MP का शरबती गेहूं जो रोटियों में घोल दे ‘चीनी की मिठास’, रंगत और खासियत ने औरों से बनाया अलग

GI टैग मिलने के बाद शरबती गेहूं की मांग न सिर्फ भारत में, बल्कि अमेरिका, यूरोप और मिडल ईस्ट जैसे देशों में भी तेजी से बढ़ी है. निर्यातकों का कहना है कि अब इस गेहूं की एक अलग और मजबूत अंतरराष्ट्रीय पहचान बन गई है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 29 Jul, 2025 | 07:40 PM

ऐसे तो पूरे देश में अलग-अलग किस्म के गेहूं की खेती होती, लेकिन मध्य प्रदेश में उगाए जाने वाले शरबती गेहूं की बात ही अलग है. ‘गोल्डन ग्रेन’ के नाम से मशहूर शरबती गेहूं देश की एक खास और लोकप्रिय फसल है. सीहोर जिला शरबती गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र माना जाता है. शरबती गेहूं से देश का सबसे बढ़िया आटा तैयार होता है. इसके स्वाद में हल्की मिठास होती है, जो इसे बाकी गेहूं की किस्मों से अलग बनाती है. इसका कारण इसमें मौजूद थोड़ी ज्यादा मात्रा में ग्लूकोज और सुक्रोज जैसे सरल शर्कराएं हैं. यही वजह है कि साल 2023 में शरबती गेहूं को जीआई टैग दिया गया.

शरबती गेहूं अपनी बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाना जाता है. इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और इसका टेक्सचर भी आम गेहूं की तुलना में ज्यादा मुलायम होता है. शरबती गेहूं के दाने बड़े, सुनहरे और भारी होते हैं. इनसे बना आटा ज्यादा पानी सोखता है, जिससे आटा नरम गूंथा जाता है और रोटियां अधिक फूली हुई और मुलायम बनती हैं. यही वजह है कि शेफ्स इस गेहूं को खाना पकाने के लिए ज्यादा पसंद करते हैं. इसकी क्वालिटी और स्वाद दोनों ही किचन में बेहतर रिजल्ट देते हैं. यह गेहूं एक रबी फसल है, जिसे ठंड के मौसम में बोया जाता है. इसकी बुआई अक्टूबर से दिसंबर के बीच होती है और फसल फरवरी से मई के बीच काटी जाती है.

इन देशों में बढ़ी शबरती गेहूं की मांग

GI टैग मिलने के बाद शरबती गेहूं की मांग न सिर्फ भारत में, बल्कि अमेरिका, यूरोप और मिडल ईस्ट जैसे देशों में भी तेजी से बढ़ी है. निर्यातकों का कहना है कि अब इस गेहूं की एक अलग और मजबूत अंतरराष्ट्रीय पहचान बन गई है, जिससे किसानों और व्यापारियों दोनों को ज्यादा मुनाफा हो रहा है. मध्य प्रदेश सरकार और कृषि विशेषज्ञ इसे किसानों के लिए एक बड़ी कामयाबी मानते हैं. सरकार अब शरबती गेहूं को एक इंटरनेशनल ब्रांड की तरह प्रमोट करने की तैयारी कर रही है, ताकि खासतौर पर सीहोर जिले के किसानों को बेहतर आमदनी और नई बाजारों तक पहुंच मिल सके.

क्या होता है GI टैग

GI यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग एक खास पहचान देने वाला लेबल होता है, जो किसी प्रोडक्ट को उसके क्षेत्र से जोड़ता है. आसान शब्दों में कहें तो ये टैग यह बताता है कि कोई चीज खासतौर पर एक तय जगह से आती है और वहीं की पहचान है. भारत में साल 1999 में ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट’ लागू किया गया, जिसके तहत किसी राज्य के खास प्रोडक्ट को कानूनी मान्यता दी जाती है. जब किसी क्षेत्र के प्रोडक्ट की पहचान और लोकप्रियता देश-विदेश में बढ़ती है, तो GI टैग के जरिए उसे अधिकारिक दर्जा दिया जाता है. इससे उस प्रोडक्ट की असली पहचान बनी रहती है और उसे नकली प्रोडक्ट्स से बचाया जा सकता है.

शरबती गेहूं की ये हैं उन्नत किसमें

साल 2023 में जीआई टैग मिलने के बाद से सीहोर जिले में शरबती गेहूं का रकबा लगातार बढ़ रहा है. इस साल जिले में इसकी खेती लगभग 40,390 हेक्टेयर में हुई थी. कृषि विभाग के मुताबिक, जिले के कुछ गांवों की मिट्टी शरबती गेहूं की खेती के लिए बहुत अनुकूल है. यहां प्रति हेक्टेयर करीब 2700 से 2800 किलो गेहूं का उत्पादन होता है. सीहोर की कृषि उपज मंडी से व्यापारी इस गेहूं की प्रोसेसिंग कर इसे देश के बड़े शहरों तक भेजते हैं. खास बात यह है कि सुजाता C-306, HI-1531, HI-1544, HI-1634, HI-1636 और HI-1650 सरबती गेहूं की उन्नत किस्में हैं. इनसे गेहूं की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों बेहतर होता है. वहीं, शरबती गेहूं का रेट सामान्य गेहूं के मुकाबले काफी अधिक होता है. इससे किसानों की अच्छी कमाई होती है.

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Published: 29 Jul, 2025 | 07:34 PM

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