सरकार की योजनाओं से डेयरी किसानों की आय बढ़ी, दूध उत्पादन में भी आया सुधार

सरकार डेयरी किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आधुनिक तकनीक से जोड़ने के लिए लगातार कई योजनाएं चला रही है. इससे छोटे और सीमांत किसानों को सीधे लाभ मिल रहा है. ये कार्यक्रम दूध उत्पादन सुधारने, प्रजनन तकनीक बढ़ाने और डेयरी अवसंरचना मजबूत करने में मदद कर रहे हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 15 Dec, 2025 | 08:19 PM

Dairy Development : डेयरी किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आधुनिक तकनीक से जोड़ने के लिए सरकार लगातार कई योजनाएं चला रही है. इससे छोटे और सीमांत किसानों को सीधे लाभ मिल रहा है. केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह(​​लल्लन सिंह) ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि सरकार पशुपालकों की कमाई बढ़ाने के लिए कई सारी योजनाएं चला रही है, जो किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ दूध उत्पादन को भी सुधारने में मदद कर रही हैं.

राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD)

एनपीडीडी योजना  के तहत राज्य की डेयरी अवसंरचना को मजबूत करने में मदद दी जा रही है. योजना के अंतर्गत दूध की खरीद, प्रसंस्करण और शीतलन सुविधाओं का निर्माण और उन्नयन किया जाता है. इसके साथ ही दूध की सही जांच करने के लिए अच्छे और भरोसेमंद टेस्ट करने वाले उपकरण लगाए जाते हैं और सौर ऊर्जा या थर्मल स्टोरेज सिस्टम वाले दूध कूलर (बीएमसी) ग्राम स्तरीय डेयरी सहकारी समितियों  को उपलब्ध कराए जाते हैं. इस योजना के तहत अब तक 52 सौर ऊर्जा चालित बीएमसी स्वीकृत किए जा चुके हैं.

पशुपालन अवसंरचना विकास निधि

एएचआईडीएफ के माध्यम से दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र, शीतलन अवसंरचना, मूल्यवर्धित डेयरी इकाइयों और नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों की स्थापना और आधुनिकीकरण के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है. इससे डेयरी सहकारी समितियों, एफपीओ, स्वयं सहायता समूहों और निजी उद्यमियों को बिजली एवं प्रसंस्करण संबंधी कमियों को दूर करने में मदद मिलती है. बरौनी (बिहार), बनासकांठा (गुजरात) और एर्नाकुलम (केरल) के दुग्ध संघों को सौर ऊर्जा चालित डेयरी प्रसंस्करण इकाइयों के लिए भी सहायता दी गई है.

राष्ट्रीय गोकुल मिशन

आरजीएम योजना छोटे और सीमांत किसानों  के बीच आधुनिक प्रजनन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देती है और उत्पादकता सुधारने में मदद करती है. इसके तहत कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम में करोड़ों पशुओं को शामिल किया गया, जिससे लाखों किसान लाभान्वित हुए. लिंग-विभेदित वीर्य उत्पादन की लागत कम कर दी गई और त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम के माध्यम से सुनिश्चित गर्भावस्था पर प्रोत्साहन राशि दी जा रही है.

तकनीकी सहयोग और प्रशिक्षण

आरजीएम योजना के तहत 39,810 प्रशिक्षित तकनीशियन (मैत्री) घर-घर जाकर एआई सेवाएं प्रदान कर रहे हैं. इसके अलावा 24 आईवीएफ प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं और प्रत्येक सुनिश्चित गर्भावस्था पर 5,000 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों का उत्पादन  और आपूर्ति वीर्य केंद्रों पर की जा रही है, जिससे किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले प्रजनन साधन मिल रहे हैं.

किसान जागरूकता और लाभ

देश भर में प्रजनन शिविर, बछड़ों का जमावड़ा, प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं. इन कार्यक्रमों से किसानों को आधुनिक प्रजनन तकनीक , पोषण और देखभाल के बारे में जानकारी मिलती है. यह योजनाएं छोटे और सीमांत डेयरी किसानों को उत्पादकता बढ़ाने, स्वास्थ्य सुधारने और आय बढ़ाने में मदद कर रही हैं, जिससे उनका जीवन स्तर सुधर रहा है.

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Published: 15 Dec, 2025 | 08:19 PM

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