सोयाबीन का स्टॉक 50 फीसदी घटा, जानें मंडियों से लेकर मिलों तक क्या होगा असर?

2025 की खरीफ बुवाई शुरू हो चुकी है, लेकिन इस बार सोयाबीन का स्टॉक पिछले साल के मुकाबले आधा रह गया है. क्रशिंग यूनिटों, व्यापारियों और किसानों के पास इस बार केवल 22.84 लाख टन सोयाबीन बचा है, जबकि पिछले साल इसी समय 45.71 लाख टन था.

नई दिल्ली | Published: 14 Jun, 2025 | 02:39 PM

जून की तपती दोपहर में जब किसान खेतों में खरीफ की बुवाई में जुटे हैं, तब देश की सबसे अहम तिलहन फसल सोयाबीन को लेकर चिंता की लहर दौड़ गई है. जहां एक ओर खेतों में उम्मीदें बोई जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर मंडियों और गोदामों में सोयाबीन की उपलब्धता तेजी से घटती दिख रही है. इससे न सिर्फ तेल उद्योग बल्कि पशु आहार और निर्यात कारोबार पर भी असर पड़ सकता है. चलिए जानते हैं सोयाबीन के स्टॉक के कम होंने से क्या असर होगा.

बाजार में स्टॉक घटा आधा

2025 की खरीफ बुवाई शुरू हो चुकी है, लेकिन इस बार सोयाबीन का स्टॉक पिछले साल के मुकाबले आधा रह गया है. क्रशिंग यूनिटों, व्यापारियों और किसानों के पास इस बार केवल 22.84 लाख टन सोयाबीन बचा है, जबकि पिछले साल इसी समय 45.71 लाख टन था. सरकारी एजेंसियों के पास जमा 16 लाख टन स्टॉक को मिलाकर भी कुल आंकड़ा 38.84 लाख टन ही पहुंच रहा है, जो औद्योगिक मांग को देखते हुए काफी कम है.

पेराई और आवक दोनों में गिरावट

सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के अनुसार, इस साल मई तक सिर्फ 79 लाख टन सोयाबीन की पेराई हो सकी, जो पिछले साल से करीब 9 फीसदी कम है. वहीं मंडियों में कुल आवक भी घटकर 83.50 लाख टन रह गई है. इससे साफ है कि बाजार में कच्चे माल की आपूर्ति लगातार कमजोर हो रही है.

आयात भी गिरा, मांग भी सुस्त

कमजोर मांग के चलते इस बार सोयाबीन का आयात भी पिछले साल के मुकाबले बुरी तरह घटा है. जहां 2023 में 6.25 लाख टन आयात हुआ था, वहीं इस साल अब तक केवल 0.25 लाख टन ही आया है. हालांकि उत्पादन का अनुमान 125.82 लाख टन लगाया गया है, जो थोड़ी राहत की बात है.

सोयामील और फीड सेक्टर पर भी असर

कम पेराई और घटते स्टॉक का असर सोयामील के उत्पादन और उठाव पर भी पड़ा है. मई के अंत तक इसका उत्पादन 62.34 लाख टन रहा, जो पिछले साल से काफी कम है. फीड इंडस्ट्री अब सोयामील की जगह सस्ते DDGS का इस्तेमाल कर रही है. इसके चलते कीमतें भी MSP से नीचे बनी हुई हैं, जिससे किसान और उद्योग दोनों परेशान हैं.

निर्यात घटा, विदेशी ग्राहक भी कम हुए

निर्यात के मामले में भी स्थिति उत्साहजनक नहीं है. तेल वर्ष 2024-25 में अब तक सिर्फ 14.63 लाख टन सोयामील का निर्यात हुआ है, जो पिछले साल से कम है. जर्मनी, फ्रांस और बांग्लादेश जैसे प्रमुख ग्राहक अब भारतीय मील के मुकाबले सस्ते विकल्पों की तरफ झुक रहे हैं.

ऐसे में बुवाई अगर अच्छी होती है और मानसून साथ देता है तो आने वाले महीनों में हालात कुछ सुधर सकते हैं. लेकिन फिलहाल, बाजार में सोयाबीन की मांग और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ता दिख रहा है. इससे किसानों को फसल बेचने में दिक्कतें आ सकती हैं, और प्रोसेसिंग यूनिटों को कच्चा माल जुटाने में परेशानी हो सकती है.