घास उगाकर तगड़ा मुनाफा कमा रहे किसान अमीलाल, ऑनलाइन खरीदारों की भीड़ से बढ़ी कमाई

किसान अमीलाल बताते हैं कि नेपियर घास या हाथी घास एक ऐसी फसल है जो कि कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है. उन्होंने बताया कि फिलहाल वे प्रति एकड़ के हिसाब से 500 क्विंटल से ज्यादा घास का हर साल उत्पादन कर रहे हैं.

अलवर | Updated On: 24 Jun, 2025 | 07:18 PM

आज के समय में बदलते परिवेश के साथ ही अब किसानों की सोच भी बदल रही है. आज किसान परंपरागत खेती से ऊपर उठकर आधुनिक खेती की और अपने कदम बढ़ा रहे हैं. खेती में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर किसान अपनी फसलों का उत्पादन बेहतर कर रहे हैं. इन आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से किसानों को अच्छी आमदनी भी हो रही है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है अलवर जिले के सेवखेड़ा गांव के एक किसान अमीलाल चावड़ा ने, जो अपने आस पास के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं. दरअसल, किसान अमीलाल लंबे समय से नेपियर घास की खेती कर रहे हैं और उसकी ऑफलाइन, ऑनलाइन बिक्री करके लगातार तगड़ा मुनाफा भी कमा रहे हैं.

10 साल से कर रहे नेपियर घास की खेती

राजस्थान के अलवर जिले के सेवखेड़ा गांव में रहने वाले किसान अमीलाल चावड़ा पिछले 10 सालों से नेपियर घास की खेती कर रहे हैं. नेपियर घास जिसे आम भाषा में हाथी घास भी कहा जाता है. इस घास की खासियत है कि इसे कम पानी में बंजर जमीन या खेतों की मेड़ पर आसानी से तैयार किया जा सकता है और साल में करीब 6 से 7 बार इसकी कटाई की जाती है. ‘किसान इंडिया ‘ से बात करते हुए किसान अमीलाल ने बताया कि साल दर साल पानी की कमी के कारण परंपरागत खेती करना मुश्किल हो रहा है. इसलिए किसान अब आधुनिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं.

दूध उत्पादन में बढ़ोतरी

किसान अमीलाल बताते हैं कि नेपियर घास या हाथी घास एक ऐसी फसल है जो कि कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है. उन्होंने बताया कि फिलहाल वे प्रति एकड़ के हिसाब से 500 से ज्यादा क्विंटल घास का हर साल उत्पादन कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन पोर्टल पर देश के कई राज्यों के किसान उनके पास इन्हें खरीदने और इनकी खेती की तकनीक जानने के लिए आते हैं. अमीलाल ने बताया कि सामान्य घास के मुकाबले नेपियर घास कैलोरीफिक वैल्यू, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट ज्यादा होते हैं.

किसान अमालाल चावड़ा

नेपियर घास की स्टिक

इस घास से 70 फीसदी तक पशुओं की फीडिंग कॉस्ट कम होती है साथ ही दुधारू पशुओं में 20% तक दूध उत्पादन भी बढ़ता है. बता दें कि अमीलाल के पास 700 से 1000 किलोमीटर दूर से किसान नेपियर घास की स्टिक लेने पहुंचते हैं साथ ही वो किसानों को इसकी पैदावार के बारे में सारी जानकारी देते हैं.

20 किस्मों पर कर चुके हैं काम

किसान अमीलाल ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में वे इस घास की 20 किस्मों पर काम कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि इस घास की सुपर नेपियर घास और जायंट किंग घास सबसे अच्छी किस्म मानी जाती हैं. ये दोनों ही किस्में दुधारू पशुओं की सेहत के साथ उनकी दूध उत्पादन क्षमता को बढ़ाती हैं. अमिलाल ने बेंगलुरु में नेपियर घास के बीज का प्लांटेशन किया जहां केवल 60 दिन में 17 फीट तक घास की पैदावार हुई, वहीं राजस्थान में इनके द्वारा लगाई गई नेपियर घास के बीज 100 दिन में 17 फीट तक तैयार हुए.

उनके अनुसार इस घास की लंबाई के लिए क्लाइमेट मायने रखता है. हालांकि नेपियर घास कम पानी में भी आसानी से उगाई जाती है लेकिन पानी की मात्रा बेहतर हो तो उत्पादन भी बेहतर होता है.

भविष्य का ईंधन है नेपियर घास

किसान अमीलाल ने बताया की कोई भी किसान अपने एक बीघा खेत में नेपियर घास की 7 हजार स्टिक या एक एकड़ में 11 हजार स्टिक तक लगा सकता है. इस स्टिक की कीमत ₹1 तक रहती है साथ ही यह बंजर भूमि वाले खेतों की मेड़ पर भी आसानी से लगाई जा सकती है.

यह फसल बिना किसी दवाई के छिड़काव और बिना खाद के ही लहलहाने लगती है. कम पानी में भी साल में 6 से 7 बार इससे फसल ली जा सकती है और इस फसल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल ईंधन और पशुओं के चारे के रूप में होता है.उन्होंने ‘किसान इंडिया’ को बताया कि वर्तमान में ग्रीन एनर्जी और पशुओं के चारे के लिए नेपियर घास एक सस्ता और बढ़िया विकल्प है. लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं. 

Published: 24 Jun, 2025 | 06:30 PM