क्या खेती की दिशा बदलेंगे बीज पार्क? हरियाणा-पंजाब के उत्पादन को पीछे छोड़ेगा यूपी?

खेती-किसानी को बेहतर करने के लिए बीजों के विकास को लेकर नई क्रांति छिड़ चुकी है. बीज विकास का स्तर कलम से लेकर जीनोम एडिटिंग तक पहुंच चुका है और अब बीज पार्कों के निर्माण की दौड़ शुरू हो गई है.

नोएडा | Updated On: 4 Aug, 2025 | 11:50 AM

कम लागत में ज्यादा उपज हासिल करने के लिए नए और उन्नत बीजों को विकसित किया जा रहा है. इस दिशा में कलम से हुई बीज विकास की शुरुआत का चरण हाइब्रिड और जलवायु अनुकूल के बाद जीनोम एडिटेड बीजों तक आ पहुंचा है. बीज विकास चरण अब और आगे जाने के लिए बीज पार्कों के रूप में राज्यों में विस्तार लेते दिखेगा. यूपी समेत अन्य राज्यों में इस तरह के बीजों को विकसित करने और अनुसंधान के लिए बीज पार्क और बीज विकास केंद्र बनाए जा रहे हैं. इस मामले में यूपी सबसे एग्रेसिव मोड में दिख रहा है. राज्य सरकार 5 नए बीज पार्क स्थापित करने जा रही है. दावा है कि इन बीज पार्कों के जरिए खेती और किसान के विकास को नई दिशा मिलेगी. जुताई से लेकर सिंचाई और कीट नियंत्रण लागत शून्य होगी और बेस्ट क्वालिटी के साथ बंपर उत्पादन हासिल हो सकेगा. इतना ही नहीं दावा है कि फसल उत्पादन में यूपी पंजाब और हरियाणा को पीछे छोड़ने की ओर अग्रसर है. साथ ही बीज विकास के लिए पार्कों के निर्माण से राज्य में करीब 50 हजार लोंगों नौकरी के अवसर बनेंगे.

बीज पार्कों की जरूरत क्यों

बीज, फसलों के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण कृषि निवेश है. बीज की गुणवत्ता पर ही फसल की उपज और उत्पाद की क्वालिटी निर्भर करती है. अगर बीज खराब है तो खेत की तैयारी से लेकर बीज और बुवाई के समय डाली जाने वाली खाद की लागत बर्बाद हो जाती है. दोबारा बुवाई में देर होने से उपज प्रभावित होती है. बीज का अंकुरण (जर्मिनेशन) अगर कम है तो भी इसका उपज पर प्रभाव पड़ता है. विपरीत मौसम गतिविधियां और इंसानी गतिविधियों से खेती के लिए उपजी विपरीत स्थितियों के चलते उन्नत और जलवायु अनुकूल बीज समय की जरूरत बन गए हैं.

भारत, खासकर उत्तर प्रदेश के लिए कृषि क्षेत्र बेहद अहम है. आर्थिक सर्वे 2023-2024 के अनुसार भारत में 42.3 प्रतिशत लोगों की आजीविका खेतीबाड़ी पर निर्भर है. कृषि प्रधान राज्य होने की वजह से उत्तर प्रदेश में कृषि पर निर्भर रहने वालों की संख्या स्वाभाविक रूप से इससे अधिक होगी. ऐसे में यूपी के लिए गुणवत्तापूर्ण बीज का महत्व और बढ़ जाता है. घटिया बीज अब भी किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है. 2023-2024 में जांच के लिए लिए गए बीज के 133588 नमूनों में से 3630 घटिया मिले. एक तो घटिया बीज ऊपर से कंपनियों की मुनाफाखोरी की प्रवृति किसानों के लिए मुश्किल पैदा करती हैं.

