हरी नहीं, अब लाल भिंडी है किसानों की कमाई का नया फॉर्मूला

लाल भिंडी न केवल खेती के लिए फायदेमंद है, बल्कि इसे खाने वाले के लिए भी बेहद सेहतमंद है. इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फाइबर, और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होते हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 17 Apr, 2025 | 03:56 PM

खेती में लगातार नए-नए बदलाव आ रहे हैं, जिसकी वजह से किसान सिर्फ परंपरागत फसलों तक सीमित नहीं हैं. विज्ञान की मदद से अब सब्जियों के रंग रूप में भी बदलाव आने लगे है. ऐसी ही एक चौंकाने वाली लेकिन बेहद फायदेमंद खोज है, लाल भिंडी. अब तक हम बाजार में सिर्फ हरी भिंडी देखते थे, लेकिन अब लाल रंग की भिंडी भी रेस में उतर आई है और खास बात यह है कि यह कोई विदेशी किस्म नहीं, बल्कि भारतीय वैज्ञानिकों की मेहनत से तैयार की गई देसी भिंडी है, जिसका नाम है काशी लालिमा. तो आइए जानते हैं कैसे किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है लाल भिंड़ी.

वैज्ञानिकों की मेहनत

पहले लाल भिंडी की खेती के लिए किसानों को यूरोपीय देशों की किस्मों पर निर्भर रहना पड़ता था. लेकिन भारतीय सब्ज़ी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के वैज्ञानिकों ने लगातार 8 से 10 साल की मेहनत से एक बेहतरीन देसी लाल भिंडी की किस्म तैयार की है, जिसे काशी लालिमा कहा जाता है. इसका स्वाद हरे रंग की भिंडी से भी बेहतर है.

सेहत के लिए फयदेमंद

काशी लालिमा न केवल खेती के लिए फायदेमंद है, बल्कि इसे खाने वाले के लिए भी बेहद सेहतमंद है. इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फाइबर, और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होते हैं. इसमें विटामिन A, C, K और B6 भी मौजूद होते हैं. इस भिंडी में पाया जाने वाला एक खास तत्व एंथोसाइनिन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और दिल की बीमारियों को दूर रखने में मदद करता है. इतना ही नहीं इसे खाने से कोलेस्ट्रॉल भी कंट्रोल रहता है और सोडियम की मात्रा कम होने से यह ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है.

भिंडी को नहीं लगता रोग

काशी लालिमा भिंडी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें पीला मोजेक वायरस, पत्तियों के मुरझाने और फल सड़ने जैसी बीमारियों से लड़ने की ताकत है. जिसकी वजह से किसानों को बार-बार कीटनाशक या दवा का खर्च नहीं करना पड़ता.

तगड़ा मुनाफा

इस भिंडी की बुवाई फरवरी से अगस्त महीने के बीच की जाती है. इसकी खेती के लिए एक एकड़ खेत में सिर्फ चार किलो बीज का इस्तेमाल होता है. बुवाई के 45 दिन बाद फसल तैयार हो जाती है और हर पौधा 20 से 22 भिंडी देता है. वहीं उत्पादन की बात करें तो यह किस्म प्रति हेक्टेयर 180 क्विंटल तक उपज दे सकती है. आम तौर पर भिड़ी 30-60 रुपये प्रति किलो बिकती है, वहीं लाल भिंडी की कीमत 200 से 400 रुपये प्रति किलो तक होती है.

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Published: 17 Apr, 2025 | 02:39 PM

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