प्री-मानसून बारिश से महाराष्ट्र के किसानों पर संकट, हजारों हेक्टेयर फसल बर्बाद

बारिश ने जहां गर्मी से राहत दी है, वहीं किसानों की तैयारियों को बर्बाद कर दिया हैं. खासकर मराठवाड़ा और विदर्भ के किसान जो खरीफ सीजन के लिए जमीन तैयार कर रहे थे, वे बारिश के कारण काम रोकने को मजबूर हैं.

नई दिल्ली | Published: 24 May, 2025 | 05:02 PM

महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही प्री-मानसून बारिश ने किसानों की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं. जहां एक ओर इस बारिश ने इस बार की तेज गर्मी से राहत दी है, वहीं दूसरी ओर करीब 29,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फसलों को नुकसान पहुंचाकर किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है. खासकर आम, अनार, संतरा और सब्जियों जैसी बागवानी फसलों को भारी नुकसान हुआ है, जिससे आगामी खरीफ सीजन की तैयारियां भी प्रभावित हो रही हैं. इस बारिश ने महाराष्ट्र के कई जिलों में किसानों की आर्थिक स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना दिया है.

बारिश से किसानों को हुआ बड़ा नुकसान

बारिश ने जहां गर्मी से राहत दी है, वहीं किसानों की तैयारियों को बर्बाद कर दिया हैं. खासकर मराठवाड़ा और विदर्भ के किसान जो खरीफ सीजन के लिए जमीन तैयार कर रहे थे, वे बारिश के कारण काम रोकने को मजबूर हैं. किसानों के अनुसार सोयाबीन की जुताई के लिए जमीन की तैयारी अभी पूरी नहीं हुई है और बारिश के कारण काम में देरी हो रही है, जिससे बोवाई के समय पर असर पड़ सकता है.

फसलों पर भारी असर

नासिक में प्याज, बाजरा, मक्का, अनार और आम की फसलें बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. इसके अलावा धुले, जालगांव और अन्य जिलों में भी फसलों को नुकसान पहुंचा है. जालगांव में केले की फसल 6,100 हेक्टेयर में खराब हुई है. धुले जिले में प्याज, आम, केले, मक्का और ज्वार की फसलें प्रभावित हुई हैं.

मौसम विभाग का अनुमान और आगे की तैयारी

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इस बार सामान्य मानसून आने का अनुमान जताया है. केरल तट पर अगले 2-3 दिनों में मानसून की शुरुआत होने की संभावना है, जबकि महाराष्ट्र में मानसून 10 जून तक पहुंचने की उम्मीद है. राज्य सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में फसल नुकसान का आकलन करने के निर्देश दिए हैं और किसानों को मुआवजा देने का आश्वासन भी दिया है.

किसानों की चिंता और मांगें

बारिश से फसलों को नुकसान होने के कारण किसानों में चिंता बढ़ गई है. वे जल्द से जल्द मुआवजे की मांग कर रहे हैं ताकि आर्थिक नुकसान को कम किया जा सके. कई किसान संगठनों ने सरकार से त्वरित राहत पैकेज जारी करने की अपील की है.

महाराष्ट्र में प्री-मानसून बारिश ने जहां गर्मी से राहत दी है, वहीं किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है. अब किसानों के लिए जरूरी है कि वे मौसम की जानकारी लेकर सही समय पर अपनी खेती की योजना बनाएं और सरकार से मुआवजे की प्रक्रिया को तेज करने की मांग करें.