यूपी में खेती का रकबा और बीज पार्कों में निवेश का प्लान

खेतीबाड़ी के लिहाज से उत्तर प्रदेश एक नजर में कृषि योग्य भूमि का सर्वाधिक रकबा (162 लाख हेक्टेयर) उत्तर प्रदेश का है. कृषि योग्य भूमि का 80 फीसद से अधिक सिंचित है. प्रदेश के करीब 3 करोड़ परिवारों की आजीविका कृषि पर निर्भर हैं. उत्तर प्रदेश खाद्यान्न और दूध के उत्पादन में देश में नंबर एक, फलों और फूलों के उत्पादन में दूसरे और तीसरे नंबर पर है. ऐसे में यहां खेतीबाड़ी के हित में उठाए गए किसी भी कदम के नतीजे दूरगामी होते हैं.

योगी सरकार किसानों के व्यापक हित में प्रदेश के किसानों को जहां तक संभव है अपना बीज मुहैया कराएगी. यह न केवल अच्छे होंगे बल्कि सस्ते भी होंगे. नतीजतन फसलों की उपज भी बढ़ेगी. इसके लिए सरकार प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में पांच बीज पार्क स्थापित करेगी. सरकार इन पार्कों की स्थापना के लिए अगले तीन साल में 2500 करोड़ रुपये का निवेश करेगी.

उन्नत बीजों के लिए 4 जोन में 5 सीड पार्क बना रही योगी सरकार

किसानों को प्रदेश के कृषि जलवायु के अनुकूल गुणवत्ता के बीज मिले, इसके लिए योगी सरकार बड़े पैमाने पर उत्तर प्रदेश में ही बीज उत्पादन करने जा रही. इस क्रम में योगी सरकार ने बीज उत्पादन की एक व्यापक योजना तैयार की है. इसके तहत प्रदेश के नौ कृषि जलवायु क्षेत्रों में होने वाली फसलों के मद्देनजर पांच बीज पार्क (वेस्टर्न जोन, तराई जोन, सेंट्रल जोन, बुंदेलखंड और ईस्टर्न जोन) पीपीपी मॉडल पर बनाए जाएंगे.

कृषि विभाग के पास बुनियादी सुविधाओं के साथ ऐसे छह फार्म उपलब्ध हैं. इसमें से दो फार्म 200 हेक्टेयर, दो फार्म 200 से 300 और दो फार्म 400 हेक्टर से अधिक के हैं. राज्य सरकार इनको इच्छुक पार्टियों को लीज पर दे सकती है. अब तो यह योजना कैबिनेट से मंजूर हो चुकी है. साथ ही इस बावत राज्य की ओर से शासनादेश भी जारी हो चुका है. लखनऊ में बनने वाले पहले पार्क की कार्ययोजना बनाकर उस पर तेजी से काम भी शुरू हो चुका है. ये पार्क भारत में किसानों के मसीहा माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के नाम पर होंगे. यूपी सरकार का कहना है कि इन पार्कों में बीज उत्पादन से लेकर, प्रोसेसिंग, भंडारण, स्पीड ब्रीडिंग व हाइब्रिड लैब जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी.

यूपी कृषि विभाग के अनुसार राज्य में पहले सीड पार्क की स्थापना लखनऊ के अटारी स्थित राजकीय कृषि प्रक्षेत्र की 130.63 एकड़ भूमि पर की जा रही है. इस पर सरकार करीब 266.70 करोड़ रुपये खर्च करेगी. इस पार्क में 26 सीड ब्लॉक बनाकर बीज का उत्पादन किया जाएगा. सीड पार्क में निवेश करने वालों को दी जाने वाली सुविधाएं सरकार बीज पार्कों में निवेश करने वाले निवेशकों को प्रोत्साहन के लिए रियायतें भी देगी. इस क्रम में निवेशकों को 30 वर्ष की लीज पर भूमि दी जाएगी, जिसे आवश्यकता अनुसार 90 वर्षों तक बढ़ाया जा सकेगा.

