Animal Fodder: जलभराव से पशुओं के लिए चारे का संकट, ये आहार बनेगा पौष्टिक विकल्प

बरसात के दिनों में खेतों में जलभराव आम बात है. ऐसे में बारसीम, ग्वार या मक्का जैसे परंपरागत हरे चारे जल्दी खराब हो जाते हैं. इससे पशुपालक हरे चारे को लेकर परेशान हो जाते हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 30 Jul, 2025 | 01:26 PM

बरसात के मौसम में पशुपालकों को सबसे ज्यादा चिंता होती है हरे चारे की. लगातार बारिश और जलभराव की वजह से हरा चारा सड़ने लगता है, जिससे दुधारू पशुओं को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता. इसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य और दूध उत्पादन पर पड़ता है. ऐसे मुश्किल वक्त में बाजरा एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभर रहा है. बाजरा न केवल यह पौष्टिक होता है, बल्कि इसकी उपज और कटाई भी मौसम के अनुसार आसान है. आइए जानते हैं कि कैसे बाजरा बरसात के मौसम में पशुपालकों के लिए वरदान बन सकता है.

बरसात में क्यों खराब हो जाता है परंपरागत हरा चारा

बरसात के दिनों में खेतों में जलभराव आम बात है. ऐसे में बारसीम, ग्वार या मक्का जैसे परंपरागत हरे चारे जल्दी खराब हो जाते हैं. सड़ने की वजह से इनका पोषण खत्म हो जाता है और कई बार इनसे पशुओं को नुकसान भी हो सकता है. गीले और सड़े चारे से जानवरों को पाचन संबंधी समस्याएं, कमजोरी और दूध में गिरावट जैसी दिक्कतें आती हैं.

बाजरा पौष्टिक और स्वादिष्ट विकल्प

बाजरा न केवल एक फसल है, बल्कि पशुपालकों के लिए संजीवनी भी है. इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, आयरन, कैल्शियम और जरूरी खनिज होते हैं. खास बात ये है कि हरा बाजरा जानवरों के लिए स्वादिष्ट होता है और उनका वजन भी तेजी से बढ़ाता है. बरसात में बाजरा आसानी से उगता है और करीब 50-60 दिन में कटाई लायक हो जाता है. एक बार बोने के बाद किसान 3-4 बार इसकी कटाई कर सकते हैं, जिससे चारे की कमी दूर हो जाती है. पशुओं को हरा बाजरा देने से उनका स्वास्थ्य बेहतर रहता है और दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है.

बाजरा की खेती से आमदनी में इजाफा

आजकल कई किसान खुद बाजरा की खेती करके न केवल अपने पशुओं के लिए चारा तैयार कर रहे हैं, बल्कि इसे बेचकर अतिरिक्त आमदनी भी कर रहे हैं. बरसात के मौसम में हरे चारे की मांग बढ़ जाती है, ऐसे में बाजरा की बिक्री एक लाभदायक व्यवसाय बन गया है.

बरसात में बीमारियों से बचाव भी जरूरी

पशु चिकित्सक के अनुसार बरसात के मौसम में पशुओं में कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जैसे खुरपका-मुंहपका, गलघोंटू और लंगड़ी. ऐसे में सिर्फ पौष्टिक चारा देना काफी नहीं, उनके रहने की जगह को साफ और सूखा रखना भी बेहद जरूरी है. जानवरों को समय-समय पर टीका लगवाना, उनके बाड़ों में पानी जमा न होने देना और कीचड़ से बचाना जरूरी है. साथ ही उन्हें संतुलित आहार और साफ पानी देना उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

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Published: 30 Jul, 2025 | 12:05 PM

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