Tamil Nadu News: तमिलनाडु के कृषि और किसान कल्याण मंत्री एमआर के पन्नीरसेल्वम ने कहा कि सांबा धान फसल का बीमा कराने की अंतिम तिथि अब 30 नवंबर तक बढ़ा दी गई है. पहले यह तारीख 15 नवंबर थी. मंत्री ने कहा कि 27 जिलों के किसान, जिन्होंने अभी तक अपनी सांबा फसल का बीमा नहीं कराया है, वे इसे कॉमन सर्विस सेंटर, प्राइमरी एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी और राष्ट्रीयकृत बैंकों के माध्यम से करा सकते हैं. सूचना में कहा गया है कि इस समय सांबा धान की खेती 26.25 लाख एकड़ में की जा रही है. अब तक 6.27 लाख किसानों ने 15 लाख एकड़ फसल का बीमा कराया है, जो कुल क्षेत्रफल का 57 प्रतिशत है. पिछले साल इसी तारीख तक केवल 10 लाख एकड़ का बीमा हुआ था.
तमिलनाडु के कृषि मंत्री एमआरके पन्नीरसेल्वम ने कहा कि सांबा और थलदी फसल बीमा की अंतिम तिथि 30 नवंबर तक बढ़ा दी गई है. यह फैसला किसानों की मांग और सभी बचे हुए किसानों को इस योजना का लाभ दिलाने के लिए किया गया है. अंतिम तिथि बढ़ाने के पीछे मुख्य कारण उत्तर-पूर्व मॉनसून की बारिश है, जिससे कई जिलों में खेत की तैयारी और सांबा धान रोपाई में देरी हुई. इसके अलावा, गांव के प्रशासनिक अधिकारी विशेष निर्वाचन सूची (SIR) कार्यों में व्यस्त हैं, जिससे समय की कमी हुई.
इन जिलों के किसान करा सकते हैं फसल बीमा
बीमा विस्तार से लाभ पाने वाले 27 जिलों में थंजावुर, नागपट्टिनम, मयिलादुत्रई, तिरुवरुर, मदुरै, ठेनी, डिंडीगुल, पुदुकोट्टई, करूर, तिरुप्पुर, सेलम, कांचीपुरम, चेन्नईपट्टू, वेल्लोर, तिरुपट्टूर, रानीपेट, तिरुवन्नामलाई, धर्मपुरी, विल्लुपुरम, कल्लाकुरीची, कड्डलोर, रामनाथपुरम, शिवगंगई, तिरुचिरापल्ली, अरियालुर, पेरम्बलूर और एरोड शामिल हैं. सरकार ने कहा कि अब बचे हुए सभी किसान 30 नवंबर तक अपने सांबा और थलदी फसल का बीमा करा सकते हैं.
ताकि फसलों का नुकसान न हो
वहीं, मदुरै जिले में पेरीयार-वैगई थिरुमंगलम मेन कैनाल वाटर यूजर्स फेडरेशन के किसानों ने जल संसाधन विभाग (WRD) से अनुरोध किया है कि नियंत्रित सिंचाई कम से कम एक महीने के लिए स्थगित की जाए, ताकि फसलों का नुकसान न हो. उनके अनुसार, टैंकों में पानी मात्र एक तिहाई क्षमता भर है और अंतिम हिस्से के खेत अभी भी धान की रोपाई में हैं. फेडरेशन के किसान नेता एमपी रमन ने WRD को दी गई याचिका में बताया कि इस सीजन की सिंचाई के लिए 18 सितंबर को मेलुर और थिरुमंगलम मेन कैनाल में पानी छोड़ा गया था. लेकिन तब से क्षेत्र में पर्याप्त बारिश नहीं हुई, जिससे अधिकांश सिंचाई टैंक केवल 30 फीसदी पानी ही रख पाए हैं, जो इस समय पर सामान्य स्तर से बहुत कम है.