Onion Farming: प्याज की खेती में अपनाएं नया तरीका, कम खर्च में बनेगी मोटी गांठ और दोगुनी होगी पैदावार

प्याज की खेती में अब पारंपरिक तरीकों से ज्यादा मुनाफा मिलना मुश्किल होता जा रहा है. ऐसे में वैज्ञानिक तरीके अपनाकर किसान कम खर्च में बेहतर पैदावार हासिल कर सकते हैं. सही बुवाई, संतुलित खाद और समय पर सिंचाई से प्याज की गुणवत्ता सुधरती है और बाजार में अच्छे दाम मिलते हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 26 Dec, 2025 | 06:45 AM
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Onion Farming : अगर आपकी प्याज की फसल में मेहनत ज्यादा और मुनाफा कम मिल रहा है, तो अब तरीका बदलने का समय है. खेत में सीधे बुवाई करने वाला पुराना तरीका अब धीरे-धीरे नुकसानदेह साबित हो रहा है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर किसान थोड़ी समझदारी और वैज्ञानिक तकनीक अपनाएं, तो प्याज की गांठ मोटी बन सकती है और पैदावार भी लगभग दोगुनी तक बढ़ सकती है. खास बात यह है कि इस तरीके में खर्च भी ज्यादा नहीं आता और मेहनत भी कम लगती है.

सीधी बुवाई से क्यों होता है नुकसान

मीडिया रिपेर्ट के अनुसार, अक्सर किसान प्याज की रोपाई  या बुवाई सीधे समतल खेत में कर देते हैं. इससे पौधे बहुत पास-पास उग जाते हैं और उनके बीच हवा का सही आवागमन नहीं हो पाता. नतीजा यह होता है कि पौधे कमजोर  रह जाते हैं और गांठ का विकास ठीक से नहीं हो पाता. इसके साथ ही खेत में घास-फूस ज्यादा उग आती है, जो पौधों का पोषण छीन लेती है. ज्यादा नमी और कम हवा के कारण फसल में रोग लगने का खतरा भी बढ़ जाता है.

मेड़ पर बुवाई: मोटी गांठ का आसान तरीका

विशेषज्ञों के अनुसार प्याज की खेती  के लिए मेड़ या पट्टी बनाकर बुवाई करना सबसे बेहतर तरीका है. इसमें खेत में थोड़ी ऊंची-ऊंची मेड़ बनाई जाती है और उसी पर पौधे लगाए जाते हैं. इससे हर पौधे को सही जगह और हवा मिलती है. हवा का संचार अच्छा होने से प्याज की गांठें मोटी, मजबूत और एकसार बनती हैं. मेड़ पर बुवाई करने से पानी सीधे जड़ों तक पहुंचता है और खेत में पानी भरने की समस्या नहीं होती.

घास कम, मेहनत कम, फायदा ज्यादा

मेड़ पर प्याज लगाने का एक बड़ा फायदा यह भी है कि घास-फूस कम उगती है. इससे बार-बार निराई-गुड़ाई करने की जरूरत नहीं पड़ती और मजदूरी का खर्च बचता है. नमी का संतुलन बना रहता है, जिससे पौधे स्वस्थ  रहते हैं. रोग लगने की संभावना भी कम हो जाती है. इस तरीके से खेती करने पर फसल ज्यादा दिनों तक टिकाऊ रहती है और भंडारण में भी नुकसान कम होता है.

सही प्रबंधन से दोगुनी पैदावार

अगर मेड़ पर बुवाई के साथ सही बीज, संतुलित खाद  और समय पर सिंचाई की जाए, तो प्याज की पैदावार पारंपरिक खेती के मुकाबले काफी बढ़ सकती है. अच्छी गुणवत्ता की गांठें बाजार में बेहतर दाम दिलाती हैं. कुल मिलाकर यह तरीका कम खर्च, कम मेहनत और ज्यादा मुनाफे का रास्ता खोलता है. किसान अगर समय-समय पर फसल की निगरानी करें और जरूरत पड़ने पर तकनीकी सलाह लें, तो प्याज की खेती सच में फायदे का सौदा बन सकती है.

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Published: 26 Dec, 2025 | 06:45 AM

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