिना बिके रह गए हैं.
क्या हैं ये HT बीज और क्यों हैं गैरकानूनी?
HT बीज कपास की तीसरी पीढ़ी की जेनेटिक तकनीक पर आधारित होते हैं, जो फसलों को खरपतवारनाशक (herbicide) के असर से सुरक्षित रखते हैं. जब खेतों में खरपतवार नाशक छिड़का जाता है, तब ये फसल तो बच जाती है लेकिन घास-पात नष्ट हो जाते हैं. हालांकि भारत में इस तकनीक को अभी तक कानूनी मंजूरी नहीं मिली है, फिर भी ये बीज चोरी-छिपे धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं.
बेहद गंभीर है स्थिति
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, बीज कंपनियों का कहना है कि पहले हर साल करीब 30-40 लाख गैरकानूनी HT बीज के पैकेट बेचे जाते थे, लेकिन इस साल ये संख्या 1 करोड़ पहुंच गई है. जबकि देश में कुल कानूनी मांग लगभग 4 से 4.5 करोड़ बीज पैकेट की होती है. इसका मतलब है कि बाजार का लगभग एक चौथाई हिस्सा अब अवैध बीजों से भर गया है.
बिजनेस लाइन से बात करते हुए, एक बीज कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमारे बीज बाजार में पहुंचने से पहले ही गैरकानूनी HT बीजों की बिक्री पूरी हो चुकी थी. इससे हमारी बिक्री प्रभावित हुई और अब गोदामों में 7 करोड़ पैकेट बिना बिके पड़े हैं. अगले साल तक ये आंकड़ा 8.5 करोड़ पहुंच सकता है.”
बीज उद्योग पर पड़ रहा है गहरा असर
बीज कंपनियों ने खरीफ 2025 के लिए पहले से भारी मात्रा में बीज तैयार किया था, लेकिन जब बिक्री नहीं हुई, तो कंपनियों को बड़ा घाटा हुआ. कंपनियों ने इस साल 4 करोड़ नए पैकेट तैयार किए हैं, जबकि 3.5 करोड़ पैकेट पहले से बचे हुए हैं. इसका मतलब है कि 2026-27 सीजन में कुल 7.5 करोड़ बीज पैकेट उपलब्ध होंगे, जबकि मांग उससे कहीं कम है.
सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग
रासी सीड्स के चेयरमैन एम. रामासामी ने कहा कि अगर सरकार ने अवैध HT बीज उत्पादकों पर सख्ती नहीं दिखाई, तो कपास बीज उद्योग पूरी तरह तबाह हो जाएगा. उन्होंने सुझाव दिया कि कंपनियों को 2026 में बीज उत्पादन ही बंद कर देना चाहिए, ताकि बाजार का संतुलन वापस आ सके.
किसानों की मजबूरी बनते जा रहे हैं अवैध बीज
गांवों में कई किसान इन गैरकानूनी बीजों की ओर इसलिए आकर्षित हो जाते हैं क्योंकि इनसे खरपतवार को मारने की मेहनत और लागत कम हो जाती है. लेकिन इसका दीर्घकालिक असर न सिर्फ मिट्टी की सेहत पर पड़ता है, बल्कि बीज उद्योग की नींव भी हिलने लगती है.