Madhya Pradesh News : किसान अक्सर सोचते हैं कि दूध उत्पादन कैसे बढ़ाया जाए, चारे की बचत कैसे हो और पशु हमेशा तंदुरुस्त कैसे रहें. लेकिन एक किसान ने ऐसा तरीका अपनाया कि न सिर्फ खर्च कम हुआ, बल्कि उसकी गाय ने जिले में दूध उत्पादन का रिकॉर्ड ही बना दिया. मक्के से तैयार किया गया साइलेज आज इस किसान की सबसे बड़ी ताकत बन चुका है.
मक्के के अवशेष से बना सोने जैसा चारा
साइलेज यानी हरा चारा जिसे खास तरीके से फर्मेंट कर स्टोर किया जाता है. मध्य प्रदेश के किसान प्रियांक गुढ़ा (Priyank Gudha) जो 30 एकड़ में मल्टी क्रॉपिंग की खेती करते हैं. किसान प्रियांक गुढ़ा ने बताया कि उन्होंने मक्के की कटाई के बाद बचे हुए अवशेष को व्यर्थ न जाने देकर उससे साइलेज तैयार किया. यह चारा पौष्टिक भी है और लंबे समय तक बिना खराब हुए चलता भी है. किसान का कहना है कि पहले चारे में काफी खर्च हो जाता था, लेकिन साइलेज बनाने से चारे की बचत भी होती है और गुणवत्ता भी बेहतर रहती है. पशु इसे बड़ी खुशी से खाते हैं और इससे उनकी ऊर्जा भी बनी रहती है.

मध्य प्रदेश के किसान प्रियांक गुढ़ा.
दूध उत्पादन में 20-30 फीसदी की बढ़ोतरी
प्रियांक गुढ़ा बताते हैं कि साइलेज खिलाने के बाद उनकी गायों की सेहत में सबसे बड़ा फर्क देखने को मिला. पशुओं का पाचन मजबूत हुआ, थकान कम हुई और दूध उत्पादन में 20 से 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो गई. उनके अनुसार, साइलेज में कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, मिनरल और प्रोटीन अच्छी मात्रा में होते हैं, जिसके कारण दूध में फैट बढ़ता है और क्वालिटी भी बेहतर होती है.
गिर गाय ने बनाया जिलास्तरीय रिकॉर्ड
साइलेज का सबसे बड़ा असर तब देखने को मिला जब उनकी गिर नस्ल की गाय ने एक दिन में 29 लीटर दूध देकर जिले में सबसे अधिक दूध देने वाली गाय का रिकॉर्ड बना दिया. यह उपलब्धि किसान समुदाय में चर्चा का विषय बन गई. किसान का कहना है, अगर चारा पौष्टिक हो और पशु को सही मात्रा में मिले तो वह अपनी पूरी क्षमता से दूध देता है. साइलेज ने मेरी गायों को नई ताकत दी है.
200 लीटर से ज्यादा दूध उत्पादन, किसान कर रहे ट्रेनिंग भी
आज किसान रोजाना 200 लीटर से ज्यादा दूध बेच रहे हैं, जिससे उनकी आमदनी में बड़ी बढ़ोतरी हुई है. वह अब आसपास के किसानों को भी साइलेज बनाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं. उनका कहना है, साइलेज हमारे जैसे छोटे-बड़े सभी किसानों के लिए वरदान है. इससे खर्च भी कम होता है और दूध की मात्रा भी बढ़ती है. हर किसान को इसे एक बार जरूर आजमाना चाहिए.