मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार उत्तर प्रदेश के किसानों को सिंचाई की आधुनिक सुविधा उपलब्ध कराने जा रहे हैं. इस सुविधा से प्रदेश के किसानों को अब सिंचाई के लिए बारिश या पारंपरिक नहरों पर निर्भर नहीं रहना होगा. दरअसल, सीएम योगी के निर्देश पर प्रदेश के किसानों को डबल इंजन सरकार की एमसीएडी योजना (मॉडरेशन ऑफ कमांड एरिया डवलपमेंट एंड वॉटर मैनेजमेंट प्रोग्राम) का लाभ देने के लिए एक खाका तैयार किया गया है. इसके लिए केंद्र सरकार ने प्रदेश को 1,600 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है.
प्रदेश में पहले इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जाएगा. इसमें आईआईटी कानपुर का भी अहम भूमिका होगी. यह योजना कमांड एरिया डवलपमेंट और जल प्रबंधन में गेम चेंजर साबित होगी. इससे एक ओर जहां खेतों तक पानी की आपूर्ति सुनिश्चित होगी, वहीं दूसरी ओर किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी.
हर खेत तक पानी पहुंचाना योजना का उदेश्य
सिंचाई और जल संसाधन सचिव जीएस नवीन ने बताया कि सीएम योगी की मंशा के अनुसार हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार की एमसीएडी योजना को जमीन पर उतारने के लिए खाका तैयार कर लिया गया है. इस योजना का उद्देश्य हर खेत तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था को आधुनिक बनाना है. ताकि किसान इसके जरिए पारंपरिक सिंचाई विधियों को छोड़कर अब प्रेसराइज्ड पाइप इरिगेशन नेटवर्क (पीपीआईएन) तकनीक का इस्तेमाल कर सकें. इससे 90 फीसदी तक पानी को सही तरीके से इस्तेमाल में लाया जा सकेगा. इससे पानी की बचत तो होगी ही बल्कि साथ में उत्पादन बेहतर होगा और लागत में भी कमी आएगी.
150 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी होगा संरक्षित
- प्रदेश में इस योजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत लागू किया जा रहा है. इसमें जल शक्ति मंत्रालय की दो इकाइयों सीएडब्ल्यूएम(कमांड एरिया डवलपमेंट एंड वॉटर मैनेजमेंट) और एआईबीपी (एक्सीलरेटेड इरिगेशन बेनिफिट प्रोग्राम) को एक प्लेटफॉर्म पर लाया गया है. योजना के पहले चरण को मार्च 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा वहीं इसका दूसरा चरण 1 अप्रैल 2026 को लागू किया जाएगा. इसके संचालन और रखरखाव की प्रक्रिया 2031 तक जारी रहेगी.
- सचिव जीएस नवीन ने बताया कि एमसीएडी योजना के तहत प्रदेश में 50 से 5 हजार हेक्टेयर तक के क्लस्टर बनाए जाएंगे. हर क्लस्टर में वॉटर यूजर सोसाइटी (डब्ल्यूयूएस) का गठन किया जाएगा. इससे जुड़कर किसान सिंचाई प्रबंधन करेंगे. इससे किसानों को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी. उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में, जहां सिंचाई के लिए भूजल पर भारी निर्भरता है, यह योजना जल की बचत के साथ-साथ पंपिंग लागत और बिजली की खपत में भारी कमी लाएगी. बता दें कि योजना के पहले चरण में ही 150 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बचाया जा सकेगा.
किसानों को दी जाएगी पूरी ट्रेनिंग
प्रदेश सरकार की इस योजना के तहत किसानों को पाइप, सेंसर, पंप, फिल्टर जैसी सिंचाई तकनीकों की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे उनकी तकनीकी जानकारी भी बढ़ेगी. योगी सरकार पहले से ही कृषि में विविधता और बाजार-लिंक्ड खेती को बढ़ावा दे रही है. एमसीएडी योजना के तहत ‘एक क्लस्टर, एक फसल’ मॉडल को अपनाया जाएगा, जिससे फसलों की क्वालिटी और बाजार मूल्य में बढ़ोतरी होगी. इसके साथ ही योजना के लिए आवश्यक उपकरणों का निर्माण देश में ही होगा इससे मेक इन इंडिया और प्रदेश के एमएसएमई उद्यमों को बड़ा लाभ मिलेगा और स्थानीय स्तर पर औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा.
किसानों की आमदनी में होगी बढ़ोतरी
योजना की निगरानी तीन स्तरों पर की जाएगी जिसमें राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर शामिल होंगे. वहीं, जल शक्ति मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में केंद्रीय समिति बनेगी. राज्य स्तर पर मुख्य सचिव और जिला स्तर पर जिलाधिकारी योजना के कामों की निगरानी करेंगे. साथ ही आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स), एससीएडीए (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्किजिशन), जीआईएस (ग्राफिक इंफ्रॉर्मेशन सिस्टम और सैटेलाइट) डेटा जैसे तकनीकी उपकरणों के जरिए भी निगरानी की जाएगी.
ऐसे में योगी सरकार के इस कदम से न केवल जल की बर्बादी रुकेगी, बल्कि किसानों की उत्पादकता, आमदनी और आत्मनिर्भरता में भी वृद्धि होगी. इसके साथ ही सीएम योगी ने निर्देश दिये हैं कि हर जिले में पायलट प्रोजेक्ट को समय पर पूरा किया जाए और डब्ल्यूयूएस की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए.