मैग्नीशियम की कमी से बार सिर झटकता और हिलाता है पशु, इन उपायों से ठीक करें पशुपालक

हाइपोमैग्नीसिमिया एक गंभीर बीमारी है जो पशुओं में मैग्नीशियम की कमी से होती है. इसके लक्षणों को पहचानकर समय पर इलाज जरूरी है. सावधानी और सही पोषण से इससे बचाव संभव है. पशुपालकों को सतर्क रहना चाहिए और विशेषज्ञ सलाह जरूर लेनी चाहिए.

Kisan India
नोएडा | Published: 14 Sep, 2025 | 10:35 PM

दूध देने वाले पशुओं की देखभाल सिर्फ चारा-पानी तक ही सीमित नहीं होती. कई बार उन्हें ऐसी बीमारियां भी घेर लेती हैं, जो सीधी दुग्ध उत्पादन पर असर डालती हैं. हाइपोमैग्नीसिमिया भी ऐसी ही एक बीमारी है, जो शरीर में मैग्निशियम की कमी के कारण होती है. यह बीमारी खासकर उन दुधारू पशुओं में देखी जाती है, जो ज्यादा हरा चारा खाते हैं. अच्छी बात ये है कि थोड़ी सी सावधानी और जानकारी से इस बीमारी से बचा जा सकता है.

क्या है हाइपोमैग्नीसिमिया और क्यों होता है?

हाइपोमैग्नीसिमिया एक खनिज-जनित बीमारी है, जो पशुओं के शरीर में मैग्निशियम की कमी से होती है. यह खनिज पशु के शरीर में मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है. जब इसकी मात्रा कम हो जाती है, तो पशु असामान्य व्यवहार दिखाने लगता है. यह बीमारी वसंत और शुरुआती बरसात में अधिक देखी जाती है, जब पशु ज्यादा मात्रा में हरा चारा खाते हैं जिसमें मैग्निशियम की मात्रा बेहद कम होती है.

कैसे पहचानें बीमारी के लक्षण?

हाइपोमैग्नीसिमिया के लक्षण शुरुआत में छोटे जरूर होते हैं, लेकिन इन्हें पहचानना और समय पर कार्रवाई करना बेहद जरूरी है. इस बीमारी में पशु बार-बार सिर झटकता है और बिना किसी वजह के मूत्र करता है. आवाज या हल्के स्पर्श से घबरा जाता है और तेज उत्तेजना दिखाता है. गंभीर मामलों में पशु अचानक दौड़ने लगता है, जमीन पर पैर पटकता है और कभी-कभी दौरे (फिट) जैसी स्थिति भी देखी जा सकती है. अगर इन लक्षणों को नजरअंदाज किया गया और समय पर इलाज नहीं किया गया, तो यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है. सतर्क रहना जरूरी है.

क्या है इलाज और बचाव का तरीका?

बिहार सरकार के पशुपालन विभाग के अनुसार, हाइपोमैग्नीसिमिया जैसी बीमारी से बचने के लिए रोजाना 50 ग्राम मैग्निशियम ऑक्साइड (Magnesium Oxide) पशु को खिलाना चाहिए. यह एक खनिज पूरक है जो शरीर में मैग्निशियम की कमी को पूरा करता है और मांसपेशियों व तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाता है. यदि पशु में सिर झटकना, मूत्र की अधिकता या चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण दिखें, तो बिना देरी के नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें. कुछ मामलों में पशु को 24 से 48 घंटे के भीतर दोबारा इलाज की जरूरत होती है. समय पर इलाज होने पर पशु पूरी तरह ठीक हो सकता है.

सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है

यह बीमारी खासकर तब होती है जब पशु बहुत अधिक हरा चारा खाते हैं, जिसमें मैग्निशियम जैसे जरूरी खनिजों की कमी होती है. इससे हाइपोमैग्नीसिमिया जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है. इसलिए पशुपालकों को चाहिए कि वे हरे चारे के साथ-साथ खनिज मिश्रण जरूर मिलाएं. फीड सप्लीमेंट में मैग्निशियम की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित करें. साथ ही, पशुओं के व्यवहार पर नियमित नजर रखें और किसी भी असामान्यता पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें. पानी की सफाई और उसकी गुणवत्ता का ध्यान रखना भी जरूरी है. थोड़ी सी सावधानी से पशु स्वस्थ रहेंगे और दूध उत्पादन भी प्रभावित नहीं होगा.

पशुपालकों के लिए जरूरी सलाह

हरे चारे की अधिकता से हाइपोमैग्नीसिमिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए पशुपालकों को चाहिए कि वे हरे चारे के साथ थोड़ा सूखा चारा भी मिलाकर दें. इससे पशु को संतुलित पोषण मिलेगा. अगर पशु के व्यवहार में अचानक कोई बदलाव दिखे, जैसे सिर झटकना या चिड़चिड़ापन, तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत एक्शन लें. अपने नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क बनाए रखें और समय-समय पर सलाह लें. खासकर गर्भवती और ज्यादा दूध देने वाली गायों या भैंसों पर विशेष ध्यान दें. पशु की दिनचर्या में किसी भी बदलाव को गंभीरता से लेना बेहद जरूरी है.

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Published: 14 Sep, 2025 | 10:35 PM

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