बीज की जरूरत पूरी करने के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भरता

बीज की वर्तमान में उपलब्धता उत्तर प्रदेश में कृषि योग्य कुल भूमि 162 लाख हेक्टेयर है. इसके लिए हर साल लगभग 139.43 लाख कुंतल बीज की जरूरत होती है. वर्तमान में प्रदेश की प्रमुख फसलों के लिए करीब 50 फीसद बीज दक्षिण भारत के राज्यों से आते हैं. इन पर प्रदेश सरकार का अच्छा खासा पैसा खर्च होता है. सालाना 3000 करोड़ का बीज गैर राज्यों से मंगाना पड़ता है उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार को हर साल बीज मंगाने पर करीब 3000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं. सभी फसलों के हाइब्रिड बीज तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से आते है. विभागीय आंकड़ों के अनुसार गेहूं के 20 फीसद, धान के 51 फीसद, मक्का के 74 फीसद, जौ के 95 फीसद, दलहन के 50 फीसद और तिलहन के 52 फीसद बीज गैर राज्यों से आते हैं.

बीज में आत्मनिर्भर होने पर प्रदेश सरकार की सालाना करीब तीन हजार करोड़ रुपये की बचत होगी. प्लांटवार अतिरिक्त निवेश आएगा. प्लांट से लेकर लॉजिस्टिक लोडिंग, अनलोडिंग, परिवहन में स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिलेगा. एक सीड पार्क से लगभग 1200 लोगों को प्रत्यक्ष तथा 3000 लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने की संभावना है. इसके साथ ही लगभग 40,000 बीज उत्पादक किसान इन पार्कों से सीधे तौर पर जुड़ेंगे. पूरे प्रदेश में पांच सीड पार्कों की स्थापना से 6000 प्रत्यक्ष एवं 15,000 अप्रत्यक्ष रोजगार अवसर सृजित होंगे.

Seeds to market

बीज से बाजार तक

पंजाब-हरियाणा के उपज अंतर को कम करना आसान होगा

सीड रिप्लेसमेंट दर (एसएसआर) में सुधार आएगा. इसका असर उपज पर पड़ेगा. गुणवत्ता के बीज से कम होगा उत्पादन का गैप सबसे उर्वर भूमि, सर्वाधिक सिंचित रकबे के बावजूद प्रति हेक्टेयर प्रति कुंतल उपज के मामले में यूपी पीछे है. इसके लिए अन्य वजहों के साथ गुणवत्ता के बीजों की अनुपलब्धता भी एक प्रमुख वजह है. विभागीय आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में गेहूं का प्रति हेक्टेयर प्रति कुंतल उत्पादन 26.75 कुंतल है. जबकि पंजाब का सर्वोच्च 40.35 कुंतल है. इसी तरह धान का उत्पादन 37.35 कुंतल है, जबकि हरियाणा का 45.33 कुंतल. अन्य राज्यों की तुलना में इसी तरह का अंतर चना और सरसों के उत्पादन में भी है. गुणवत्ता के बीज से इस अंतर को 15 से 20 फीसद तक कम किया जा सकता है.

यूपी के इन शहरों में बीज-किस्म विकास सेंटर

  • आगरा में अंतरराष्ट्रीय पोटैटो रिसर्च सेंटर
  • ललितपुर में दलहन बीज केंद्र बनेगा
  • शहजहांपुर गन्ना अनुसंधान केंद्र
  • झांसी यूनिवर्सिटी में बीज, नई किस्म विकास केंद्र
  • सीएसए कानपुर में दलहन केंद्र में नई किस्मों का विकास
  • बुंदेलखंड में इक्रीसेट (ICRISAT) के बीज विकास केंद्र

इन बीजों-किस्मों के विकास पर जोर

  1. तिलहन फसलों में तिल, सोयाबीन, सूरजमुखी व अन्य
  2. दलहन फसलों में उड़द, मूंग, मोठ व अन्य
  3. श्रीअन्न फसलों में कोदो-कुटकी, मक्का, बाजरा व अन्य
  4. खाद्यान्न फसलों में धान, गेहूं, गन्ना, चना व अन्य
  5. सब्जी फसलों में गोभी, टमाटर, आलू, मशरूम व अन्य
Published: 3 Aug, 2025 | 06:09 PM