वायरस के बाद अब बारिश से फसल बर्बाद, किसानों ने की 60 हजार रुपये एकड़ मुआवजे की मांग

हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में मार्कंडा नदी के तेज बहाव और ड्वार्फ वायरस ने किसानों की धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. शाहाबाद और पिहोवा क्षेत्र के हजारों एकड़ खेत डूब गए हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 2 Sep, 2025 | 05:14 PM

हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में मार्कंडा नदी में तेज बहाव ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र के धान किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. नदी का पानी खेतों में भर जाने से कई गांवों के किसानों की हजारों एकड़ धान की फसलें डूब गई हैं. टंगौर, कठवा, झांसा, थसका मीरांजी, झरौली खुर्द, कंकड़ा शाहाबाद, पट्टी झामड़ा, मलिकपुर, मुगल माजरा, दुनिया माजरा, खंजरपुर और गुमटी जैसे गांवों के किसान अब भारी नुकसान का सामना कर रहे हैं. वहीं, किसानों ने 60 हजार रुपये एकड़ मुआवजे की मांग की है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों ने कहा कि पहले तो सदर्न राइस ब्लैक स्ट्रिक्ड ड्वार्फ वायरस ने फसल को नुकसान पहुंचाया और अब लगातार खेतों में नदी का पानी भरने से धान की फसल पूरी तरह डूब चुकी है. रोज बीतते समय के साथ उनकी उम्मीदें भी टूट रही हैं. शाहाबाद के किसान विक्रम कुमार ने कहा कि मेरे तीन एकड़ में धान की फसल है, जो पूरी तरह पानी में डूबी है. चुनाव के समय नेता समाधान का वादा करते हैं, लेकिन बाद में कोई लौटकर नहीं आता. अब तो सिर्फ पानी उतरने का इंतजार है.

किसानों ने की मुआवजे की मांग

पिहोवा के भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता प्रिंस वरैच ने कहा कि पहले ड्वार्फ वायरस ने किसानों की फसल खराब की, खासकर पिहोवा इलाके में. लेकिन अब नदी के पानी ने किसानों की सहनशीलता की परीक्षा ले ली है. इस साल शाहाबाद और पिहोवा इलाकों में हजारों एकड़ फसल पानी और वायरस की वजह से खराब हो चुकी है. असमानपुर गांव के एक किसान ने तो 10 एकड़ में खड़ी फसल खुद ही नष्ट कर दी, क्योंकि वह वायरस से बुरी तरह प्रभावित थी. उन्होंने सरकार से 60,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की मांग की.

कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ. करमचंद ने कहा कि धान वैसे तो पानी वाली फसल है, लेकिन इस समय वह फूल आने के चरण में है. इस समय अधिक और ठहरा हुआ पानी नुकसानदायक होता है. हालांकि, पानी लगातार बह रहा है और उसका स्तर ऊपर-नीचे हो रहा है, इसलिए कुछ उम्मीद है कि फसल बच भी सकती है. लेकिन टंगौर, कलसाना, कठवा और सुलखनी जैसे निचले इलाकों में फसल को पानी से ज्यादा नुकसान हो रहा है.

वायरस से 10,000 एकड़ फसल बर्बाद

किसान ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपनी फसल का नुकसान दर्ज करवा रहे हैं. अब तक 75 गांवों को प्रभावित गांवों की सूची में शामिल किया गया है. नुकसान का पूरा आकलन गिरदावरी के बाद ही सामने आएगा. कृषि अधिकारियों ने कहा कि पहले भी ड्वार्फ वायरस से कुरुक्षेत्र में लगभग 10,000 एकड़ फसल प्रभावित हुई थी. बाला में भी धान की खेती कर रहे किसानों को मारकंडा, बेगना और टांगरी नदियों के पानी के बहाव की वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, बराड़ा, मुल्लाना और अंबाला-1 ब्लॉकों में लगभग 3,000 से 4,000 एकड़ में धान की फसल पानी से प्रभावित हुई है. हालांकि, असली नुकसान का आकलन पानी निकलने के बाद ही हो पाएगा.

 

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Published: 2 Sep, 2025 | 05:05 PM

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