काला चना पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसको खाने से बहुत से स्वास्थ्य संबंधी फायदे होते हैं. काले चने की खेती के लिए नवंबर के आखरी दिनों में बीज बोना सबसे अच्छा होता है. चने की खेती से किसानों को अच्छी उपज मिलती है. लेकिन चने की फसल के लिए जरूरी है कि किसान मिट्टी में सही खाद का इस्तेमाल करें ताकि मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाया जा सके. तो चलिए आज इस खबर में जान लेते हैं कि कैसे होती है काले चने की खेती. काले चने में प्रोटीन, फाइबर, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटामिन बी, सी और डी जैसे पोषक तत्व होते हैं. जो कि सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद होते हैं.
ऐसे करें खेत की तैयारी
चने की खेती के लिए दोमट या भारी दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. काले चने की फसल की बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए .जुताई के लिए मिट्टी पलटने वाले हल से करीब 6 इंच गहरी जुताई करें. इसके बाद दो बार मिट्टी की जुताई हल या कल्टीवेटर से करें. इसके बाद खेत की मिट्टी को पाट कर समतल कर लें. मिट्टी में 15 टन गोबर की खाद या 5 क्विंटल वर्मी कमपोस्ट मिलाएं. इसके अलावा 20 किलो नाइट्रोजन और 40 किलो फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर खेत में मिलाएं.
इस तरह करें बीजों की बुवाई
काले चने के बीजों को बोने से पहले राइबोजियम कल्चर से उनका उपचार करें. खेत के जिन हिस्सों में सिंचाई की जाती है वहां काले चने के बीजों को करीब 7 सेमी गहराई तक बोना सही रहता है. बीजों के कतार से कतार की दूरी कम से कम 30 सेमी रखें. इसके साथ ही किसान इस बात की ध्यान रखें जिन हिस्सों में उकसा का प्रभाव है वहां पर बीजों की बुवाई और गहरी करें और देरी से करें.
नियमित रूप से करें सिंचाई
काले चने की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु के अनुसार एक से दो बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है. इसके लिए आप पहली सिंचाई बुवाई के 40 से 50 दिन बाद और दूसरी सिंचाई दूसरी फली आने पर करें. अगर सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी न उपलब्ध हो तो 60 दिन पर एक सिंचाई करें. ध्यान रखें कि हल्की सिंचाई करें. जरूरत से ज्यादा सिंचाई करने पर आपकी फसल खराब हो सकती है.