Tamil Nadu News: तमिलनाडु के तंजावुर जिले में कुरुवाई धान की कटाई जोरों पर है, लेकिन किसानों को खरीदी में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. तमिलनाडु सिविल सप्लाईज कॉरपोरेशन (TNCSC) के पास बोरी और भंडारण की जगह की कमी हो गई है, जिससे धान की खरीदी धीमी पड़ गई है. इस बार कुरुवाई की खेती 79,000 हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल के 61,800 हेक्टेयर से काफी ज्यादा है. अब तक 49,000 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में कटाई हो चुकी है और औसतन उपज 5,700 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रही है, जो पिछले साल के 4,850 किग्रा/हेक्टेयर से बेहतर है. हालांकि, उपज ज्यादा होने से जिले के डायरेक्ट पेडी प्रोक्योरमेंट सेंटर (DPCs) पर भारी भीड़ है, लेकिन खरीद प्रक्रिया धीमी होने से किसान परेशान हैं.
गणपति अग्रहारम गांव के किसान जी. श्रीनिवासन ने कहा कि हमें अपना कटा हुआ धान सड़क किनारे रखना पड़ रहा है, क्योंकि DPCs में जगह नहीं है. अगर बारिश हुई तो सब बर्बाद हो जाएगा. ओर्थनाडु के आर. सुकुमारन ने सरकार से बोरी उपलब्ध कराने की मांग की ताकि खरीदी दोबारा शुरू हो सके. जिले में कई धान खरीद केंद्र (DPCs) ने स्टोरेज की कमी के कारण धान लेना बंद कर दिया है. खेतों और सड़कों पर रखा धान बारिश में भीग रहा है, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है. किसान नेता सामी नटराजन ने सरकार से मांग की है कि खरीदी के लिए नमी की सीमा को 17 फीसदी से 20 फीसदी तक बढ़ा दिया जाए.
71,500 टन धान की गई खरीदी
TNCSC अधिकारियों के मुताबिक, जिले में कुल 287 खरीद केंद्र चालू हैं. 4 अक्टूबर तक करीब 71,500 टन धान खरीदा जा चुका है, जिसमें से 38,500 टन धान को दूसरे जिलों और निजी राइस मिलों में भेजा गया है. फिलहाल लगभग 38,500 टन धान इन केंद्रों पर रखा हुआ है और इसके अलावा 1.5 लाख टन गर्मी की फसल का धान पहले से स्टोरेज में है.
7.5 लाख बोरियां अन्य जिलों से मंगाई जाएंगी
स्टोरेज की समस्या हल करने के लिए, TNCSC नाडुवूर, परुथिकोट्टई और मुननयमपट्टी में कवर एंड प्लिंथ (CAP) पद्धति से 50,000 टन की क्षमता वाले अस्थायी गोदाम बना रहा है, जो इस हफ्ते तैयार हो जाएंगे. इसके अलावा तंजावुर, कुंभकोणम, पापनासम और ओर्थनाडु के रेगुलेटेड मार्केट गोदामों में भी अतिरिक्त भंडारण की व्यवस्था की जा रही है. बोरी की कमी से निपटने के लिए 7.5 लाख बोरी अन्य जिलों से मंगाई जा रही हैं. TNCSC अधिकारियों ने भरोसा दिया है कि दीवाली (20 अक्टूबर) से पहले सारी धान की खरीदी पूरी कर ली जाएगी.