3 साल में सबसे ज्यादा सस्ती सब्जियां, प्याज और आलू की कीमतों में इतनी फीसदी की गिरावट

इस साल बरसात में सब्जियों के दाम तीन साल के निचले स्तर पर रहे. प्याज, आलू और दालों की कीमतों में बड़ी गिरावट से वेज और नॉन-वेज थाली सस्ती हुई. टमाटर महंगा हुआ, पर बाकी सब्जियां सस्ती रहीं.

Kisan India
नोएडा | Published: 10 Sep, 2025 | 11:21 AM

बरसात के महीनों में आमतौर पर महंगी होने वाली सब्जियों के दाम इस साल ज्यादा उत्पादन की वजह से तीन साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं. इससे मिडिल क्लास की परेशानी कुछ कम हुई है और महंगाई भी काबू में है. तेज बारिश के बावजूद प्याज और आलू सस्ते हुए हैं, जिससे सरकार और आम लोगों दोनों को राहत मिली है. खासकर टमाटर, प्याज और आलू जैसी सब्जियां अक्सर बरसात में महंगाई बढ़ाती हैं, लेकिन इस बार ऐसा असर कम दिखा. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल के मुकाबले आलू के दाम 31 फीसदी और प्याज के दाम 37 फीसदी गिरे हैं.

पिछले साल आलू की पैदावार 7 फीसदी घटने से सप्लाई कम हो गई थी और दाम बढ़ गए थे, लेकिन इस बार अच्छी फसल की उम्मीद से बाजार स्थिर है. हालांकि जुलाई और अगस्त में टमाटर के दाम जरूर बढ़े. जुलाई के अंत में यह 85 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया था, लेकिन अगस्त के बीच में 73 रुपये किलो पर आ गया. लेकिन भारी बारिश की वजह से टमाटर, जो जल्दी खराब हो जाता है, महंगा हुआ. फिर भी दूसरी सब्जियों के सस्ते होने से इसका असर कम रहा और जुलाई में खुदरा महंगाई सिर्फ 1.55 फीसदी रही, जो पिछले आठ सालों में सबसे कम है.

प्याज उत्पादन में 27 फीसदी की बढ़ोतरी

इस साल मॉनसून के दौरान सब्जियों के दाम पिछले साल की तुलना में काफी सस्ते रहे हैं, हालांकि कुछ चीजें अभी भी महंगी हैं. क्रिसिल इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त में खाने की थाली की कीमतों में कमी आई है. रिपोर्ट के ‘रोटी-चावल रेट’ इंडिकेटर के मुताबिक, पिछले साल के मुकाबले वेज थाली 7 फीसदी और नॉन-वेज थाली 8 फीसदी सस्ती हुई है. कीमतों में ये गिरावट प्याज, आलू और दालों के सस्ते होने की वजह से आई है. खाद्य मंत्रालय के मुताबिक, इस साल प्याज का उत्पादन 27 फीसदी बढ़कर करीब 30.7 मिलियन टन होने का अनुमान है. वहीं, आलू की फसल भी इस बार 3-5 फीसदी ज्यादा होने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल इसमें कीटों और मौसम की मार के कारण नुकसान हुआ था.

नॉन-वेज थाली की लागत 8 फीसदी घटी

क्रिसिल के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल प्याज का उत्पादन 18-20 फीसदी बढ़ा है, जिससे इसकी कीमतों में गिरावट आई है. दालों के दाम भी पिछले साल के मुकाबले 14 फीसदी कम हुए हैं. नॉन-वेज खाने वालों के लिए भी हालात अच्छे रहे हैं. घर पर बनने वाली नॉन-वेज थाली की लागत 8 फीसदी घटी है, जिसका मुख्य कारण ब्रॉयलर चिकन की कीमतों में 10 फीसदी की गिरावट है. वहीं, मार्केट में प्याज की आपूर्ति बनी रहे, इसके लिए सरकार ने किसानों से खरीदे गए 3 लाख टन प्याज के भंडार से प्याज निकालना शुरू कर दिया है. 4 सितंबर को केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और अहमदाबाद में 24 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज की खुदरा बिक्री शुरू की.

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