तुअर दाल यानी अरहर दाल, जो भारतीय थालियों की सबसे जरूरी चीजों में से एक है, अब तीन साल के सबसे निचले दामों पर पहुंच चुकी है. कर्नाटक के कलबुर्गी और महाराष्ट्र के लातूर जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में इसकी थोक कीमतें 100 रुपये प्रति किलो से भी नीचे पहुंच गई हैं. कीमत कम होने से आम उपभोक्ताओं को तो राहत मिली है, लेकिन किसान इस गिरावट से बेहद परेशान हैं. जानकारों का मानना है कि भारी मात्रा में तुअर और पीली मटर के आयात, साथ ही कमजोर मांग ने कीमतों को नीचे गिरा दिया है.
89 रुपये किलो तक पहुंची एवरेज क्वालिटी
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार लातूर के एक प्रमुख दाल प्रोसेसर और कलंत्री फूड प्रोडक्ट्स के सीईओ नितिन कलंत्री का कहना है कि फिलहाल एवरेज क्वालिटी की तुअर दाल 89-90 रुपये प्रति किलो बिक रही है, जबकि सबसे अच्छी क्वालिटी वाली दाल 104-105 रुपये के आसपास है. पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में यह करीब 50 फीसदी सस्ती हो चुकी है. उन्होंने बताया कि इतनी कम कीमतें 2022 के बाद पहली बार देखने को मिल रही हैं.
आयात से बढ़ी आपूर्ति, कीमतों में नरमी
पिछले दो सालों में घरेलू उत्पादन में कमी के कारण तुअर की कीमतें आसमान छू रही थीं. लेकिन सरकार ने हालात को नियंत्रित करने के लिए आयात पर लगी ड्यूटी हटाते हुए मार्च 2026 तक फ्री इंपोर्ट की अनुमति दे दी. इसका सीधा असर बाजार पर पड़ा और आपूर्ति बढ़ने से कीमतें गिर गईं. FY25 में भारत ने 12.23 लाख टन तुअर का आयात किया, जो पिछले साल की तुलना में 59 रुपये ज्यादा है.
किसानों को हो रहा घाटा
कर्नाटक दाल उत्पादक संघ के अध्यक्ष बसवराज इंगिन ने बताया कि किसान अब खरीफ सीजन से पहले पुरानी स्टॉक को बेचने में लगे हैं, जिससे बाजार में और दवाब बन रहा है. जबकि सरकार ने तुअर की MSP 8,000 रुपये प्रति क्विंटल तय की है, लेकिन बाजार में इसकी कीमत इससे नीचे ही बनी हुई है.
इंगिन ने यह भी कहा कि यदि सरकार तुअर की खरीद अवधि बढ़ाती तो किसानों को राहत मिल सकती थी. इस समय दाल की थोक कीमतें कम होने के कारण खुदरा बिक्री पर भी असर पड़ा है. उपभोक्ता मंत्रालय के अनुसार जून 2025 तक तुअर दाल का औसत खुदरा मूल्य 122.45 रुपये प्रति किलो रहा, जबकि पिछले साल यह 161.30 रुपये प्रति किलो था.
त्योहारी सीजन में बढ़ सकती है मांग
हालांकि, जानकारों को उम्मीद है कि त्योहारी सीजन के नजदीक आते ही तुअर की मांग में इजाफा होगा. खासकर मानसून के कारण जब सब्जियों की आपूर्ति कम हो जाती है, तब दालों का उपभोग बढ़ता है. ऐसे में अगले कुछ हफ्तों में दामों में थोड़ी तेजी आ सकती है.