कुछ साल पहले तक भारत की कॉफी केवल कुछ खास बाजारों तक सीमित थी. लेकिन अब देश की कॉफी दुनिया के नक्शे पर अपनी अलग पहचान बना रही है. पिछले 11 वर्षों में भारत का कॉफी निर्यात 125 फीसदी बढ़ गया है. जहां 2014-15 में यह आंकड़ा 800 मिलियन डॉलर था, वहीं 2024 में यह बढ़कर 1.8 अरब डॉलर को पार कर गया.
इस उपलब्धि के पीछे कॉफी बोर्ड ऑफ इंडिया ने कई अहम कदम उठाएं हैं. ऑनलाइन निर्यात परमिट, प्रमाण पत्रों की डिजिटल प्रक्रिया और किसानों के साथ संवाद ने कॉफी व्यापार को नई ऊंचाई दी है. यूरोप भारत की कॉफी का सबसे बड़ा खरीदार बना हुआ है खासकर इटली, जर्मनी और बेल्जियम. इसके अलावा जापान और दक्षिण कोरिया जैसे बाजारों में भी भारत की कॉफी का स्वाद पसंद किया जा रहा है.
सरकार की मदद और किसानों को प्रोत्साहन
कॉफी के प्रसंस्करण के लिए रोस्टिंग, ग्राइंडिंग और पैकेजिंग मशीनों पर सरकार 40 फीसदी तक सब्सिडी देती है, जो अधिकतम 15 लाख रुपए तक हो सकती है. इसके साथ ही, खास देशों में उच्च गुणवत्ता वाली कॉफी के निर्यात पर 2 से 3 रुपये प्रति किलो तक की सहायता भी दी जाती है.
शेड ग्रोन कॉफी: टिकाऊ खेती की मिसाल
भारत की कॉफी अधिकतर छांवदार पेड़ों के नीचे उगाई जाती है, जिससे पर्यावरण को भी लाभ होता है. इसे ‘शेड ग्रोन कॉफी’ कहा जाता है जो जैव विविधता, जल-संरक्षण और कार्बन अवशोषण में मदद करती है. यह यूरोपीय संघ के सख्त वन संरक्षण कानूनों के अनुरूप है, जिससे भारत को वैश्विक बाजारों में बढ़त मिल सकती है.
स्पेशलिटी कॉफी को वैश्विक पहचान दिलाने की कोशिश
South India Coffee Company जैसे स्टार्टअप भी अब इस मिशन में शामिल हो गए हैं. इसके संस्थापक अक्षय दशरथ और कोमल साबले भारतीय स्पेशलिटी कॉफी को दुनिया भर में पहचान दिलाने के लिए स्थानीय किसानों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
भारत की कॉफी इंडस्ट्री का कद
भारत में कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु प्रमुख कॉफी उत्पादक राज्य हैं. करीब 3.6 लाख टन सालाना उत्पादन के साथ भारत दुनिया का 7वां सबसे बड़ा उत्पादक और 5वां सबसे बड़ा निर्यातक देश है. इस उद्योग से करीब 20 लाख लोग जुड़े हुए हैं, जो इसे न सिर्फ एक व्यापारिक ताकत बनाते हैं बल्कि ग्रामीण भारत की रीढ़ भी.