पशुओं को बांझपन से मुक्ति दे रहा आर्टिफिशियल इंसेमिनेशन, किसानों को हो रहा दोगुना फायदा

गांव हो या शहर, आज लोग दूध और दुग्ध उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए इस क्षेत्र की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. सरकार भी पशुपालकों को इस काम में मदद देने के लिए कई योजनाएं चला रही है. ऐसे में अब किसानों के बीच कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination- AI) की तकनीक सबसे लोकप्रिय हो रही है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 16 Sep, 2025 | 01:17 PM

पशुओं में बांझपन की विकराल होती समस्या को आर्टीफिशियल इंसेमिनेशन (AI) यानी कृत्रिम गर्भाधान ने दूर करने में काफी मदद की है. इसके चलते दूध उत्पादन के साथ पशुपालकों के बाड़े में पशुओं की संख्या बढ़ाने में भी कारगर साबित हुआ है. इससे पशुपालकों को दोगुना लाभ हो रहा है. कृत्रिम गर्भाधान तकनीक से गाय और बकरियों में दूध उत्पादन बढ़ेगा, नस्ल सुधरेगी और पशुपालकों की आय में वृद्धि होगी. सरकार इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सहायता दे रही है.  इस तकनीक के जरिए बेहतर नस्ल के पशु तैयार किए जा सकते हैं और दूध उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है.

कृत्रिम गर्भाधान क्या है?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कई किसान अब भी इस तकनीक के बारे में पूरी जानकारी नहीं रखते. सरल भाषा में समझें तो कृत्रिम गर्भाधान  (Artificial Insemination) एक ऐसी विधि है जिसमें नर पशु के वीर्य को सुरक्षित रखकर सीधे मादा पशु के गर्भाशय में डाला जाता है. यह एक वैज्ञानिक तकनीक है जिसे सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (ART) कहा जाता है. इससे पशुओं की नस्ल को सुधारा जा सकता है और उनकी उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है. खासकर गाय और बकरी में इसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जा रहा है.

बकरियों में क्यों फायदेमंद है एआई तकनीक?

बकरी पालन ग्रामीण इलाकों में आमदनी का बड़ा साधन है. लेकिन कई बार बकरियों की ग्रोथ रेट और शिशुओं की मृत्यु दर पशुपालकों के लिए नुकसानदायक साबित होती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, AI तकनीक से बकरियों को एक ही समय पर गर्भवती किया जा सकता है. इससे शिशुओं की देखभाल करना आसान हो जाता है. इस विधि से पैदा हुई बकरी लगभग 1.5 लीटर दूध देती है, जिसमें प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है. सामान्य रूप से एक बकरी 14 महीने में 3- 40 किलो वजन तक पहुंच जाती है, लेकिन बढ़ते समय में इसमें देरी होती है. AI से यह समस्या काफी हद तक कम हो सकती है. इस तरह यह तकनीक बकरी पालन को और अधिक लाभकारी बना रही है.

देसी गायों में एआई का उपयोग

भारत में गाय को हमेशा से विशेष महत्व दिया गया है, खासकर देसी नस्ल की गायों का. कृत्रिम गर्भाधान से इनकी गुणवत्ता और भी बढ़ाई जा सकती है. एआई तकनीक से गायों में अच्छी नस्ल के बछड़े जन्म लेते हैं, जैसे साहिवाल और थारपारकर. इससे गाय का दूध उत्पादन बढ़ता है और वह लगभग 11 महीने तक दूध देती रहती है. इस विधि से आवारा पशुओं की संख्या में भी कमी आती है, क्योंकि हर गाय को समय पर गर्भधारण कराया जा सकता है. इसका सीधा लाभ किसानों को अधिक दूध और बेहतर नस्ल के पशु के रूप में मिलता है.

किसानों को क्या फायदा होगा?

  • पशुपालन से जुड़े किसानों के लिए यह तकनीक कई तरह से लाभकारी है.
  • दूध उत्पादन बढ़ने से उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.
  • बेहतर नस्ल के पशु तैयार होने से बाजार में उनकी कीमत ज्यादा मिलेगी.
  • एक ही समय पर कई पशुओं का गर्भाधान होने से देखभाल आसान हो जाती है.
  • पशुओं की मृत्यु दर और बीमारियों में कमी आती है.
  • सरकार की ओर से इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं में सब्सिडी भी दी जाती है.

सरकार की पहल और भविष्य

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार लगातार पशुपालन को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है. किसानों को AI तकनीक सस्ती दरों पर उपलब्ध कराने के लिए गांव-गांव तक केंद्र खोले जा रहे हैं. प्रशिक्षित पशु चिकित्सक इस तकनीक को आसानी से किसानों तक पहुंचा रहे हैं. भविष्य में अगर यह तकनीक और ज्यादा किसानों तक पहुंची, तो दूध उत्पादन में कई गुना बढ़ोतरी होगी और भारत दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक देशों में और मजबूत स्थिति हासिल करेगा.

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Published: 16 Sep, 2025 | 11:55 AM

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