AI तकनीक से खेती होगी स्मार्ट, किसानों को मिलेगा ज्यादा मुनाफा, जानिए कैसे?

मौसम पहले जैसा नहीं रहा कभी बारिश एकदम देर से होती है, तो कभी एक ही दिन में कई दिनों का पानी बरस जाता है. गर्मी के दिन बढ़ रहे हैं और मिट्टी भी लगातार तनाव झेलते हुए कमजोर हो रही है. ऐसे समय में किसानों के पास एक नई ताकत उभरकर सामने आई है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI).

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 18 Nov, 2025 | 09:24 AM

AI in agriculture: आज खेती सबसे बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है. मौसम पहले जैसा नहीं रहा कभी बारिश एकदम देर से होती है, तो कभी एक ही दिन में कई दिनों का पानी बरस जाता है. गर्मी के दिन बढ़ रहे हैं और मिट्टी भी लगातार तनाव झेलते हुए कमजोर हो रही है. ऐसे समय में किसानों के पास एक नई ताकत उभरकर सामने आई है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI).

AI खेती को नहीं बदल रहा, बल्कि किसानों के फैसलों को और समझदार बना रहा है. आने वाले सालों में यह तकनीक खेती को जलवायु अनिश्चितता से बचाने का सबसे बड़ा हथियार बन सकती है.

जब खेती बनेगी ‘प्रिसिजन खेती’

किसान का अनुभव और जमीन की समझ हमेशा महत्वपूर्ण रहेगी, लेकिन एआई इसे और मजबूत करता है. नई तकनीक उपग्रह चित्र, ड्रोन सर्वे, मिट्टी के सेंसर, मौसम के रिकॉर्ड और पिछले सालों की पैदावार इन सभी को एक साथ जोड़कर यह बताती है कि खेत का कौन सा हिस्सा कितने पानी, खाद या देखभाल की जरूरत रखता है. पहले एक ही तरह से पूरे खेत में खाद या पानी दिया जाता था. अब एआई बताता है कि किस हिस्से में कम और किस हिस्से में ज्यादा देना चाहिए. इससे पानी, खाद और मेहनत तीनों की बचत होती है, और पैदावार स्थिर रहती है.

नुकसान होने से पहले तैयारी

एआई का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह मौसम और फसल पर आने वाले खतरे को पहले ही पहचान लेता है. सालों के मौसम रिकॉर्ड, फसल की वृद्धि और कीटों के फैलाव के आधार पर यह बताता है

  • कब हीटवेव आने वाली है
  • बुवाई की सही तारीख क्या होनी चाहिए
  • किस दिन फसल पर कीट हमला कर सकता है
  • कब बारिश के आसार ज्यादा हैं

इस तरह किसान समय रहते बीज बदल सकते हैं, जाल लगा सकते हैं, सिंचाई बढ़ा सकते हैं या स्प्रे का समय तय कर सकते हैं. एक छोटा-सा बदलाव भी पूरी फसल को बचा सकता है.

टिकाऊ खेती की नई दिशा

एआई अब खेती को सिर्फ उत्पादक नहीं, बल्कि ज्यादा टिकाऊ भी बना रहा है. इससे किसान खाद और पानी का इस्तेमाल बिल्कुल जरूरत के अनुसार कर पाते हैं, जिससे खर्च कम होता है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचता. सटीक मात्रा में खाद डालने से नाइट्रस ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें कम बनती हैं और सही समय पर सिंचाई होने से बिजली और भूजल की बचत होती है. एआई की मदद से किसान कम संसाधनों में ज्यादा सुरक्षित और पर्यावरणअनुकूल खेती कर पा रहे हैं.

कई कंपनियां अब किसानों को यह दिखाने लगी हैं कि

  • उन्होंने एक किलो फसल में कितना पानी इस्तेमाल किया
  • कितनी खाद बचाई
  • मिट्टी की सेहत कितनी सुधरी
  • यह आंकड़े आगे चलकर किसान को अच्छा दाम दिला सकते हैं.

मोबाइल पर तुरंत सलाह

एआई की एक खासियत यह भी है कि सलाह सिर्फ स्मार्टफोन तक सीमित नहीं है. कई सेवाएं किसानों को साधारण फोन पर मैसेज भेजती हैं, जैसे अगले 48 घंटों में स्प्रे कर लें, बारिश आने वाली है, कटाई टालें, इस हफ्ते मंडी में दाम बढ़ सकते हैं, इससे किसान अपने समय, मेहनत और लागत का बेहतर इस्तेमाल कर पाते हैं.

चुनौती और आगे का रास्ता

हर किसान सेंसर या ऐप नहीं खरीद सकता. कई गांवों में नेटवर्क भी ठीक नहीं होता. इसलिए जरूरी है कि सरकार और प्राइवेट कंपनियां मिलकर

  • गांवों में डेटा नेटवर्क मजबूत करें
  • सफल मॉडल के आधार पर सब्सिडी या समर्थन दें
  • एआई सलाह को स्थानीय भाषा और जरूरतों के हिसाब से बनाएं
  • तकनीक तभी उपयोगी है जब वह किसानों तक सही समय पर पहुंचे.

जहां हर फैसला समय पर और समझदारी से

  • जलवायु अनिश्चितता पूरी तरह खत्म नहीं होगी. लेकिन एआई इसे काबू में करने योग्य जरूर बना देगा.
  • सूखे को रोका नहीं जा सकता, लेकिन पानी की बचत की जा सकती है.
  • कीटों को खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन नुकसान आधा किया जा सकता है.
  • आने वाले सालों में जो किसान एआई को अपने अनुभव के साथ जोड़ेंगेवे ही सबसे मजबूत, सुरक्षित और लाभदायक खेती कर पाएंगे.

एआई अब भविष्य नहीं, किसानों का आज बन चुका है और यही खेती को जलवायु संकट से उबारने का रास्ता है.

 

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