Gujarat News: देश को कुपोषण और एनीमिया जैसी गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाने के लिए खाद्य उद्योग भी बड़ी भूमिका निभा रहा है. इसी कड़ी में अब अहमदाबाद में सात नए फोर्टिफाइड गेहूं आटे के ब्रांड लॉन्च किए गए हैं. बता दें कि, ये सभी फोर्टिफाइड आटे के ब्रांड अब गुजरात के अलग-अलग बाजारों में उपलब्ध होंगे. इनका उद्देश्य न केवल बाजार में नए विकल्प देना है, बल्कि लोगों में फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों के प्रति भरोसा बढ़ाना भी है. इन आटों की खासियत है कि इनमें कुछ ऐसे पोषक तत्व मिलाए जाते हैं जो कि, शरीर में जाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करते हैं.
एनीमिया और कुपोषण से मिलेगा छुटकारा
गुजरात के अहमदाबाद में सात नए फोर्टिफाइड गेहूं आटे के ब्रांड लॉन्च किए गए हैं। इन ब्रांडों में मक्खन (भव्य फूड प्रोडक्ट्स), माधवन भोग (ऋद्धि सिद्धि अनाज प्रसंस्करण), राजभोग (राधाजी प्रोटीन्स), राजश्री (गिरिराज फूड इंडस्ट्री), रोहिणी गोल्ड (रोहिणी पल्सेस एंड फूड्स), जम-जम, मुस्कान, शुद्ध (फॉर्च्यून प्रोटीन्स) और लालवानी हैरीज चक्की आटा (ब्राइट स्टार फूड्स) शामिल हैं. इस आटे में आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B12 जैसे पोषक तत्व मिलाए जाते हैं, जो शरीर में खून की कमी, कमजोरी और एनीमिया जैसी बीमारियों को रोकने में मदद करते हैं.मिलर्स फॉर न्यूट्रिशन के भारत कंट्री प्रोग्राम मैनेजर अभिषेक शुक्ला ने बताया कि, मिलर्स को तकनीकी सहायता, गुणवत्ता आश्वासन और बाजार की जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है, ताकि फोर्टिफिकेशन सिर्फ एक स्वास्थ्य कार्यक्रम नहीं, बल्कि व्यावसायिक सफलता भी बने.
सामाजिक जिम्मेदारी का ओर एक पहल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, टेक्नोसर्व के सीनियर प्रैक्टिस लीडर और मिलर्स फॉर न्यूट्रिशन एशिया के प्रोग्राम लीड मोनोजीत इंद्र ने बताया कि सरकार और वैज्ञानिकों की ये पहल उद्योग जगत की सामाजिक जिम्मेदारी को दिखाती है. उन्होंने कहा कि भारत में कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ लड़ाई के लिए उद्योगों का आगे आना बेहद जरूरी है. उनका मानना है कि गेहूं की जरूरत हर दिन होती है और इसे फोर्टिफाइड करके हम देश को स्वस्थ और मजबूत बनाने में योगदान दे सकते हैं.
लोगों के पोषण की प्राथमिकता
अहमदाबाद में लॉन्च किए गए फोर्टिफाइड गेहूं के 7 ब्रांड साफ तौर पर ये दिखाते हैं किअब भारत में पोषण सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है. इस अभियान से ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में सस्ते और पोषक आहार की पहुंच बढ़ेगी, जिससे आने वाले सालों में एनीमिया और कुपोषण के मामलों में कमी देखने को जरूर मिलेगी.