कई राज्यों में बारिश की चेतावनी.. गेहूं-चना समेत इन फसलों को मिलेगा लाभ, किसान तुरंत कर लें ये काम

उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी और कोहरे के बीच IMD ने जनवरी के पहले हफ्ते बारिश की संभावना जताई है. ठंड बढ़ने से गेहूं और अन्य रबी फसलों को अनुकूल तापमान मिल रहा है, जिससे उनकी वृद्धि बेहतर होती है और उत्पादन बढ़ने की उम्मीद रहती है. लेकिन इस दौरान बारिश होने से सरसों के दाने भी मोटे होंगे.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 31 Dec, 2025 | 03:56 PM
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Agriculture News: उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. कई प्रदेश में कोहरे के साथ-साथ शीतलहर और पाले का भी प्रकोप देखने को मिल रहा है. इसी बीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा है कि साल की शुरुआत में पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी हो सकती है, जबकि मैदानी क्षेत्रों में सर्दियों की पहली बारिश देखने को मिल सकती है. IMD ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में बारिश की संभावना जताई है. इस दौरान घना कोहरा और शीतलहर थोड़े समय के लिए कमजोर पड़ सकती है, लेकिन बारिश के बाद फिर से तेज सर्दी और कोहरा लौट सकता है. तो आइए आज जानते हैं जनवरी के पहले हफ्ते की बारिश किस फसल के लिए ज्यादा फायदेमंद होगी और इस दौरान किसानों को क्या करना चाहिए.

गेहूं चना समेत इन फसलों को फायदा पहुंचाएगी बारिश

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, गन्ना, गेहूं, आलू, चना, सरसों, मटर, जौ  और मूली जैसी रबी फसलों के लिए वर्षा जल अमृत के समान है. वैज्ञानिकों के अनुसार, बारिश के पानी के साथ प्रकृति में मौजूद करीब 5 प्रतिशत नाइट्रोजन प्राकृतिक प्रक्रिया से मिट्टी में मिल जाती है, जिससे फसलों को अतिरिक्त पोषण मिलता है. इसी वजह से वर्षा जल को सामान्य सिंचाई के पानी से ज्यादा लाभकारी माना जाता है.

पैदावार में होगी बढ़ोतरी

ठंड बढ़ने से गेहूं और अन्य रबी फसलों को अनुकूल तापमान मिल रहा है, जिससे उनकी वृद्धि बेहतर होती है और उत्पादन बढ़ने की उम्मीद रहती है. लेकिन इस दौरान बारिश होने से सरसों के दाने भी मोटे होंगे, जिससे पैदावार अच्छी होने की संभावना है. साथ ही किसानों को फिलहाल सिंचाई  की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे लागत कम होगी. हालांकि खेतों में पानी जमा न होने देना जरूरी है.

बारिश के बाद किसान करें ये काम

वहीं, मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि जिन खेतों में पानी भरने की समस्या रहती है, वहां तुरंत जल निकासी की व्यवस्था करें. क्योंकि बारिश की रफ्तार धीमी होने से ज्यादातर पानी जमीन में समा जाता है, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और जल का बेहतर उपयोग होता है. फिर भी खेतों में पानी जमा न होने देना चाहिए. हालांकि यह बारिश उन किसानों के लिए चिंता का कारण बन सकती है, जिन्होंने अब तक गेहूं की बुवाई  नहीं की है.

खेत खाली होने या तैयारी में देरी के कारण अगर गेहूं देर से बोया गया, तो इससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों पर असर पड़ सकता है. ऐसे किसानों को देरी से बुवाई के लिए उपयुक्त किस्मों का चयन करना चाहिए. वहीं, जिन किसानों ने दिसंबर में पहले ही गेहूं की बुवाई कर ली है, उनके लिए यह बारिश किसी वरदान से कम नहीं है.

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Published: 31 Dec, 2025 | 03:56 PM

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