Gujarat News: गुजरात सरकार ने पशुपालकों के लिए हाल ही में एक बड़ी घोषणा की है. राज्य में अब 200 नई स्थायी पशु औषधालयें खोली जाएंगी. यह जानकारी राज्य के पशुपालन मंत्री राघवजी पटेल ने विधानसभा सत्र के दौरान दी. उन्होंने बताया कि सरकार का उद्देश्य पशुपालकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और दूध व मांस उत्पादन में बढ़ोतरी हो.
इस फैसले से खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले पशुपालकों को बड़ी राहत मिलेगी. अब इलाज, टीकाकरण और अन्य पशु स्वास्थ्य सेवाएं उनके गांव या आसपास ही उपलब्ध होंगी. आइए जानते हैं इस फैसले के पीछे की सोच और इसके क्या होंगे फायदे.
राज्यभर में 200 नई पशु औषधालयें खोलने की मंजूरी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात सरकार ने वर्ष 2025–26 में 200 नई स्थायी पशु औषधालयें खोलने की योजना को मंजूरी दी है. पिछले तीन वर्षों में पहले ही 255 औषधालय खोले जा चुके हैं. इस तरह अब राज्य में पशु स्वास्थ्य सेवाओं का नेटवर्क और मजबूत होगा. खास बात यह है कि इस साल कच्छ जिले में 12 नई औषधालयें खोली जाएंगी, जो अबडासा, नखतराना, भचाऊ, सांखीयारी, भुज, मांडवी, मुंद्रा और लखपत जैसे तालुका क्षेत्रों को कवर करेंगी.
पशुपालन अब पूरक नहीं, प्राथमिक व्यवसाय
पशुपालन मंत्री ने कहा कि पहले यह काम खेती के साथ-साथ एक सहायक रोजगार माना जाता था, लेकिन अब सरकार इसे एक मुख्य व्यवसाय के रूप में विकसित कर रही है. इससे ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिल रही है. सरकार का फोकस पशु नस्ल सुधार, टीकाकरण, बंध्याकरण और समय पर इलाज जैसी सुविधाओं पर है, जिससे दूध उत्पादन में इजाफा हो और पशुपालकों की आमदनी बढ़े.
कच्छ में स्वास्थ्य शिविरों से 2.24 लाख पशुओं का इलाज
पिछले दो वर्षों में कच्छ जिले में 373 पशु स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं, जिनमें करीब 2.24 लाख पशुओं का इलाज किया गया. इससे यह साफ है कि सरकार का ध्यान केवल घोषणा तक सीमित नहीं है, बल्कि ज़मीनी स्तर पर काम भी हो रहा है. इस समय कच्छ जिले में 109 पशु चिकित्सा इकाइयां काम कर रही हैं, जिनमें एक पशु पॉलीटेक्निक कॉलेज, 47 औषधालय, 29 प्राथमिक पशु स्वास्थ्य केंद्र और 32 मोबाइल यूनिट शामिल हैं.
गांव-गांव पहुंचेगी पशु चिकित्सा सेवा
सरकार की मंशा है कि किसी भी पशुपालक को इलाज के लिए दूर न जाना पड़े. इसलिए कोशिश की जा रही है कि प्रत्येक गांव या उसके पास के इलाके में पशुओं के इलाज, टीकाकरण और नसबंदी की सुविधा मौजूद हो. मोबाइल यूनिट और नई औषधालयों की मदद से यह लक्ष्य हासिल किया जा रहा है. इससे पशुपालकों का समय, पैसा और मेहनत- तीनों की बचत होगी.
दूध उत्पादन में हो रही रिकॉर्ड बढ़ोतरी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात का पशुपालन क्षेत्र देश के सबसे मजबूत सेक्टरों में से एक है. 2019 की जनगणना के अनुसार, राज्य में कुल 2.68 करोड़ पशुधन है, जिसमें 96 लाख गाय, 1.05 करोड़ भैंस, 17.8 लाख भेड़ और 46.6 लाख बकरी शामिल हैं. 2024 में दूध उत्पादन 18.31 मिलियन टन तक पहुंच गया, जो 2023 के मुकाबले 1 मिलियन टन अधिक है. मांस उत्पादन भी 34,990 टन से बढ़कर 37,450 टन हो गया है. राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में पशुपालन और डेयरी क्षेत्र की हिस्सेदारी लगभग 5 फीसदी है.