मसल्स फार्मिंग से कमाएं लाखों, भारत में 1 किलो की कीमत हजार रुपये, जानें आसान तरीका

भारत में मसल्स की कीमत लगभग 1,000 रुपये प्रति किलो है और इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है. विदेशी बाजार में भी इस समुद्री जीव की मांग बहुत अधिक है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 25 Sep, 2025 | 02:52 PM

Mussels Farming: समुद्र किनारे की खेती अब सिर्फ मछली तक सीमित नहीं रही. आज हम आपको एक ऐसी अनोखी और लाभकारी खेती के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे अपनाकर किसान लाखों की कमाई कर सकते हैं. यह खेती है मसल्स (Mussels) की, जो समुद्र में खम्बों और राफ्ट सिस्टम पर उगाई जाती है. भारत में मसल्स की कीमत लगभग 1,000 रुपये प्रति किलो है और इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है. विदेशी बाजार में भी इस समुद्री जीव की मांग बहुत अधिक है.

मसल्स की खेती कैसे होती है?

मसल्स की खेती आजकल किसानों और समुद्री उद्यमियों के लिए एक आकर्षक व्यवसाय बन गई है. यह न केवल कम निवेश में शुरू की जा सकती है, बल्कि सही तरीके से करने पर अच्छी आमदनी भी देती है.

स्पॉनिंग और प्रजनन

मसल्स की खेती की शुरुआत समुद्र में उनके प्राकृतिक प्रजनन से होती है. हरे मसल्स के प्रत्येक लिंग से पानी में स्पॉनिंग प्रक्रिया शुरू हो जाती है. औसतन एक मादा मसल्स पांच लाख अंडे देती है. ये अंडे धीरे-धीरे ट्रोकोफोर और वेलिगर लार्वा में बदलते हैं. लार्वा का यह चरण लगभग 16 से 19 घंटे में पूरा हो जाता है, जिसके बाद वे पेडिवेलिगर बन जाते हैं. इस चरण में मसल्स का पैर और पेडल ऑर्गन विकसित हो जाता है, जो उन्हें समुद्र में टिकने और बढ़ने में मदद करता है. पूरी प्रक्रिया में लगभग सात से आठ महीने का समय लगता है और इसके बाद मसल्स पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं.

उपयुक्त जगह का चयन

मसल्स की खेती के लिए समुद्र में उपयुक्त जगह का चयन बेहद महत्वपूर्ण है. खुले समुद्र में मसल्स की खेती के लिए गहराई लगभग पांच मीटर होनी चाहिए. ऐसी जगह चुनना जरूरी है जहां लहरें हल्की हों, समुद्र की अशांति कम हो और पानी में पर्याप्त पोषण तत्व मौजूद हों. संरक्षित खाड़ी वाले इलाके सबसे अच्छे माने जाते हैं क्योंकि यहां समुद्र शांत रहता है और मसल्स का विकास बेहतर होता है.

खेती की तकनीक

मसल्स की खेती में मुख्य रूप से दो तकनीकें अपनाई जाती हैं. पहली लंबी लाइन तकनीक है. इसमें समुद्र में खम्बों या राफ्टों के बीच लंबी लाइन बिछाई जाती है. मसल्स इन लाइनों पर स्वाभाविक रूप से बस जाते हैं और उनका विकास होने लगता है. दूसरी तकनीक राफ्ट सिस्टम है. इसमें लकड़ी या प्लास्टिक के राफ्ट बनाए जाते हैं और मसल्स को इन पर लगाया जाता है. राफ्ट पानी में तैरते हैं और मसल्स को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण मिलता है. यह तरीका छोटे किसानों और नवोदित उद्यमियों के लिए बेहद प्रभावी और आसान है.

देखभाल और निगरानी

मसल्स की खेती के दौरान नियमित निगरानी जरूरी होती है. समुद्र में प्रदूषण, बीमारी या समुद्री जीवों से बचाव के लिए लाइनों और राफ्टों को साफ रखना जरूरी है. मौसम और समुद्री लहरों के अनुसार खेती का समय और तरीका भी बदल सकता है. किसानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मसल्स को पर्याप्त पोषण और सुरक्षित वातावरण मिले ताकि उनकी वृद्धि सही समय पर पूरी हो सके.

कटाई और बाजार

मसल्स आमतौर पर सात से आठ महीने में तैयार हो जाते हैं. कटाई के लिए हाथ या मशीन का उपयोग किया जा सकता है. कटाई के बाद मसल्स को बाजार में बेचा जा सकता है. भारत में मसल्स की कीमत लगभग एक हजार रुपये प्रति किलो है और यदि बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाए तो किसान लाखों रुपये की आमदनी कर सकते हैं.

मसल्स की खेती में लागत और मुनाफा

मसल्स की खेती शुरू करने में लगभग 1 लाख रुपये का खर्च आता है. इसमें समुद्र में खम्बे लगवाना, लंबी लाइन और राफ्ट सिस्टम बनवाना शामिल है. इसके बाद, मसल्स की देखभाल करना और उनकी कटाई करना होता है. कटाई हाथों से भी की जा सकती है, जिससे खर्च कम आता है, या मशीन का उपयोग किया जा सकता है, जिससे समय की बचत होती है.

मसल्स का बाजार मूल्य लगभग 1,000 रुपये प्रति किलो है. एक सफल सीजन में किसान लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं. इसके अलावा, मसल्स की खेती से स्थानीय रोजगार भी बढ़ता है और समुद्री पारिस्थितिकी में भी सुधार होता है.

खेती की चुनौतियां

हालांकि मसल्स की खेती में लाभ बहुत है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं. जैसे, समुद्र में अचानक बदलाव, तूफान, समुद्री प्रदूषण और अवैध शिकार. इसलिए खेती के लिए सुरक्षित और संरक्षित खाड़ी चुनना बहुत जरूरी है.

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