दुंबा भेड़ से बदलेगी किसानों की किस्मत, केंदीय अनुसंधान संस्थान में शुरू हुई रिसर्च

एग्रिकल्चर यूनीवर्सिटी में 6 दुंबा भेड़ें लाई गई हैं. यह दुनिया की सबसे महंगी भेड़ों में से एक मानी जाती है. यूनिवर्सिटी इस पर यह रिसर्च करेगी कि क्या यह राजस्थान के गर्म और शुष्क मौसम में ढल सकती है या नहीं. अगर यह रिसर्च सफल रही तो भेड़ पालन राजस्थान के पशुपालकों के लिए अधिक धन कमाने का बड़ा जरिया बन सकता है.

किसान इंडिया डेस्क
नोएडा | Published: 16 Dec, 2025 | 06:00 AM

Animal Husbandry: राजस्थान के किसानों के लिए अच्छी ख़बर है. स्वामी केशवानंद एग्रिकल्चर युनिवर्सिटी में केंदीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान की मदद से दुंबा भेड़ पर रिसर्च शुरू की गई है. इस नस्ल की भेड़ तेजी से वजन बढ़ाने और अधिक मांस उत्पादन के लिए जानी जाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह परियोजना किसानों की आय को दोगुना कर सकती है.

राजस्थान के किसान अब भेड़ पालन कर के मालामाल बनेंगे. केंदीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान में 6 दुंबा भेड़ें लाई गई हैं. यह दुनिया की सबसे महंगी भेड़ों में से एक मानी जाती है. यहां वैज्ञानिक यह रिसर्च करेंगे कि क्या यह राजस्थान के गर्म और शुष्क मौसम में ढल सकती है या नहीं. अगर यह रिसर्च सफल रही तो भेड़ पालन राजस्थान के पशुपालकों के लिए अधिक धन कमाने का बड़ा जरिया बन सकता है.

दुंबा नस्ल की 5 मादा और 1 नर भेड़ पर रिसर्च

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फिलहाल समन्वित कृषि प्रणाली के अंतर्गत भेड़ पालन की इकाई की शुरुआत की गई है. केंदीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, दुंबा भेड़ पर रिसर्च कर रही है. यह कार्य स्वामी केशवानंद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में चल रहा है. जिनमें 5 मादा और 1 नर भेड़ शामिल है.

कम कीमत में ज्यादा मुनाफा

दुंबा भेड़ पालन से किसानों को साधारण भेड़ पालन से कही ज्यादा मुनाफा होता है. देसी भेड़ पर जितना व्यय होता है उतना ही दुंबा भेड़ पर भी खर्चा आता है, लेकिन इससे मिलने वाला मुनाफा कही ज्यादा है. इस शुष्क इलाके में भेड़ के सर्वाइव करने की संभावनाएं है. आगामी वषों में 50 से ज्यादा दुंबा भेड़ों की संख्या बढ़ाई जाएगी और फिर इन्हें किसानों को कम कीमत पर उपलब्ध कराया जाएगा.

पशुपालकों को दी जाएगी दुंबा भेड़

बीकानेर में अब इस भेड़ पर काम शुरू होगा और दुंबा भेड़ों की संख्या में बढ़ोतरी की जाएगी फिर उन किसानों और पशुपालकों को यह दुंबा नस्ल की भेड़ से मुनाफा प्राप्त करने के लिए दी जाएगी, जो अच्छा काम करना चाहते है. जिससे शुष्क इलाके में कम खर्च करके ज्यादा मुनाफा पा सके.

दुंबा भेड़ बनाम साधारण भेड़

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार साधारण भेड़ की तुलना में इस नस्ल की भेड़ की ग्रोथ अच्छे से होती है. देशी भेड़ के बच्चे का वजन जहां 2-3 किलो होता है वहीं दुंबा भेड़ का वजन 5-6 किलो होता है. देशी भेड़ की तुलना में दुंबा भेड़ का वजन ज्यादा होता है. इसके अलावा वयस्क देशी भेड़ का वजन 30-35 किलो होता है, जबकि दुंबा भेड़ का वजन 50- 60 तक पहुंचता है. नर दुंबा भेड़ का वजन तो एक क्विंटल तक हो सकता है. दुंबा भेड़ साधारण भेड़ से अलग इसलिए है क्योंकि दुंबा भेड़ की पूछ नहीं होती और इसकी त्वचा काफी बड़ी और लटकी हुई होती है. इस भेड़ के पीछे दुंब जैसा होता है इसी कारण इसे दुंबा भेड़ कहते है. दुंबा भेड़ का जीवनकाल 12 से 15 साल का होता है.

मांस उत्पादन के लिए दुंबा भेड़ का पालन

दुंबा भेड़ का पालन ऊन उत्पादन के बजाय मांस उत्पादन के लिए किया जाता है. इसकी खास बात यह है कि यह साल में दो बार बच्चे को ही जन्म देती है.

लाखों में बिकती है दुंबा भेड़

एक्सपर्ट्स बताते है कि दुंबा भेड़ साधारण भेड़ की भांति सर्दी और गर्मी दोनों ही सीजन को सहन कर सकती है. दुंबा भेड़ कम बीमार होती है. जहां देशी भेड़ की कीमत 5000 रुपए – 10,000 रुपए होती है, वहीं दुंबा भेड़ 60,000 रुपए से 1 लाख रुपए तक की बिकती है.

दुंबा भेड़ों पर रिसर्च

एक्सपर्ट्स ने बताया कि यह विदेशी भेड़ है जिसकी पूरे भारत में बहुत ज्यादा डिमांड है. किसान इस भेड़ का पालन कर रहे है. दुंबा भेड़ मूल रूप से सऊदी अरब, अफगानिस्तान और पाकिस्तान की नस्ल है. राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश और गुजरात में कई पशुपालक दुंबा भेड़ पालन कर रहे है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 16 Dec, 2025 | 06:00 AM

आम धारणा के अनुसार तरबूज की उत्पत्ति कहां हुई?

Side Banner

आम धारणा के अनुसार तरबूज की उत्पत्ति कहां हुई?