देश में किसान धान की रोपाई लगभग पूरी कर चुके हैं. लेकिन आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि धान की फसल को ज्यादा पानी यानी सिंचाई की जरूरत होती है. ऐसे में किसानों को ज्यादा पानी की जरूरत होती है. घटते जलस्तर के कारण किसानों को खेती के लिए पानी की व्यव्सथा करने में समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसे में किसानों की इस समस्या का समाधान करने के लिए कृषि वैज्ञानिक किसानों को डीएसआर (Direct Seeded Rice) तकनीक से धान की खेती करने को प्रोत्साहित करते हैं. ऐसे में धान की खेती करते समय किसानों को कुछ बातों का खास खयाल रखना चाहिए. बता दें कि धान की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए किसानों को सही समय और समय तरीके से सिंचाईस करनी चाहिए.
रोपाई के समय पानी की जरूरत
आज भी बहुत से किसान ऐसे हैं जो परंपरागत तरीके से धान की रोपाई करते हैं , उनके लिए बेहद जरूरी है कि वे धान की रोपाई से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर लें. इसके लिए किसान खेत में पानी भरकर रोटावेटर से जुताई करते हैं. पौधों की रोपाई के समय किसानों को ध्यान रखना चाहिए कि खेत में 3 से 5 सेमी पानी होना चाहिए. बता दें कि रोपाई के बाद भी खेत में करीब 10 से 15 दिन तक इतना पानी बनाकर रखें. पानी की कमी होने की स्थिति में धान की फसल के बीच खरपतवार उग आते हैं जो पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं.
सही तरीके से करें सिंचाई
धान की रोपाई के 20 से 25 दिन के बाद धान के पौधे में कल्ले निकलने लगते हैं. उस समय खेत में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. लेकिन किसानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए खेत में नमी बना कर रखें. अगर समय पर बारिश न हो तो खेत को पानी दें, बारिश न होने पर सिंचाई न करने की स्थिति में खेत में दरार पड़ने लगती है. जिसके कारण पौधों के विकास पर असर पड़ता है और पैदावार भी कम होती है. साथ ही कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो धान के पौधे में बाली निकलने पर किसानों को फसल की सिंचाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि बाली निकलने के बाद दूध से दाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. उस समय खेत में 3 से 5 सेंटीमीटर तक पानी भरें. इस समय पौधे को पानी की ज्यादा जरूरत होती है.
ज्यादा पानी से खराब हो सकती है फसल
धान की फसल में जरूरत से ज्यादा पानी भरने से पौधे रोग के चपेट में आ जाते हैं. ज्यादा दिन तक पानी भरा रहने की वजह से गर्मी के मौसम में पानी का तापमान बढ़ता है. जिसका सीधा असर धान के पौधों की जड़ों पर पड़ता है. जिसके कारण धान के पौधे ऑक्सीजन भी नहीं ले पाते हैं. ऐसे में धान के पौधे की जड़ें काली और पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं. अगर किसानों को अपनी फसल में ऐसे लक्षण दिखने लगे तो उन्हें फसल की सिंचाई को लेकर विशेष ध्यान देना चाहिए.