कहते हैं इंसान जो भी काम पूरी ईमानदारी और मेहनत से करता है , उसे उस काम में सफलता जरूर मिलती है. अपनी लगातार की गई कोशिशों से इंसान न केवल खुद को बदलता है बल्कि दूसरे के लिए भी मिसाल बन जाता है.ऐसा ही कुछ कर दिखाया है उत्तर प्रदेश के जिले लखीमपुर खीरी में रहने वाले हमारे आजे के ‘चैंपियन किसान’ सीरीज के प्रगतिशील किसान अचल कुमार मिश्रा ने, जो आज वैज्ञानिक तरीके से सूरन की खेती कर लाखों की कमाई कर रहे हैं. खास बात ये है कि सूरन एक ऐसी फसल है जो कि कभी केवल छोटे गमलों या खेत की मेड़ पर या फिर गांवों में घरों के आसपास थोड़ी सी मात्रा में उगाई जाती थी. लेकिन अचल ने न केवल बड़े पैमाने पर इसकी खेती की शुरुआत की बल्कि इससे अच्छी उपज और कमाई दोनों कर रहे हैं. बता दें कि सूरन औषधीय गुणों से भरपूर एक फसल है.
250-500 ग्राम सूरन के टुकड़ों से शुरू की खेती
लखीमपुर खीरी के मड़ई पुरवा गाँव के प्रगतिशील किसान अचल कुमार मिश्रा की मेहनत ने सूरन की खेती को नया मुकाम दिया है. सूरन में मौजूद औषधीय गुणों को पहचानते हुए अचल ने इसकी खेती को गंभीरता से लिया. इसकी खेती के लिए उन्होंने बलुई दोमट मिट्टी चुनी, जो कि सूरन के लिए सबसे अच्छी होती है. इसके बाद मिट्टी को नरम करने के लिए उन्होंने खेत की अच्छे से जुताई की और फिर प्रति एकड़ जमीन पर 4 हजार गड्ढे बनाकर उनमें 250 से 500 ग्राम सूरन के टुकड़ों को बोया. अचल ने टुकड़ों को बोने से पहले उन्हें दवा और गोबर के घोल में डुबोया ताकि बीमारियों से बचाव हो. बता दें कि बुवाई के समय ने अचल ने खाद का भी खास ध्यान रखा, उन्होंने हर गड्ढे में गोबर की खाद, यूरिया, फॉस्फेट और पोटाश डाला. इससे सूरन के कंद बड़े और स्वस्थ हुए.

सूरन की खेती करने वाले किसान अचल कुमार मिश्रा
मल्चिंग विधि का किया इस्तेमाल
किसान अचल कुमार मिश्रा ने बताया कि सूरन के खेत में नमी बनाए रखने के लिए उन्होंने मल्चिंग विधि का इस्तेमाल किया यानी खेत को पत्तियों या घास से ढक दिया. उन्होंने बताया कि ऐसा करने से खरपतवारों को भी नष्ट करने में मदद मिली. अचल ने सूरन की खेती से अच्छी उपज पाने के लिए इसकी अच्छी किस्मों का चुनाव किया जैसे कि गजेंद्र और संतरागाची. उन्होंने बताया कि ये किस्में बुवाई के करीब 5 से 6 महीने में तैयार हो जाती हैं और इन्हें केवल तीन बार पानी देना पड़ता है, जिससे मेहनत और पैसे दोनों की बचत होती है. बता दें कि सूरन को आम तौर पर जिमिकंद कहा जाता है.
8.7 लाख तक होती है कमाई
किसान अचल कुमार मिश्रा ने बताया कि सूरन की प्रति एकड़ फसल से उन्हें लगभग 20 से 25 टन पैदावार मिलती है. बाजार में एक क्विंटल सूरन करीब 3 हजार से 4 हजार रुपये में बिकता है. यानी अगर अचल 25 टन पैदावार करते हैं और बाजार में उसकी औसत कीमत 2500 रुपये प्रति क्विंटल है. तो इस हिसाब से अचल को 25 टन पैदावार से 8.75 लाख रुपये का मुनाफा होता है.
दीपावली के समय इसकी मांग और बढ़ जाती है, क्योंकि इसे शुभ माना जाता है. इसके अलावा इसमें स्टार्च, विटामिन सी, कैल्शियम और फाइबर जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं. आयुर्वेद में सूरन को पेट की बीमारियों और बवासीर के इलाज में फायदेमंद माना जाता है. इसे सब्जी, अचार या चिप्स के रूप में खाया जाता है.
अन्य किसानों के लिए मिसाल बने अचल
अचल कुमार मिश्रा के नवाचार और वैज्ञानिक तरीके से सूरन की खेती करने से न केवल उन्हें फायदा हुआ है बल्कि अपने आसपास के किसानों के लिए भी वे एक मिसाल बन गए हैं. उनकी मेहनत और समझदारी ने सूरन की खेती को आसान और फायदेमंद बनाया. सरकार की मदद और ट्रेनिंग से अन्य किसान भी इसकी खेती अपना सकते हैं।.सूरन की खेती न सिर्फ पैसे कमाने का जरिया है, बल्कि यह कम मेहनत और कम पानी वाली फसल भी है. अचल जैसे किसान साबित करते हैं कि मेहनत और सही तरीके से खेती करके छोटी-सी शुरुआत भी बड़ा मुनाफा दे सकती है.