गोबर से बनाएं ईंट और कमाएं लाखों, जानिए आसान तरीका

ये कोई साधारण ईंट नहीं है. गोबर की ईंटें पर्यावरण के अनुकूल, सस्ती और टिकाऊ होती हैं. इन्हें बनाने के लिए न तो भारी मशीनों की जरूरत है, न ही कोयले से भट्ठियां जलानी पड़ती हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 12 May, 2025 | 08:14 AM

कहते हैं, जहां चाह वहां राह. अगर आपके पास गाय-बैल हैं और आप चाहते हैं कि बिना बड़ी लागत लगाए हर महीने कमाई हो, तो आपके लिए एक सुनहरा मौका है गोबर से ईंट बनाने का. जी हां, वही गोबर जो आज तक सिर्फ खाद या कंडे बनाने में इस्तेमाल होता रहा है, अब आपकी आमदनी का जरिया बन सकता है.

क्या है खास गोबर की ईंट में?

ये कोई साधारण ईंट नहीं है. गोबर की ईंटें पर्यावरण के अनुकूल, सस्ती और टिकाऊ होती हैं. इन्हें बनाने के लिए न तो भारी मशीनों की जरूरत है, न ही कोयले से भट्ठियां जलानी पड़ती हैं. इससे प्रदूषण भी कम होता है और लागत भी घटती है.

दरअसल, एक्सपर्ट्स मामने हैं कि गाय और बैल के गोबर से बनने वाली ये ईंटें कई मामलों में साधारण ईंटों से कहीं बेहतर होती हैं. इनके साथ आप मिट्टी, चूना और कुछ प्राकृतिक सामग्री मिलाकर घर बनाने के अन्य हिस्से, जैसे प्लास्टर, छत की स्लैब और मड फ्लोरिंग भी तैयार कर सकते हैं.

गोबर की ईंट के फायदे

कम लागत, ज्यादा मुनाफा
ईंटें बनाने में बर, मिट्टी और चूना सामग्री लगती है, ये आसानी से गांवों में उपलब्ध होती है.

सालभर कमाई का साधन
एक गाय या बैल से रोज जो गोबर मिलता है, उससे लगातार ईंटें बनाई जा सकती हैं.

पर्यावरण के लिए फायदेमंद
गोबर की ईंटें कार्बन उत्सर्जन नहीं करतीं, जबकि सीमेंट और पक्की ईंटों से बने घरों से हजारों किलो कार्बन निकलता है.

मिट्टी के घरों की लंबी उम्र
पुराने जमाने में बने मिट्टी के मकान 200–300 साल तक टिके हैं. ये इमारतें आज भी खड़ी हैं, जो इसकी ताकत का सबूत हैं.

कैसे बनती है गोबर की ईंट?

गोबर से ईंट बनाना जितना आसान है, उतना ही कम खर्चीला भी.

सामग्री:

  • 100 किलो गोबर
  • 50 किलो देसी मिट्टी
  • 6 किलो चूना

ध्यान रखने वाली बातें

गोबर 24 घंटे से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए. इसके लिए सामग्री को अच्छे से मिलाकर आटे जैसा गूंथा जाता है और इसे सांचे में डालकर 15 दिन धूप में सुखाया जाता है.

इसमें पानी का उपयोग नहीं होता

इस मात्रा से 70 से अधिक ईंटें तैयार की जा सकती हैं. यह फॉर्मूला विशेष रूप से राजस्थान और कम वर्षा वाले इलाकों के लिए उपयुक्त है. अन्य क्षेत्रों में मिट्टी और नमी के अनुसार मिश्रण बदला जा सकता है.

किसे फायदा हो सकता है?

  • छोटे किसान, जिनके पास ज्यादा जमीन नहीं है, पर गाय-बैल हैं
  • पशुपालक, जिनके पास गोबर रोजाना उपलब्ध है
  • ग्रामीण उद्यमी, जो कम लागत में बड़ा बिजनेस करना चाहते हैं
  • नए स्टार्टअप, जो इको-फ्रेंडली निर्माण सामग्री के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं

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