Bihar News: सितंबर का महीना बारिश के चलते नमी के साथ तेज धूप निकलने के चलते मिलाजुला होता है. ऐसे मौसम में पशुओं की देखभाल अगर ठीक से न की जाए तो उन्हें बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. यही वजह है कि बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने पशुपालकों को कुछ जरूरी सलाह दी है, जिन्हें अपनाकर आप अपने जानवरों को स्वस्थ रख सकते हैं और कमाई को भी नुकसान से बचा सकते हैं.
1- बाड़े और चारगाह की सफाई सबसे पहले
पशु जहां रहते और चरते हैं, वहां साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए. गंदगी से कीड़े-मकौड़े और बीमारियां फैल सकती हैं. फर्श और दीवारों को साफ पानी से धोएं और हर हफ्ते एक बार चूने के घोल का छिड़काव जरूर करें. इससे कीटाणु खत्म होते हैं और जानवरों को संक्रमण नहीं होता.
2- नमी और कीचड़ से रखें दूरी
सितंबर में नमी ज्यादा रहती है, जिससे बाड़े या बाहर की जमीन पर कीचड़ जमा हो जाता है. ऐसे में पशुओं को सूखी और हवादार जगह पर रखें. अगर वो गीली जगहों पर ज्यादा देर रहेंगे तो पैरों में घाव, सड़न, या खुरपका-मुंहपका जैसी बीमारी हो सकती है. चराकर लाने के बाद उनके पैरों को धोकर सुखाना न भूलें.
3- साफ पानी और ताजा चारा जरूरी
बरसात के बाद अक्सर पानी में गंदगी मिल जाती है, जिससे जानवरों के बीमार होने का खतरा होता है. इसलिए हमेशा साफ और ताजा पानी पिलाएं. चारे में नमी होती है, इसलिए उसे थोड़ी देर सूखाकर देना चाहिए. सड़ा-गला चारा देने से पशु का पेट खराब हो सकता है और दूध देना भी कम कर सकता है.
सितंबर माह में पशुपालकों द्वारा ध्यान देने योग्य बातें।@renu_bjp @Agribih @Dept_of_AHD @vijayaias @IPRDBihar @HorticultureBih #comfed#dairy#pashupalak#fish#fisheries#BiharAnimalAndFisheriesResourcesDept pic.twitter.com/6msrqnOhvW
— Animal & Fisheries Resources Dept., Bihar (@BiharAFRD) September 11, 2025
4- टीकाकरण और कीड़े-मकौड़ों से बचाव
मौसम के बदलते ही बीमारियां भी बढ़ती हैं. ऐसे में जानवरों का समय पर टीकाकरण करवाना जरूरी है. इसके अलावा, जूं, किलनी और बाहरी कीड़ों से बचाने के लिए उनकी पीठ, गर्दन और कानों के पास दवा लगाएं. हर दो-तीन महीने में एक बार पेट के कीड़ों की दवा भी जरूर दें, ताकि उनका पाचन ठीक रहे.
5- लक्षण दिखे तो तुरंत इलाज करवाएं
अगर कोई जानवर दूध कम देने लगे, खाना न खाए, सुस्त पड़े या बार-बार बैठा रहे- तो इसे हल्के में न लें. ये किसी गंभीर बीमारी की शुरुआत हो सकती है. ऐसे में बिना देर किए पशु चिकित्सक से संपर्क करें. खुद से घरेलू इलाज करने की गलती न करें, इससे नुकसान और बढ़ सकता है.